कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
महाराष्ट्र सरकार की नौकरियों के इच्छुक युवाओं ने सरकारी विभागों में अनुबंध कर्मचारियों की भर्ती के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ 15 सितंबर 2023 को पुणे में कलेक्टर कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने नियमित भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से स्थायी सरकारी नौकरियों की मांग की।
राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर नौ निजी कंपनियों को सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, शहरी ग्रामीण, स्थानीय निकायों, निगम बोर्डों और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में विभिन्न पदों पर संविदा कर्मचारियों की भर्ती करने की अनुमति दी है।
(देखिये https://hindi.aifap.org.in/10257/ महाराष्ट्र सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में नियोजित बड़े पैमाने पर ठेकेदारी प्रथा मजदूर-विरोधी और जन-विरोधी है!)
इस आदेश ने युवाओं के स्थायी सरकारी रोजगार हासिल करने के सपने को चकनाचूर कर दिया है। प्रस्ताव का विरोध करते हुए उनका कहना है कि यह सरकार के निजीकरण के समान है।
महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी कर रहे एक युवा ने कहा, “हम किसी निजी कंपनी में काम करने के लिए पढ़ाई नहीं करते हैं। हम सरकारी नौकरी चाहते हैं और यह अनुबंध भर्ती रद्द की जानी चाहिए।”
“महाराष्ट्र भर में नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे लाखों युवा शिक्षित व्यक्तियों के लिए संविदा नियुक्ति खतरनाक है। यह सरकारी नौकरियों में आरक्षण जनादेश को भी कमजोर कर देगा,” पुणे में एमपीएससी उम्मीदवारों के एक संघ, स्पर्धा परीक्षा समन्वय समिति के एक सदस्य ने कहा।
एमपीएससी छात्र अधिकार के एक सदस्य ने बताया, “पहले सी और डी श्रेणी के तहत केवल कुछ पद संविदा नियुक्तियों के माध्यम से भरे जाते थे। लेकिन जीआर श्रेणियों की एक लंबी सूची निर्दिष्ट करता है। संविदात्मक रोज़गार का अर्थ है नौकरी में स्थायित्व नहीं और साथ-साथ सरकार की कोई जवाबदेही नहीं।”