कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
22 जुलाई 2024 को वित्त राज्य मंत्री ने एक सांसद द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
इसी प्रकार, एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि यद्यपि सरकार को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) के गठन के लिए दो अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन वर्तमान में सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
स्मरण रहे कि वर्ष 2003 में तत्कालीन सरकार ने एकतरफा तरीके से गैर-अंशदायी गारंटीकृत ओपीएस के स्थान पर अंशदायी पेंशन योजना अर्थात् नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की थी। सरकार ने दावा किया था कि एनपीएस के तहत कर्मचारियों और सरकार द्वारा योगदान किए गए पैसे का बाजार में निवेश किया जाएगा और उस पर भारी रिटर्न मिलेगा, जिससे उन्हें अच्छी खासी पेंशन मिलेगी। परंतु, अब सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पता चल रहा है कि उन्हें एनपीएस से बहुत कम पेंशन मिल रही है। इसलिए वे पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
ओपीएस की बहाली के लिए पिछले कुछ वर्षों में पूरे देश में केंद्रीय और राज्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए आंदोलन के जवाब में सरकार ने एनपीएस में सुधार के लिए मार्च 2023 में एक समिति का गठन किया था। 15 महीने बीत जाने के बाद भी समिति ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत नहीं की हैं।
सीपीसी के मामले में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों का यह अधिकार है कि वे महंगाई के हिसाब से 10 साल में एक बार वेतन में संशोधन करवाएं। 7वें सी.पी.सी. का गठन फरवरी 2014 में हुआ था और इसने नवंबर 2015 में अपनी सिफारिशें पेश की थीं। इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। 7वें सी.पी.सी. ने भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों को उचित वेतन वृद्धि दिए बिना उनके साथ अन्याय किया था। इसलिए, कर्मचारियों की जायज मांग को खारिज करने का सरकार के पास कोई औचित्य नहीं है।