कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
जम्मू और कश्मीर (J&K) सरकार ने 3 नवंबर 2023 को एक आदेश जारी कर अपने कर्मचारियों को अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन या हड़ताल करने से रोक दिया है। “कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी मामले के संबंध में किसी भी प्रकार की हड़ताल का सहारा नहीं लेगा या किसी भी तरह से उनकी सेवा या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी की सेवा के लिए नहीं उकसाएगा।” आदेश में कहा गया है।
आदेश में आगे कहा गया, “कानून का प्रावधान केवल घोषणात्मक प्रकृति का नहीं है और ऐसे किसी भी कर्मचारी के ऐसे कृत्यों में लिप्त पाए जाने की स्थिति में निश्चित रूप से इसके परिणाम होंगे”।
यह आदेश जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम, 1971 के नियम 20 (i) का हवाला देते हुए जारी किया गया है।
यह आदेश अपनी शिकायतों और मांगों को पूरा कराने के लिए प्रदर्शन करने और हड़ताल करने के श्रमिकों के अधिकारों पर हमला है। श्रमिकों को हड़ताल पर जाने में मजा नहीं आता लेकिन जब अन्य सभी रास्ते विफल हो जाते हैं तो उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। श्रमिकों के जीवन के अनुभव ने उन्हें सिखाया है कि चाहे उनकी मांगें सरकार से की जाएं या पूंजीपतियों से, संघर्ष के बिना कुछ हासिल नहीं होता। हड़ताल मजदूरों के संघर्ष का बुनियादी हथियार है जिसे छीना नहीं जा सकता।