कामगार एकता कमेटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले 7 दिसंबर को प्रदेश के सभी जनपदों, परियोजना मुख्यालयों और राजजधानी लखनऊ में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया। प्रदेश भर में हुई सभाओं में बिजली कर्मचारियों ने संकल्प लिया कि उत्तर प्रदेश में आम जनता के व्यापक हित में और कर्मचारियों के हित में बिजली का निजीकरण पूरी तरह अस्वीकार्य है और लोकतान्त्रिक ढंग से इस निजीकरण को समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए किए जाएंगे।
लखनऊ में हुई विरोध सभा में बड़ी संख्या में बिजली कर्मी व अभियंता शामिल हुए। सभा को संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने संबोधित किया।
पदाधिकारियों ने कहा कि ग्रेटर नोएडा की निजी कंपनी किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने के बजाय ज्यादा रुचि औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र में बिजली देने में लेती है। स्वाभाविक है निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि सरकारी कंपनी सेवा के लिए काम करती है।
संघर्ष समिति ने एक बार पुनः कहा कि घाटे के झूटे आँकड़े देकर और भय का वातावरण बनाकर निजीकरण को थोपने की कोशिश की जा रही है, जिसे बिजली कर्मी कभी स्वीकार नहीं करेंगे।