कामगार एकता कमेटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
चंडीगढ़ UT बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ 22 नवंबर को राष्ट्रीय विद्युत कर्मचारी एवं अभियंता समन्वय समिति (NCCOEEE) के बैनर तले एक जन सम्मेलन की योजना बनाई गई है।
ऑल इंडिया पॉवर इजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के अध्यक्ष श्री शैलेंद्र दुबे और इसके महासचिव श्री रत्नाकर राव उत्तरी राज्यों से आने वाले प्रतिभागियों में शामिल होंगे। पड़ोसी राज्यों के बिजली इंजीनियर भी बड़ी संख्या में सम्मेलन में भाग लेंगे।
श्री दुबे ने कहा कि AIPEF चंडीगढ़ के बिजली कर्मियों के साथ निजीकरण के खिलाफ उनकी लड़ाई में खड़ा है। इसी तरह की स्थिति में पुडुचेरी में बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया को AIPEF के हस्तक्षेप के बाद रोक दिया गया था। विद्युत अधिनियम की धारा 133 (2) कर्मचारियों को किसी भी स्थानांतरण योजना के तहत कम अनुकूल सेवा शर्तों पर कर्मचारियों को स्थानांतरित नहीं करने के लिए सुरक्षा प्रदान करती है।
श्री रत्नाकर राव ने कहा कि प्रशासन बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 131 के तहत ऐसा कोई प्रावधान न होने के बावजूद सरकार की 100% हिस्सेदारी बेच रहा है। इसके अलावा, विभाग पिछले तीन वर्षों से लाभ कमा रहा है और सभी तकनीकी मापदंड अच्छे हैं, फिर भी इसका निजीकरण किया जा रहा है।
प्रशासन बिजली विभाग का निजीकरण करके कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। बिजली क्षेत्र के इंजीनियर और कर्मचारी निजीकरण की आड़ में चंडीगढ़ यूटी के बिजली कर्मचारियों की सेवा शर्तों को बदलने नहीं देंगे।