तमिलनाडु के मज़दूरों ने अधिकारों पर हमलों के ख़िलाफ़ सभा की

कामगार एकता कमिटी (केईसी) के संवाददाता की रिपोर्ट


9 अगस्त को तमिलनाडु में ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों ने चेन्नई और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन किए। चेन्नई के एग्मोर राजरत्नम स्टेडियम में एक विशाल सभा आयोजित की गई। मज़दूरों ने लंबे समय से चली आ रही अपनी मांगों को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की। इस विशाल सभा की तैयारियों के लिए, ट्रेड यूनियनों ने एक महीने से अधिक समय तक पूरे राज्य में बैठकें कीं, घर-घर जाकर प्रचार अभियान चलाये, नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया, वाहनों पर जुलूस निकाले तथा पोस्टर लगाये, आदि। पूंजीपतियों और उनकी सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ मज़दूरों को एकजुट और संगठित करने के इस अभियान में तोड़िलालर ओट्रुमई इयक्कम ने ज़ोरदार तरीके़ से भाग लिया।

ट्रेड यूनियनों के 14 सूत्रीय मांगपत्र में शामिल हैं :

1. मज़दूर वर्ग विरोधी 4 श्रम संहिताओं को ख़त्म करो
2. अस्थायी, कैजुअल और संविदा मज़दूरों को स्थायी करो
3. जीवनयापन के लिये बढ़ते खर्च का मुक़ाबला करने के लिए न्यूनतम मज़दूरी 28,000 रुपये प्रति माह निर्धारित करो
4. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण पर रोक लगाओ
5. सभी मज़दूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी लागू करो
6. सभी मज़दूरों के लिए 10,000 रुपये न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करो
7. सभी आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतें कम करने के लिए क़दम उठाओ
8. सभी कृषि उपजों के लिए लाभकारी मूल्य की गारंटी दो
9. सभी लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पेयजल सुनिश्चित किया जाये
10. भावी पीढ़ियों के हित के लिए पर्यावरण की रक्षा करो

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं तथा बैंकों, बीमा, दूरसंचार, रक्षा क्षेत्र व सरकारी कर्मचारियों की फेडरेशनों के प्रतिनिधियों ने सभा को संबोधित किया। वक्ताओं ने सरकार द्वारा मज़दूर वर्ग पर किये जा रहे हमलों की निंदा की।

वक्ताओं ने बताया कि सबसे भयानक हमला मज़दूरों के उन अधिकारों पर है जिन्हें मज़दूरों ने दशकों से अनगिनत संघर्षों और लड़ाइयों को लड़कर जीता है। बड़े पूंजीपतियों की लालच को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार 4 श्रम संहितायें (लेबर कोड) लेकर आई है। ये संहितायें अनिवार्य रूप से मज़दूरों के अधिकांश अधिकारों पर और हड़ताल पर जाने के उनके अधिकार से इनकार करती हैं, इसके अलावा पूंजीपतियों द्वारा मज़दूरों को काम पर रखकर, कभी भी नौकरी से निकालने को वैध बनाते हैं। उन्होंने इन मज़दूर-विरोधी श्रम संहिताओं को तत्काल वापस लेने की मांग की।

उन्होंने यह भी बताया कि पूरे हिन्दोस्तान में कारखानों में अधिकांश मज़दूर निश्चित अवधि के आधार पर या अनुबंध या कैजुअल मज़दूर के रूप में काम करते हैं। इन मज़दूरों को वैधानिक न्यूनतम वेतन से कम वेतन पर काम करना पड़ता है और उनके पास आजीविका या सामाजिक सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। वक्ताओं ने मांग की कि सभी अस्थायी, कैजुअल और अनुबंध मज़दूरों को जल्द से जल्द नियमित किया जाये।

वक्ताओं ने बताया कि केंद्र सरकार ने पूंजीपतियों के 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण माफ़ कर दिए हैं, जिसे कई बड़े पूंजीपतियों ने बैंकों को वापस करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने मांग की कि सरकार को पूंजीपतियों से इस भारी रकम को वसूलने और इसे मज़दूरों और किसानों की भलाई के लिए इस्तेमाल करने के क़दम उठाने चाहिए।

वक्ताओं ने अत्यधिक मूल्यवान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और कई लाख करोड़ रुपये की संपत्ति को बड़े पूंजीपतियों को सौंपे जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि एल.आई.सी., सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, रेलवे, एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, बिजली उत्पादन कंपनियों आदि को पूंजीपतियों को भारी मुनाफ़ा कमाने के लिए सौंपा जा रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार के निजीकरण कार्यक्रम को रद्द किया जाना चाहिए और वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार की मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ मज़दूरों और किसानों की एकता को मजबूत करने का आह्वान भी किया।

यह घोषणा की गई कि ट्रेड यूनियनें आगे की कार्रवाई तय करने के लिए 24 अगस्त को नई दिल्ली में मज़दूरों और किसानों के संगठनों के एक दिवसीय संयुक्त सम्मेलन में भाग लेंगी।

मज़दूरों ने पूंजीपतियों और उनकी सरकार के ख़िलाफ़ दिनभर चलने वाली सामूहिक सभा में भाग लिया। यह सभा पूंजीपतियों द्वारा मज़दूरों पर किए जा रहे हमलों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ने और उनके सभी मुद्दों के समाधान की मांग के संकल्प के साथ समाप्त हुई।

सभा में शामिल होने के लिए पूरे तमिलनाडु में कार्यकर्ताओं और लोगों के बीच जाकर उन्हें एक साथ लाने के अभियान चलाए गए थे। तोड़िलालर ओट्रुमई इयक्कम ने इन तैयारी बैठकों और 9 सितंबर को कार्यकर्ताओं की सामूहिक सभा में भाग लिया। जिसने मज़दूरों की उचित मांगों और आगे का रास्ता विषय से एक पर्चा निकाला और वितरित किया। इस पर्चे की हजारों प्रतियां नुक्कड़ सभाओं के साथ-साथ सभा में भी मज़दूरों के बीच बांटी गईं।

 

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