रेलवे यात्रियों की सुरक्षा और रेलसेवा सुधारने के लिए कामगार एकता कमेटी और उपनगरीय रेलवे प्रवासी एकता संघ द्वारा बदलापूर में किये गए हस्ताक्षर अभियान को मिला यात्रियों का जोरदार समर्थन

कामगार एकता कमेटी संवाददाता की रिपोर्ट, 3 दिसंबर 2023

मुंबई लोकल ट्रेन के बदलापुर स्टेशन पर 1 दिसम्बर 2023 को शाम के समय कामगार एकता कमेटी तथा उपनगरीय रेलवे प्रवासी एकता संघ के द्वारा एक ज़बरदस्त मुहीम चलायी गयी। जब ट्रेन आती थी तब कई समय तक इतनी भीड़ होती थी कि खड़ा होना मुश्किल था; फिर भी चंद घंटों में लोगों ने मांग पत्र पर हजारों हस्ताक्षर दिए। लोगों की इतनी सहानुभूति थी, कि 4 अनजान लोगों ने रुक कर संगठकों को चाय पिलाने की बात की। रोकने के लिए जो पुलिस आई थी, उन्हों ने भी पूछताछ के बाद मुहीम को अपना समर्थन दिया। कई लोगों ने कहा कि हम भी हस्ताक्षर जुटाएंगे। और अगर आपने मोर्चा निकाला, तो हम जुड़ जाएँगे।

क्या था यह माजरा? आइये, आगे पढिये।


भारतीय रेल को अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा कहा जाता है। मुंबई की लोकल शहर की जान है। हर रोज करीबन 80 लाख लोग मुंबई की लोकल से यात्रा करते है। रेलयात्रियों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है लेकिन उस मात्रा में रेलगाड़ियों या स्टेशनों पर मौजूद सुविधाओं की संख्या नहीं बढ़ रही है। मुंबई की लोकल में इतनी भीड़ होती है की हर दिन यात्री अपनी जान हथेली पर रखकर सफ़र करते हैं। रेलवे के पुल इतने खचाखच भरे होते हैं की कभी कभी एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए 15 मिनिट भी लग जाते हैं। इसी वजह से कई यात्री पटरी पार करने के लिए मजबूर होते हैं। आज रेलवे की हालत इतनी ख़राब है की हर दिन 8 से 10 यात्रियों की रेलवे से गिरकर या पटरी पर आकर मौत होती है।

क्या रेलवे को यह समस्या सुलझाना असंभव है? सरकार और रेलवे प्रशासन की क्या जिम्मेदारी है? क्या हम हाथ पर हाथ रखकर बैठ सकते हैं?

इन्हीं समस्याओं को हल करने की ओर एक कदम बतौर, कामगार एकता कमेटी और उपनगरीय रेलवे प्रवासी एकता संघ द्वारा 1 दिसम्बर 2023 को बदलापूर रेलवे स्टेशन पर हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया। बदलापूर स्टेशन के प्लेटफार्म, रेलवे पुल और स्टेशन के आसपास हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।

अभियान की मुख्य मांगे थी:

• सभी ट्रेनों में डिब्बों की संख्या बढ़ाना,
• रेलवे स्टेशनों के बाहर नए पुलों का निर्माण,
• दीघा-ऐरोली रेल लाइन को पूरा करने को प्राथमिकता देना,
• रेलवे स्टेशनों पर अधिक पुल बनाना और मौजूदा पुलों का नवीनीकरण करना,
• CBTC (संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण) की स्थापना जिससे दो ट्रेनों के बीच का समय कम होकर ज्यादा ट्रेनें चलाई जा सकें।


इस अभियान ने मानो रेलयात्रियों की नब्ज पकड़ी हो। कॉलेज के छात्रों से लेकर बुजुर्गों तक, महिलाओं और पुरुषों ने अपने हस्ताक्षर किये। केवल तीन घंटों में ही 2800 से ज्यादा हस्ताक्षर इकठ्ठे किये गए। रेलवे की भीड़ से लोग इतने परेशान थे कि कई युवक रिक्त हस्ताक्षर पत्रिकाएं ले गए और अपने रिहायशी इलाकों से हस्ताक्षर जुटाने का हमें आश्वासन दिया। कई लोग जिनमें ज्यादातर महिलाएं थी – उन्होंने इन मांगों के लिए मोर्चा में शामिल होने की भी तैयारी दिखाई।

हस्ताक्षर अभियान आयोजित करने वाले संघटनों ने समापन मीटिंग में फैसला किया कि आनेवाले दिनों में मुंबई के अन्य स्टेशनों पर हस्ताक्षर अभियान हम जारी रखेंगे। आगे की दिशा तय करने के लिए दिवा में एक मीटिंग आयोजित की जाएगी।

रेलवे हमारे टैक्स के पैसे से ही बनी है। हम सरकार को टैक्स केवल इसीलिए देते हैं क्योंकि रेलवे जैसी सुविधा मुनासिब दामों पर उपलब्ध करना सरकार की जिम्मेदारी है। रेलवे की सेवाओं में सुधार किया जा सकता है, आज जब हम इतने कम खर्चे में चंद्रयान भेज सकते है तो उन्ही ट्रैक पर ज्यादा ट्रेन जरूर चला सकते हैं। नए पुलों का निर्माण किया जा सकता है तथा पुराने पुलों को चौड़ा बनाया जा सकता है।

रेलवे सुरक्षा के लिए हस्ताक्षर अभियान पहला कदम है। सार्वजनिक संपत्ति को सब के हित के लिए बेहतर बनाने की जरुरत है।

 

 

हस्ताक्षर अभियान में बांटा गया पर्चा:

मुंबई लोकल – भीड़भाड़ की समस्या का समाधान किया जा सकता है और किया जाना चाहिए!

कामगार एकता कमिटी, सितंबर 2023

भारतीय रेलवे (IR) के 2 करोड़ यात्रियों में से लगभग 40% यात्री मुंबई लोकल के यात्री हैं। 2019-20 में दैनिक यात्रियों की संख्या 85 लाख थी। यह आंकड़ा विश्व के आधे से ज्यादा देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है!

व्यस्त समय में बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं, बच्चों या किसी भी पहली बार सफर कर रहे व्यक्ति के लिए मुंबई लोकल में चढ़ना असंभव है। प्लेटफॉर्म भी खचाखच भरे होते हैं। पुलों की कमी की वजह से उनमें बहुत भीड़ होती है और कई लोग ट्रैक पार करने पर मजबूर हो जाते हैं क्योंकि पुल पार करने में ही 15 मिनट लग जाते हैं। मुंबई लोकल में यात्रा करते समय प्रतिदिन लगभग 10-11 यात्री ट्रेनों से गिरकर या पटरी पार करते समय मर जाते हैं!

अगर आम जनता के हितों को ध्यान में रखा जाए, जो प्रतिदिन लोकल का उपयोग करते हैं तो हम दावे से कह सकते हैं कि मुंबई लोकल में भीड़भाड़ की समस्या हल हो सकती है! ये बस कुछ चीज़ें हैं जो की जा सकती हैं:

1. CBTC (संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण) की स्थापना: CBTC एक ऐसी तकनीक है जो 2 ट्रेनों के बीच समय अंतराल को कम कर ट्रेनों की संख्या को बढ़ाएगी । यदि ट्रेनों के बीच समय अंतराल कम कर दिया जाए तो ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है और भीड़ को कम किया जा सकता है। MRVC के एक अधिकारी ने कहा, ”CSMT और पनवेल के बीच हर घंटे 15 ट्रेनें चलती हैं। CBTC के बाद यह संख्या बढ़कर 24 हो सकती है।’ भारत में हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, पुणे, कोच्चि और लखनऊ में मेट्रो लाइनों के लिए इसका उपयोग पहले से ही किया जा रहा है।

2. सभी ट्रेनों में डिब्बों की संख्या बढ़ाना: कुछ लोकल ट्रेनों में 15 डिब्बे हैं, लेकिन अधिकांश ट्रेनों में केवल 12 डिब्बे हैं! सभी ट्रेनों में अतिरिक्त कोच बढ़ाना, भीड़ को कम करने का सबसे आसान और तुरंत संभव समाधान है।

3. दीघा-ऐरोली रेल लाइन को पूरा करने को प्राथमिकता देना: हम सभी जिन्होंने सेंट्रल लाइन पर ठाणे स्टेशन से एक बार भी यात्रा की है, हर दिन व्यस्त समय में ठाणे से ट्रेन पकड़ने के विचार से डरते हैं। कलवा-दीघा-ऐरोली के बीच एक अतिरिक्त ट्रैक 2021 में परिचालन के लिए शुरू होना था, लेकिन यह अभी भी अधूरा है। इसका उद्देश्य बदलापुर, कल्याण, डोंबिवली आदि स्टेशनों से यात्रा करने वाले लोगों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाकर ठाणे स्टेशन पर भीड़ कम करना था, इसके अलावा उन लोगों की यात्रा के समय और परेशानी को कम करना था जो दिवा से नवी मुंबई जाना चाहते हैं।

4. रेलवे स्टेशनों पर अधिक पुल बनाना और मौजूदा पुलों का नवीनीकरण करना: कई पुल खराब स्थिति में हैं और उन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। वास्तव में व्यस्त समय में जब इन पुलों पर संख्या बढ़ जाती है तब कंपन को महसूस किया जा सकता है । अधिकांश स्टेशनों पर अधिक पुलों की भी सख्त जरूरत है।

5. रेलवे स्टेशनों के बाहर नए पुलों का निर्माण: मुंबई लोकल नेटवर्क के लगभग सभी स्टेशनों पर हमेशा एक ही समय में स्टेशनों से बाहर निकलने वाले यात्रियों, ऑटो-रिक्शा या टैक्सियों और निजी वाहनों का भारी यातायात होता है। व्यस्त समय में समस्या बढ़ जाती है। ऐसे पुलों का निर्माण करना आवश्यक है जो लोगों को सीधे रेल प्लेटफार्मों से बाहर भीड़-भाड़ वाले स्टेशन निकास से कुछ सौ मीटर दूर ले जाएगा।

मुंबई लोकल के रोज़ के यात्रियों की मौजूदा समस्याओं के ये कुछ समाधान हैं। हमें एकजुट होकर सुरक्षित और आरामदायक लोकल ट्रेन के लिए लड़ना होगा! यदि आप अभियान में शामिल होना चाहते हैं तो हमें संपर्क करें!

संपर्क: 9769140991, 9920640416

 

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