कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) के कर्मचारियों ने जीएम रोडवेज को 25 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। उन्होंने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों का शीघ्र समाधान करने की मांग की है। उन्होंने मांगें पूरी नहीं होने पर 27 सितंबर को राज्यव्यापी हड़ताल करने और बसों का परिचालन ठप करने की घोषणा की है।
यह विरोध प्रदर्शन उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के बैनर तले आयोजित किया गया था।
उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
1. संविदा चालकों एवं बस कंडक्टरों को स्थाई कर्मचारियों के समान वेतनमान दिया जाये तथा एक वर्ष की सेवा के बाद उन्हें नियमित किया जाये।
2. राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले निजी वाहनों एवं अनाधिकृत बसों का परिचालन बंद करें, जिससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है।
3. राष्ट्रीय राजमार्गों को ग्रामीण सड़कों से जोड़ें।
4. यूनियन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बंद करें।
रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इन्हीं मांगों को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन किया।
UPSRTC में लगभग 33,000 संविदा ड्राइवर और कंडक्टर हैं। इनमें से लगभग 18,000 कंडक्टर हैं, और बाकी 15,000 ड्राइवर हैं।
यूनियन के अनुसार, UPSRTC में सिर्फ लगभग 9,000 स्थायी कर्मचारी हैं, जिनमें से 3,000 कंडक्टर और 6,000 ड्राइवर हैं।
इतने कम वेतन में संविदा ड्राइवरों और कंडक्टरों का गुजारा करना मुश्किल हो गया है।
एक ड्राइवर ने कहा, “जब भी हम सड़क पर निकलते हैं, अधिकारी कहते हैं कि अगले 1-2 महीनों में हमारी नौकरियों को आधिकारिक तौर पर स्थायी घोषित कर दिया जाएगा। लेकिन हमें कम वेतन में गुजारा करना मुश्किल हो रहा है।”
वर्ष 2000 के बाद इन संविदा कर्मियों को नियमित नहीं किया गया है।
कर्मचारियों की संविदा नियुक्ति के साथ-साथ UPSRTC द्वारा परिवहन बसों को भी अनुबंधित किया गया है। निगम द्वारा चलाई जाने वाली लगभग 26% बसें अनुबंधित बसें हैं।
केंद्र और राज्य सरकार के उपक्रमों में अनुबंध पर मज़दूरों की संख्या सबसे अधिक हो गई है, जो अनुबंध मज़दूरों के रोजगार के संबंध में सरकार के अपने नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन है। इससे निजी क्षेत्र को स्थायी मज़दूरों के स्थान पर और भी बड़े पैमाने पर अनुबंध मज़दूरों को नियोजित करने की खुली छूट मिल गई है।
सरकार और पूंजीपति दोनों ही अनुबंध मज़दूरों का उपयोग न केवल उन्हें मामूली भुगतान करके अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए करते हैं, बल्कि निजीकरण के खिलाफ और उनके अधिकारों की रक्षा में स्थायी मज़दूरों के संघर्ष को कमजोर करने के लिए भी करते हैं। इसलिए स्थायी मज़दूरों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे नियमित और बारहमासी प्रकृति की नौकरियों के लिए अनुबंध मज़दूरों के उपयोग को रोकने और पहले से कार्यरत अनुबंध मज़दूरों को नियमित करने की मांग करें।