हम यह दावा क्यों करते हैं कि मजदूर वर्ग शासन करने के काबिल है?

कामगार एकता कमिटी के संयुक्त सचिव डॉ. दास द्वारा लेख

यह स्पष्ट है कि शासक वर्ग शासन करने के लिए अयोग्य है। हमने पिछले लेख में इस बिंदु पर विस्तार से चर्चा की थी। अरबपति कॉर्पोरेट घरानों के नेतृत्व में सत्तारूढ़ पूंजीपति वर्ग, केवल बढ़ते मुनाफे में रुचि रखता है; श्रमिकों, किसानों और लोगों का जीवन, उनके लिए कोई मायने नहीं रखता है। इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप, मैं और करोड़ों अन्य भारतीय अत्यधिक काम, कुपोषण, रोके जा सकने वाले रोग या हालिया बालासोर जैसी टालने योग्य त्रासदियों के कारण मरते हैं।

आज हम श्रमिकों और अन्य मेहनतकशों को हमारी पिछली पीढ़ियों ने लड़कर जो हासिल किया था उसकी रक्षा के लिए भी संघर्ष करते रहना पड़ता है । जो हमारा है उसे बरकरार रखने के लिए भी हमें लड़ना पड़ता है करनी । यदि हम सभी विभाजनों से परे होकर अच्छी तरह से लड़ते हैं तो हम जीत सकते है। बिजली के निजीकरण के ख़िलाफ़ लड़ाई इसका एक प्रमुख उदाहरण है। हालाँकि, हम सभी जानते हैं कि हमारी जीत अस्थायी है, और लिखित वादों और आश्वासनों के बावजूद, सरकार ने उनका उल्लंघन करने के बार-बार प्रयास किए हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें अपने ऊपर हो रहे हमलों को नाकाम करने के लिए संघर्ष करते रहना होगा। लेकिन क्या हम इतना ही कर सकते हैं? हरगिज नहीं! अपने अस्तित्व के लिए अपना संघर्ष जारी रखते हुए, हमें मजदूर वर्ग और अन्य मेहनतकशों को अपने देश का शासक बनने के लिए संगठित करना होगा। यह हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हम इसे कैसे कर सकते हैं? क्या मजदूर वर्ग के लिए शासन करना भी संभव है?
आइए सबसे पहले देखें कि एक शासक के अधिकार और कर्तव्य क्या हैं।

हमारे देश में यह सर्वमान्य रहा है कि राजा को कर वसूलने का अधिकार केवल इसलिए था क्योंकि उसका कर्तव्य था कि वह प्रजा की सुख-सुरक्षा सुनिश्चित करे। शासक वर्ग को राजा के अधिकार प्राप्त हैं; सरकार हम सभी पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कर लगाती है। हालाँकि, शासक वर्ग, जिसके पास हमारे देश के कानूनों, नीतियों और दिशा को तय करने की शक्ति है, हमारे स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के कर्तव्य से पूरी तरह से दूर भागता है।

दूसरी ओर, हम लोग जिनके पास ऐसी कोई शक्ति, कोई अधिकार नहीं है, एक-दूसरे की रक्षा करने की पूरी कोशिश करते हैं। बालासोर के पीड़ितों को रक्तदान करने के लिए बिना बुलाये ही सैकड़ों लोग कतार में खड़े थे। महामारी के दौरान क्या हुआ? केंद्र सरकार ने गरीब दिहाड़ी मजदूरों या किसी अन्य लोगों के बारे में सोचे बिना तालाबंदी करके अपनी क्रूर ताकत का प्रदर्शन किया। यह लोगों के संगठन थे, चाहे वे सामाजिक हों या धार्मिक, जिन्होंने अपनी सर्वोत्तम क्षमता से प्रवासियों की देखभाल की। उनके बिना, मृत लोगों की संख्या और बहुत ज्यादा होती।

जब भी राज्य द्वारा, 1984 में कांग्रेस जैसी पार्टियों द्वारा या बाद में कांग्रेस और भाजपा दोनों द्वारा सांप्रदायिक नरसंहार आयोजित किए जाते हैं, तो यह आम लोग ही होते हैं जो अपनी खुद की जान को दांव पर लगाकर भी , अन्य धर्मों से संबंधित अपने पड़ोसियों को बचाते हैं!

एक साल तक चला किसानों का आंदोलन इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण था कि कैसे लोगों ने बहुत सुव्यवस्थित तरीके से लोगों की जरूरतों का ख्याल खुद रखा। लोगों को अच्छा भोजन दिया जा रहा था, पानी और बिजली उपलब्ध करायी जा रही थी, चिकित्सा सहायता और शिक्षा जारी थी। महिलाएं रात में भी घूमने के लिए काफी सुरक्षित थीं!

बार-बार, मजदूर वर्ग और हमारे देश के अन्य लोगों ने दिखाया है कि उनमें अपने साथी देशवासियों और महिलाओं की देखभाल करने की इच्छाशक्ति है।

क्या मजदूर वर्ग में शासन करने की क्षमता है? आज हम श्रमिक और किसान हर उस चीज़ का उत्पादन करते हैं, हर उस सेवा को प्रदान करते हैं जो जीवन जीने और अच्छी तरह से जीने के लिए आवश्यक है। हम भोजन और सभी विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करते हैं; हम शिक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य, स्वच्छता और अन्य सेवाएँ प्रदान करते हैं। रेल और सड़क परिवहन के बिना देश और विशेषकर शासक वर्ग जीवित नहीं रह पाएगा। बिजली और IT के बिना, शासक वर्ग आँसू बहाएगा। यह हमारी वर्ग के सदस्य ही हैं जो महत्वपूर्ण खोज और आविष्कार करते हैं, जो अज्ञात पर शोध करते हैं।

हम ही हैं, जो अपना देश चलाते हैं! हमारे, श्रमिकों के बिना, सब कुछ रुक जाता है! उदाहरण के लिए, जब पिछले साल मध्य रेलवे में मालगाड़ियों के लोको पायलट और गार्ड हड़ताल पर चले गए, तो मुंबई डिवीजन में माल यातायात ठप हो गया। न तो रेल मंत्री और न ही रेलवे अधिकारी ट्रेनें चला सके। जब बिजली श्रमिक हड़ताल पर चले गए और बिजली की आवृत्ति कम हो गई, तो ऊर्जा मंत्री और बिजली अधिकारी असहाय हो गए थे।

हम राज क्यों नहीं कर पायेंगे? यदि शासक का कर्तव्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, तो हमने समय-समय पर हमारे पास मौजूद अल्प संसाधनों के साथ ऐसा करने की अपनी इच्छा और अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। आज देश के संसाधनों पर नियंत्रण रखने वाले अरबपतियों के बजाय यदि हम उन पर नियंत्रण कर लें, तो हम इसी धरती पर स्वर्ग का निर्माण कर सकेंगे!

तो मित्रों, कृपया यह न भूलें कि हमारा देश और वास्तव में पूरी दुनिया हमारी मेहनत के आधार पर ही चलती है। श्रमिकों और अन्य मेहनतकशों की शासन करने की क्षमता पर संदेह न करें। वास्तव में, हमारा मिशन है, मजदूर वर्ग, इस सोते हुए विशाल वर्ग को उसकी ताकत से अवगत कराना! हमें लोगों के बीच यह जागरूकता फैलानी है। हमें अपने वर्ग को शासक बनने के लिए तैयार करने की दृष्टि से अपने संगठन बनाने होंगे।

पूंजीपतियों के सत्ता में रहने तक कोई विकल्प संभव नहीं है । हमें पूंजीपति वर्ग की इस या उस पार्टी के पीछे नहीं जाना चाहिए। मुद्दा यह है कि, मजदूर वर्ग और सभी मेहनतकशों का शासन स्थापित करने का प्रयास करते रहना है! इसके लिए हमें अपने वर्ग के, श्रमिक वर्ग के कार्यक्रम को विकसित और लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। हमें इस कार्यक्रम के इर्द-गिर्द सभी कामकाजी लोगों की एकता को संगठित करने की ज़रूरत है!

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