कामगार एकता कमिटी (केईसी) के संवाददाता की रिपोर्ट
14 अगस्त, 2023 को राजस्थान नर्सेज़ संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर, राजस्थान के विभिन्न जिला अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों ने अपनी मांगों को लेकर कैंडल मार्च और मशाल जलूस निकाले। प्रदर्शनकारी नर्सों ने अपनी मांगों को रखते हुए, राज्य सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारे लगाये। 15 अगस्त को आज़ादी दिवस पर चल रहे धरना स्थलों पर झंडा रोहण करके नर्सों की मांगों को बुलंद किया गया। नर्सों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर सरकार कोई कार्यवाही नहीं करती, तो 25 अगस्त को जयपुर में विशाल रैली और प्रदर्शन करेंगे।
आंदोलित नर्सों की मुख्य मांगें हैं कि – नर्सिंग शिक्षा सेवाओं और उच्च विभागीय नर्सिंग प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाये; नर्सिंग शिक्षकों के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए; वेतन और भत्तों को केंद्र सरकार के संस्थानों के सामान किये जायें; संविदा नर्सेज़ का नियमितिकरण किया जाए तथा प्लेसमेंट एजेंसी से भर्ती पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए; नर्सिंग आफिसर, नर्सिंग ट्यूटर और प्रधानाचार्य के सभी अधिकारों को सुनिश्चित किया जाये; समयबद्ध पदोन्नति नीति लागू की जाए; रियायती दरों पर आवासीय भूखंड आवंटित कर नर्सिंग कालोनी स्थापित की जाए; नर्सों को अस्पताल के अतिरिक्त कामों पर लगाने पर रोक लगाई जाये; अलग नर्सिंग निदेशालय की स्थापना की जाये, इत्यादि।
राजस्थान में नर्सों का संघर्ष बीते कई महीनों से चल रहा है। 24 जून को राजस्थान नर्सेज़ एसोसियेशन तथा राजस्थान राज्य नर्सेज़ एसोसियेशन एकीकृत समेत नर्सों के कई अन्य संगठन नर्सों की 11 सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर एकजुट हुए थे। उन्होंने राजस्थान नर्सेज़ संयुक्त संघर्ष समिति गठित करके राज्यव्यापी संघर्ष का ऐलान किया था और आगे संघर्ष की रणनीति तैयार की थी। 18 जुलाई से पूरे राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में 11 सूत्रीय मांगों को लेकर 2 घंटे काम के बहिष्कार का ऐलान किया गया था। लेकिन जब सरकार ने इसके बावजूद नर्सों की मांगों को नज़रंदाज़ किया, तो 1 अगस्त से सम्पूर्ण राजस्थान के चिकित्सालयों, चिकित्सा केन्द्रों और नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्रों में नर्सें अपनी मांगों को लेकर, क्रमवार 2 घंटे के विरोध प्रदर्शन और द्वार सभाएं कर रही हैं। 2 से 9 अगस्त तक ग्रामीण चिकित्सालयों व प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों पर 2 घंटे की गेट मीटिंग की गई। 10 अगस्त को नर्सों ने अपनी मांगों के समर्थन में तथा सरकार की मज़दूर-विरोधी तथा जन-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़, जिला अस्पताल से लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय तक, नारों सहित मार्च किया।
16 से 24 अगस्त के बीच, सभी ग्रामीण तथा शहरी जिला अस्पतालों के सामने गेट मीटिंग किये जाने की घोषणा की गयी है।
इन सभाओं और प्रदर्शनों के दौरान नर्सों ने आपातकालीन सेवाओं को सुचारू रखने का फै़सला किया है, ताकि लोगों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलता रहे।