इंडियन रेलवे एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन (IRTS&TMU) से प्राप्त रिपोर्ट
7 अक्टूबर 2024 को पश्चिम मध्य रेलवे जोन के भोपाल डिवीजन में ओबैदुल्ला गंज रेलवे स्टेशन के पास नियमित ट्रैक सर्किट रखरखाव कार्य कर रहे एक सहायक सिग्नल और दूरसंचार मेंटेनर की रानी कमलापति जन शताब्दी एक्सप्रेस ने कुचलकर हत्या कर दी।
इसके बाद, इंडियन रेलवे एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन (IRS&TMU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार ने सिग्नल और टेलीकॉम (एसएंडटी) कर्मचारियों की सुरक्षा चिंता को उठाया और आरोप लगाया कि रेलवे प्रशासन अपने फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने में विफल रहा है।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, एक इलेक्ट्रिकल सिग्नल मेंटेनर (ईएसएम) दो सहायकों के साथ सिग्नल सर्किट सिस्टम के उचित कामकाज की जांच कर रहा था, जब उनमें से एक, आकाश गोस्वामी, तेज गति से आ रही एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गया।
कुमार ने कहा, “रेलवे प्रशासन को सिग्नल मेंटेनर्स की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है। वरिष्ठ अधिकारी एसएंडटी कर्मचारियों की दुर्दशा से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वे जानते हैं कि हम एक जीवंत वातावरण में पटरियों पर काम करते हैं जो हर समय ट्रेनों की आवाजाही के लिए खुला रहता है। इसके बावजूद किसी भी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है।”
IRS&TMU के पदाधिकारियों के अनुसार, पहले उन्हें प्रमुख स्टेशनों पर वॉकी-टॉकी मुहैया कराए जाते थे, जिससे वे ट्रेन चालक दल और स्टेशन मास्टरों के बीच बातचीत सुनकर या सीधे स्टेशन मास्टरों से संवाद करके ट्रेनों की आवाजाही से अवगत होते थे, लेकिन भारतीय रेलवे में इन हैंड-हेल्ड उपकरणों की कमी के कारण, अधिकारियों ने 2020 के बाद धीरे-धीरे एसएंडटी श्रमिकों को इन्हें देना बंद कर दिया। IRS&TMU के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने कहा, एसएंडटी श्रमिकों की बात तो छोड़िए, वॉकी-टॉकी की इतनी कमी है कि रेलवे ट्रेन चालक दल और स्टेशन मास्टरों की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है। यह एसएंडटी विभाग ही है जो न केवल ट्रेन चालक दल, स्टेशन मास्टरों आदि को वॉकी-टॉकी उपलब्ध कराता है बल्कि इसके नियमित रखरखाव के लिए लगभग प्रत्येक मंडल में सर्विस सेंटर भी चलाता है, लेकिन यह विडंबना है कि एसएंडटी श्रमिक खुद इसके लाभ से वंचित हैं।
उन्होंने कहा, “एसएंडटी कर्मचारियों की कमी और रिक्तियां परेशानी को और बढ़ा रही हैं। हमारे पास इतने लोग नहीं हैं कि हम उन्हें सहायक के तौर पर भेज सकें जो कॉल बॉय के तौर पर काम कर सकें और अपने काम में व्यस्त कर्मचारियों को ट्रेन की आवाजाही के बारे में पता डे सकें।”
सिग्नल विभाग की परिसंपत्तियों में वृद्धि को रेखांकित करते हुए कुमार ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ट्रैक सर्किट में 269 प्रतिशत, सिग्नल में 28 प्रतिशत और स्वचालित सिग्नलिंग में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
IRS&TMU ने यह भी शिकायत की कि जोखिम भरे माहौल में काम करने के बावजूद ‘जोखिम और कठिनाई भत्ते’ की उनकी लंबे समय से लंबित मांग पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वे वित्त मंत्रालय से ‘जोखिम और कठिनाई भत्ते’ के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए कहें।
भारतीय रेलवे में 60,000 से अधिक सिग्नल और टेलीकॉम (एसएंडटी) मेंटेनर कार्यरत हैं और उनका काम सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए सिग्नलिंग सिस्टम की देखभाल करना है।