कामगार एकता कमेटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट
अखिल भारतीय कार्रवाई के एक हिस्से के रूप में, ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) के बैनर तले पुणे डिवीजन के लोको रनिंग स्टाफ ने 24 सितंबर को पुणे में DRM कार्यालय के सामने एक बहुत ही लड़ाकू प्रदर्शन का आयोजन किया।
इस सभा को संबोधित करने वालों में मध्य रेलवे के जोनल सहायक महासचिव श्री पिंटू रॉय, कार्यसमिति सदस्य श्री पंकज कुमार, AILRSA के मंडल कोषाध्यक्ष श्री सुधीर कुमार, ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (AIRTU) के श्री दशरथ, स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन के नेता श्री संदीप वाघमारे और कामगार एकता कमेटी (KEC) के दोनों संयुक्त सचिव कॉमरेड प्रदीप और कॉमरेड दास शामिल थे।
लोको पायलटों के संघर्ष के समर्थन में KEC द्वारा जारी एक पर्चा प्रदर्शन और अन्य स्थानों पर भी वितरित किया गया। (रिपोर्ट के अंत में दिया गया है)।
अपने संबोधन में AILRSA के एक नेता ने बताया कि लोको रनिंग स्टाफ विभिन्न मांगें क्यों उठा रहा है। हम यहां उन विवरणों को नहीं दोहरा रहे हैं, क्योंकि उन्हें इस वेबसाइट पर कई लेखों में समझाया जा चुका है। परंतु, नेता ने जिस महत्वपूर्ण बिंदु का उल्लेख किया है, उसे यहां दोहराना बहुत जरूरी है। रेलवे प्रशासन को चुनौती देते हुए उन्होंने घोषणा की कि रेलवे प्रशासन द्वारा अपनाई जा रही कोई भी दबाव की रणनीति लोको रनिंग स्टाफ को दबाने में सक्षम नहीं होगी, क्योंकि उन्हें AILRSA सदस्यों और अन्य भारतीय रेलवे कर्मचारियों की लड़ाकू एकता पर पूरा भरोसा है। उन्होंने बताया कि कैसे AILRSA सदस्यों ने खड़गपुर के 5 लोको पायलट और सहायक लोको पायलटों का समर्थन करने के लिए धन जुटाया, जिन्हें रेलवे अधिकारियों द्वारा उनके साथ किए गए घोर अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए छह साल तक बिना नौकरी के संघर्ष करना पड़ा। अंत में रेलवे प्रशासन को झुकना पड़ा और उन सभी को बहाल करना पड़ा।
अन्य संगठनों के नेताओं ने AILRSA द्वारा उठाई गई न्यायोचित मांगों का अपना मजबूत समर्थन व्यक्त किया और जोर देकर कहा कि उन्होंने संघर्ष का जो रास्ता चुना है, वह सभी के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियां बनाना है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। वक्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा दिया जाने वाला यह बहाना कि उनके पास कोई फंड नहीं है, झूठ है। सरकार के पास अमीर कॉरपोरेट्स को देने के लिए तो बहुत सारा फंड है, लेकिन मेहनतकशों या सुरक्षित रेल-परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए नहीं, ताकि हर दिन ट्रेनों से यात्रा करने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा की गारंटी हो।
बताया गया है कि भारतीय रेलवे के अधिकारी भारतीय रेलवे के कई डिवीजनों में ऐसी किसी भी कार्रवाई को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। पुणे में भी इसी तरह के प्रयास किए गए। जब प्रदर्शन चल रहा था, तो रेलवे पुलिस कर्मियों की एक बड़ी टुकड़ी बार-बार कई तरह की रुकावटें डाल रही थी। उन्होंने लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को रोकने की कोशिश की, यह कहते हुए कि इससे “अशांति” पैदा होगी। उन्होंने यह कहने की कोशिश की कि प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। लेकिन जब वे सफल नहीं हुए, तो उन्होंने कार्यवाही को जल्दी से जल्दी बंद करने का प्रयास किया। परंतु प्रतिभागियों के जज्बे ने सुनिश्चित किया कि प्रदर्शन कुछ घंटों तक जारी रहे। जब प्रदर्शन के दौरान अचानक बारिश होने लगी, तो प्रतिभागियों ने जिस तिरपाल पर वे बैठे थे, उसे उठाकर बारिश से बचाने के लिए इस्तेमाल किया और सुनिश्चित किया कि प्रदर्शन जारी रहे।
इस आंदोलन का एक उल्लेखनीय पहलू यह था कि लोको रनिंग स्टाफ के परिवार के सदस्य भी 80 किलोमीटर से अधिक दूर दौंड से आए थे और उन्होंने भी आंदोलन में भाग लिया। परिवार के सदस्यों की इस भागीदारी ने निस्संदेह हजारों लोगों के मन में यह बात बिठा दी होगी कि लोको रनिंग स्टाफ द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे वास्तव में बहुत गंभीर हैं। परिवार के सदस्यों की इस तरह की भागीदारी आंदोलन की ताकत को कई गुना बढ़ा देती है। आरआईएनएल संघर्ष (विशाखापत्तनम में) की एक साल से अधिक समय तक की सफलता का श्रेय इस तथ्य को जाता है।
हम सभी एआईएफएपी घटकों से भारतीय रेलवे के लोको रनिंग स्टाफ के न्यायोचित संघर्ष का समर्थन करने का आह्वान करते हैं!
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लोको पायलटों का संघर्ष जिंदाबाद !
कामगार एकता कमिटी का बयान, 22 सितम्बर 2024
लोको पायलट साथियों,
आपका संगठन AILRSA के नेतृत्व में, पूरे देशभर आपने अपनी कई महत्वपूर्ण मांगों के लिए संघर्ष छेड़ा है I हमेशा की तरह, हम कामगार एकता कमिटी की ओर से आपके संघर्ष का पुरजोर समर्थन करते हैं I
१) रेलवे का निजीकरण एवं निगमीकरण बंद किया जाये,
२) रनिंग स्टाफ को आवधिक विश्राम 46 घंटे दिया जाये, लगातार दो रात्रि से अधिक रात्रि ड्यूटी ना कराई जाये, तथा रनिंग स्टाफ को ३६ घंटे में मुख्यालय वापिस किया जाये,
३) मालगाड़ी में अधिकतम 8 घंटे तथा सवारी गाडी में अधिकतम 6 घंटे ड्यूटी निर्धारित की जाये,
४) रनिंग स्टाफ के सभी रिक्त पद तुरंत स्थाई तौर पर भर दिए जायें.
इन प्रमुख माँगों के अलावा वेतन तथा प्रोमोशन, टॉयलेट का इंतजाम, महिला लोको पायलटों के लिए विशेष प्रबंध, आदि से संबंधित भी कई माँगे हैंI
कामगार एकता कमिटी का मानना है कि लोको पायलट, स्टेशन मास्टर्स, गार्ड, सिग्नल एंड टेलीकोम, ट्रेक मेंटेनर, आदि रेल्वे के ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट से संबधित सभी कर्मचारियों पर एक विशेष जिम्मेदारी है, “हर रोज कुछ करोड़ यात्रियों की एवं दसियों लाख टन चीज वस्तुओं की समयोचित तथा सुरक्षित यातायात”I आप सभी पुरजोर प्रयास करके वह जिम्मेदारी निभाने की हमेशा ही पूरी कोशिश करते हैंI मगर रेल प्रशासन का आपके साथ बेहद लापरवाही का रवैया रहा है I उस वजह से आपको कार्यस्थल पर भारी तनाव का मुकाबला करना पड़ता है जिसका बेहद विपरीत असर आपके स्वास्थ्य एवं पारिवारिक जीवन पर होता हैI तनाव की हालातों में काम करने से आपकी एवं यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में आती हैI इतना ही नहीं बल्कि अगर कोई रेल दुर्घटना होती है तो बड़े बेशर्मी से रेल प्रशासन और सरकार आप ही को दोषी के कठघरे में खड़े करते हैं I कामगार एकता कमिटी का मानना है कि आपको तनावरहित और सम्मानजनक हालातों में काम करना चाहिए और वह पूरी तरह रेल प्रशासन एवं सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है I
साथियों,
हम आपको सलाम करते हैं क्योंकि बेहद मुश्किलों एवं रेल प्रशासन एवं सरकार के जबरदस्त दबाव के बावजूद आपने आपका संघर्ष अधिक व्यापक एवं तीखा किया हैI उस संघर्ष की वजह से सरकार को झुकना पड रहा हैI यही कारण है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सरकार को पत्र लिखकर रेलवे में पोस्ट भरने की बात उठानी पड़ीI ऐसी भी खबरें आरही हैं कि अलग अलग झोन में उच्च अधिकारी पत्र लिखकर निर्देश दे रहे हैं कि 10 घंटे से ज्यादा ड्यूटी लोको पायलट को ना दी जाये, आदिI मगर यह सब एक नाटक या नौटंकी प्रतीत होता है क्यों कि वास्तव में अगर लोको पायलट ज्यादा ड्यूटी करने से इंकार करते हैं तो उनपर झूठे आरोप लगाकर सस्पेंड करना, ट्रांसफर करना, ऐसी कार्यवाही अधिकारी करते हैं I पूना डिविजन में आपका यही अनुभव रहा हैI रेल प्रशासन एवं सरकार की इस कूटनीति की हम कामगार एकता कमिटी की ओर से भर्त्सना करते हैंI पूना डिविजन में आपने मजबूत एकता से उस कार्यवाही का विरोध किया एवं अधिकारीयों को वह अन्यायपूर्ण कार्यवाही ख़ारिज करनी पड़ीI आपके मजबूत एकता की हम सराहना करते हैंI
साथियों,
सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उद्योगों का निजीकरण करने की सरकार की कोशिशों की वजह से सभी उद्योगों में बड़ी तादाद में रिक्तियाँ है, काम के हालात बेहद असुरक्षित हो गए हैं, नौकरी की असुरक्षा बेहद बढ़ गई है, जिससे सभी मजदूरों को बेहद बुरा असर झेलना पड रहा हैI कामगार एकता कमिटी का मानना है कि निजीकरण की यह नीति केवल मजदूर विरोधी ही नहीं, बल्कि समाजविरोधी एवं देशविरोधी हैI इसीलिए, कामगार एकता कमिटी. सार्वजनिक क्षेत्र के सभी मजदूरों एवं उपभोक्ताओं, याने की आम जनता की एकजुट बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैI निजीकरण विरोधी सर्व हिंद फोरम (AIFAP) के कार्य को देशभर फैलाना उसी काम में एक कदम हैI उस माध्यम से आपके संघर्ष को भी हमने लोकप्रिय बनाया हैI
आइए साथियों, हम मिलकर आपके इस जायज संघर्ष को आम जनता का समर्थन प्राप्त करने की दिशा में अभियान चलाएं!
आइए साथियों, हम मिलकर देश के दूसरे मजदूरों से आपकी एकता को और मजबूत बनाएं!
संपर्क – दास 9819588373 ; गिरीष 9819323064 ; सूर्यकांत 9820119317