अमेज़न के मजदूरों का अपनी माँगों के लिए दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

मजदूर एकता कमिटी (एमईसी) संवाददाता की रिपोर्ट


24 नवम्बर, 2023 को अमेज़न इंडिया वर्कर्स एसोसिएशन, गिग वर्कर्स एसोसिएशन और हाकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने मिलकर, अपनी मांगों को लेकर नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अमेज़न वेयरहाउस मज़दूर, एप-बेस्ड गिग मज़दूर तथा रेहड़ी-पटरी विक्रेता शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में बैनर व प्लेकार्ड ले रखे थे, जिन पर उनकी मुख्या मांगें लिखी थीं।

मज़दूर एकता कमेटी ने इस प्रदर्शन में भाग लिया और उनके संघर्ष का समर्थन किया।


एप आधारित प्लेटफार्म पर काम करने वाले नौजवान महिलाओं और पुरूषों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में देश के अंदर 1.5 करोड़ से अधिक गिग मज़दूर हैं। इनमें से 99 लाख डिलीवरी सेवाओं में लगे हैं। 2022 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2029 तक लगभग 2.35 करोड़ मज़दूर गिग इकोनोमी में काम कर रहे होंगे।

अमेज़न, स्विग्गी, जे़प्टो, ज़ोमेटो, ब्लिंकिट, डन्ज़ो, फ्लिपकार्ट, ओला, उबर, रैपीडो, शैडोफैक्स, यस मैडम, अर्बन कंपनी जैसी 50 से ज्यादा कंपनियों में लाखों मज़दूर अपनी सेवा दे रहे हैं। इनमें से डिलीवरी सेवाओं में लगी कई कंपनियां हिन्दोस्तानी बड़े इजारेदार पूंजीपतियों से जुड़ी हुयी हैं, जैसे कि टाटा ग्रुप का बिग बास्केट तथा मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप का डन्ज़ो। इसके अलावा, अमेज़न और वालमार्ट (फ्लिपकार्ट का मालिक) जैसी कई विदेशी कंपनियां गिग मजदूरों पर आधारित हैं।

धरने का आरंभ ‘हम मेहनत करने वाले सब एक हैं…’ गीत से हुआ।

मज़दूर एकता कमेटी से संतोष कुमार, हाकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी से चरणसिंह, दिल्ली साइंस फोरम से दिनेश अब्रोल, इंडियन फेडरेशन ऑफ़ एप बेस्ड ट्रांसपोर्ट मज़दूरों (आई एफ़ ए टी) की ओर से संगम त्रिपाठी, राजस्थान गिग एंड एप बेस्ड वर्कर्स यूनियन से राजीव तथा अमेज़न वेयरहाउस और ज़ोमेटो के कई मज़दूरों ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया।

धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज देश में गिग मज़दूरों की बढ़ती संख्या की वजह देश में बढ़ती बेरोजगारी तथा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों में नियमित रोजगार की कमी है। गिग मज़दूरों को रोज़गार की घोर असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। पर्याप्त सुनिश्चित आमदनी नहीं है। काम के घंटे अनिश्चित होते हैं। ये मजदूर सभी अधिकारों से वंचित, गुलाम की तरह हैं। ऐसे में, सभी गिग मज़दूरों का अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए आगे आना और संघर्ष करना, यह एक बहुत ही साहसिक कदम है।

उन्होंने बताया कि पूंजीपतियों की सरकार, पूंजीपति मालिकों के मुनाफों में और वृद्धि करने के लिए गिग मज़दूरी को खूब बढ़ावा दे रही हैं और सही ठहरा रही हैं। दिल्ली देश की राजधानी में 95 प्रतिशत मजदूरों को न्यूनतम वेतन के अधिकार से वंचित किया जाता है। उन्हें न्यूनतम वेतन 17,494 रुपये की जगह 6,000-10,000 रुपये में काम करने के लिए बाध्य किया जाता है। ऐसा कई सालों से चल रहा है, हालांकि इस बीच अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की सरकारें बदल चुकी हैं।

कई प्रदर्शनकारी मज़दूरों ने अपनी बातें रखीं। एक डिलीवरी मज़दूर ने बताया कि ये कंपनियां, गिग मजदूरों को अपना पार्टनर तो कहती हैं, मगर कंपनी के मुनाफों में इन “पार्टनरों” की कोई हिस्सेदारी नहीं होती है। गिग मज़दूरों को पार्टनर बताकर, करके ये कंपनियां न सिर्फ मजदूरों को बल्कि दुनिया के आंखों में धूल झोंक रही हैं। जबकि हम कई वर्षों से एक मजदूर बतौर मान्यता दिए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं है। इस तरह वे हमें मज़दूरों को दिए जाने वाले कानूनी न्यूनतम वेतन व और सब अधिकारों से वंचित करते हैं।

गुड़गांव के अमेज़न वेयरहाउस में काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि अमेज़न वेयरहाउस में मज़दूरों का कितना तीव्र शोषण होता है। मज़दूरों पर झूठा आरोप लगाकर, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और डराया-धमकाया जाता है। कंपनी अपने मुनाफों को बढ़ाने के खातिर, मनमाने तरीके से मज़दूरों के लिए अमानवीय, बहुत ऊंचे टारगेट तय करती है। यदि मज़दूर बीमार है, तो उसे बुखार की गोली देकर टारगेट को पूरा करने के लिए कहा जाता है।


अमेज़न कंपनी में काम करने वाली एक लड़की ने बताया कि प्रतिदिन 10 घंटे काम के बाद उन्हें 10,800 रुपये महीना वेतन मिलता है। इससे गुज़ारा करना बेहद मुश्किल है। अमेज़न में मजदूरों को एक महीने या तीन महीने या ग्यारह महीने के कांट्रेक्ट पर रखा जाता है। बहुत ऊंची टारगेट मज़दूरों की शारीरिक व मानसिक क्षमताओं को प्रभावित करती है।

अमेज़न वेयरहाउस मजदूरों, डिलीवरी मज़दूरों और सभी गिग मज़दूरों ने मज़दूर बतौर मान्यता दिए जाने, न्यूनतम वेतन 25,000 रूपए, कांट्रेक्ट सिस्टम को ख़त्म करने, कार्ड ब्लाकिंग सिस्टम को बंद करने, दुर्घटना मुआवज़ा दिए जाने, महिलाओं के लिए शौचालय व पर्याप्त सुविधाएं तथा सम्मानजनक व्यवहार, 20,000 रुपए दिवाली बोनस, इत्यादि जैसी मांगें रखी हैं। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक सुरक्षा– ई.एस.आई. और पी.एफ.– की गारंटी और कंपनी प्रतिनिधि, मज़दूर संगठन व सरकार के त्रिपक्षीय बोर्ड के गठन की मांग की है। रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं ने लघु उद्योगों के बचाव और ई-कामर्स के नियामन व नियंत्रण के लिए सरकार से मांग की है।

प्रदर्शन के अंत में, श्रम और रोज़गार मंत्रालय को मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा।

 

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