एक और कदम निजीकरण की दिशा में – ट्रांसमिशन लाइनों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता समाप्त

कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट


विद्युत् मंत्रालय ने विद्युत् ट्रांसमिशन को सुविधाजनक बनाने के लिए नए नियम निर्धारित किए हैं। अब एक निर्धारित मात्रा से अधिक भार और ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ESS) रखने वाले उपभोक्ताओं को लाइसेंस की आवश्यकता के बिना समर्पित ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित करने, संचालित करने और बनाए रखने की अनुमति होगी।
ऐसी सुविधा की अनुमति देने से देश में थोक उपभोक्ताओं की एक नई श्रेणी उभरेगी, जिसे अधिक किफायती बिजली मिलेगी। यह सुविधा उत्पादन कंपनियों और कैप्टिव उत्पादन स्टेशनों के लिए पहले से ही उपलब्ध थी।

नए नियम में प्रावधान है कि कोई उत्पादन कंपनी या कैप्टिव उत्पादन संयंत्र या ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करने वाला कोई व्यक्ति या कोई उपभोक्ता, जिसका लोड अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम के मामले में 25 मेगावाट और इंट्रा-स्टेट के मामले में 10 मेगावाट से कम न हो, उसे ट्रांसमिशन सिस्टम को ग्रिड से जुड़ने के लिए समर्पित ट्रांसमिशन लाइन की स्थापना, संचालन या रखरखाव के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।

केंद्रीय उर्जा मंत्री ने कहा कि उद्योग के लिए समर्पित ट्रांसमिशन लाइनों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त करने से उद्योग के लिए व्यापार करने में आसानी होगी।
बिजली उत्पादन का बड़ी निजीकरण करने के बाद, अब कॉर्पोरेट घराने ट्रांसमिशन और वितरण का निजीकरण चाहते हैं जिसके लिए केंद्र सरकार विभिन्न कदम उठा रही है। समर्पित ट्रांसमिशन लाइन की स्थापना के लिए लाइसेंस की आवश्यकता समाप्त कर अब ट्रांसमिशन क्षेत्र के निजीकरण को और बढ़ावा मिलेगा।

 

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