महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव कॉमरेड कृष्णा भोयर और कामगार एकता कमेटी के संयुक्त सचिव डॉ. दास, से प्राप्त जानकारी पर आधारित रिपोर्ट
इस 15 अगस्त को भिवंडी निवासियों ने टोरेंट पावर से आजादी की घोषणा से स्वतंत्रता दिवस मनाया। जैसा कि पहले AIFAP वेबसाइट पर बताया गया था, मुंबई के करीबी शहर भिवंडी के निवासियों ने टोरेंट पावर को भिवंडी में बिजली वितरक के रूप में स्वीकार करने से इनकार करने का फैसला किया है। खासकर पिछले 2 महीनों से विभिन्न जन संगठन और एसोसिएशन एक साथ आए हैं और लगातार बड़े-बड़े प्रदर्शन कर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। 21 जुलाई को “टोरेंट अत्याचार विरोधी जन संघर्ष समिति” के बैनर तले हजारों कामकाजी पुरुषों और महिलाओं ने “टोरेंट हटाओ” की मांग को लेकर एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया था।
फिर 15 अगस्त को “टोरेंट अत्याचार विरोधी जन संघर्ष समिति” ने भिवंडी के हजारों निवासियों की एक बैठक की। बैठक की अध्यक्षता एडवोकेट किरण चन्ने ने की। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज (AIFEE) के राष्ट्रीय सचिव और महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (MSEWF) के महासचिव कॉमरेड कृष्णा भोयर, कामगार एकता कमेटी (KEC) के संयुक्त सचिव डॉ. दास, एटक से कॉमरेड उदय चौधरी और कॉमरेड भारती भोयर तथा बैठक में और कई अन्य ट्रेड यूनियन नेताओं ने भाग लिया। भिवंडी के लोगों के गुस्से ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अब टोरेंट पावर के खिलाफ खड़े होने के लिए मजबूर कर दिया है, जिनमें से कुछ ने पहले खुले तौर पर या गुप्त रूप से टोरेंट पावर का समर्थन किया था। बैठक में उनमें से कुछ पार्टियों के नेता भी शामिल हुए।
एडवोकेट चन्ने ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में भिवंडी के लोगों की सेवा करने में पूरी तरह से विफल रहने और उपभोक्ताओं के साथ उसके अभद्र व्यवहार के लिए टोरेंट पावर की निंदा की। उन्होंने मांग की कि महाराष्ट्र राज्य सरकार को तुरंत टोरेंट पावर से बिजली वितरण, बिल संग्रह आदि का नियंत्रण लेना चाहिए और इसे महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) को सौंप देना चाहिए।
कॉम. कृष्णा भोयर ने बताया कि कैसे महाराष्ट्र सहित पूरे देश में नेशनल कोआर्डिनेशन कमिटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजिनियर्स (NCCOEEE) के निरंतर और उग्र विरोध के कारण, केंद्र सरकार के बिजली वितरण के निजीकरण के प्रयासों को रोक दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार को बिजली अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2022 पारित करने की अनुमति दी गई, तो 36 सप्ताह के भीतर, विभिन्न राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली 44 बिजली वितरण कंपनियों को निजी पूंजीपतियों को सौंप दिया जाएगा, जो पूरे देश में कामकाजी लोगों के लिए विनाशकारी होगा। उन्होंने प्रसन्नता और विश्वास व्यक्त किया कि भिवंडी के बिजली उपभोक्ताओं और महाराष्ट्र के बिजली श्रमिकों का एकजुट संघर्ष न केवल भिवंडी से टोरेंट पावर को उखाड़ फेंकने में सफल होगा, बल्कि पूरे देश में इसी तरह के एकजुट प्रतिरोध को प्रेरित करेगा। उन्होंने MSEWF और AIFEE का पूर्ण सक्रिय समर्थन व्यक्त किया।
बैठक में कई अन्य नेताओं और भिवंडी के सम्मानित निवासियों ने भी बात की। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को 24 मांगों वाला एक ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया।