कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) की फेडरल काउंसिल की बैठक में बिजली (संशोधन) नियमों के माध्यम से केंद्र सरकार के निजीकरण के एजेंडे का जोरदार विरोध किया गया। प्रतिस्पर्धी बोली के नाम पर लगभग हर राज्य में ट्रांसमिशन का बड़े पैमाने पर निजीकरण चल रहा है।
फेडरल काउंसिल की बैठक चेन्नई में आयोजित की गई थी और इसमें पंजाब, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम, गुजरात और तमिल नाडु सहित देश भर के 23 राज्य घटकों ने भाग लिया था।
एआईपीईएफ के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार ने 5 बार बिजली संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार किया लेकिन लगातार दो लोकसभा कार्यकाल में उन्हें पारित कराने में सफल नहीं हो सकी।
एआईपीईएफ के महासचिव श्री रत्नाकर राव ने कहा कि बिजली इंजीनियर राजनीतिक नेताओं को निजीकरण के नुकसान के बारे में जानकारी देंगे। राज्य बिजली उपयोगिताओं में स्मार्ट मीटर की स्थापना बिजली क्षेत्र के निजीकरण का एक और तरीका है।
एआईपीईएफ ने फेडरल काउंसिल में महिला इंजीनियरों को शामिल करने के लिए अपने संविधान में संशोधन किया। पश्चिम बंगाल के इंजिनियर मौपाली मुखोपाध्याय को एआईपीईएफ का वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाया गया।