विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र की प्रेस विज्ञप्ति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र
प्रेस विज्ञप्ति, 08 दिसंबर 2024
प्रदेश के 27 श्रम संघों, राज्य कर्मचारी संगठनों और शिक्षक संगठनों ने बिजली के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग कीः प्रदेश के सभी श्रम संगठन निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ:
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में प्रदेश के सभी श्रम संघों, कर्मचारी संगठनों और शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि वह निजीकरण के विरोध में चल रहे बिजली कर्मचारियों के अभियान के साथ हैं। सभी श्रम संघों ने बिजली कर्मचारियों के साथ एकजुटता जताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि प्रदेश की जनता और कर्मचारियों के व्यापक हित में पावर कॉरपोरेशन द्वारा दिया गया निजीकरण का प्रस्ताव सरकार निरस्त किया जाये।
आज लखनऊ में प्रेस वार्ता करते हुए श्रम संघों के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली के निजीकरण का समाज के सभी वर्गों पर बहुत दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है। ऐसे में बिजली का निजीकरण जल्दबाजी में किया जाना कदापि उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का प्रयोग विफल हो चुका है। इन दोनों स्थानों पर गरीब उपभोक्ताओं और किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है और उसका ध्यान मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कमर्शियल उपभोक्ताओं की ओर अधिक होता है। ऐसे में निजीकरण के बाद किसानों और सामान्य उपभोक्ताओं का हित पीछे छूट जाता है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण के इसी असफल प्रयोग को बहुत बड़े पैमाने पर प्रदेश के 42 जिलों में थोपना किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है। निजीकरण के बाद प्रदेश में बिजली की दरों में भी बेतहाशा वृद्धि होने की आशंका है। मुंबई जैसे शहर में जहां बिजली के क्षेत्र में दो बड़ी निजी कंपनियां है वहां घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपए प्रति यूनिट है। उत्तर प्रदेश में अधिकतम दर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए रु 06.50 प्रति यूनिट है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण से घरेलू उपभोक्ताओं, किसानों के बाद सबसे अधिक नुकसान कर्मचारियों का होने वाला है। कर्मचारी बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर सरकारी बिजली कंपनी में नौकरी करने आए थे। अब उन्हें एक बार फिर निजी क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर करना पूरी तरह अन्याय पूर्ण है। यदि कर्मचारी निजी क्षेत्र में नौकरी करना स्वीकार नहीं करेंगे तो उन्हें बड़े पैमाने पर छंटनी का खतरा है।
सभी श्रम संघों ने कहा कि वे निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के साथ हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शान्ति पूर्ण ढंग से संघर्षरत बिजली कर्मियों का कोई भी उत्पीड़न किया गया तो राज्य सरकार के सभी कर्मचारी और शिक्षक बिजली कर्मचारियों के साथ आन्दोलन में उतरने को विवश होंगे।
बिजली कर्मचारियों के समर्थन में आज उत्तर प्रदेश अधिकारी महापरिषद के प्रधान महासचिव एवं उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव इं. आशीष यादव, स्टेट इम्प्लाईज ज्वाइंट काउंसिल उप्र के अध्यक्ष जे एन तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल, जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडे एवं महामंत्री रामकुमार धानुक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एस पी तिवारी, उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे, उत्तर प्रदेश मिनिस्टीरियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन के पवन कुमार, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश सेवा निवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बी एल कुशवाहा, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के संरक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह, अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महामंत्री रिंकू राय, उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव, एटक के महामंत्री चंद्रशेखर, सीटू के अध्यक्ष रवि मिश्रा व महामंत्री प्रेमनाथ राय, हिंद मजदूर सभा के महामंत्री उमाशंकर मिश्र, इण्टक के सचिव दिलीप श्रीवास्तव, एआईसीसीटीयू के अध्यक्ष विजय विद्रोही व राज्य सहसचिव के.एम.एस. मगन, टीयूसीसी के सचिव डॉ. आरती, एआईयूटीयूसी के सचिव बालेंद्र कटियार, सेल्फ इम्पलाईज वुमेन एसोसिएशन (सेवा) की महामंत्री फरीदा जलीस, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीना त्रिपाठी व कोषाध्यक्ष सुमन दुबे, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष निशा सिंह, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के मंडल अध्यक्ष महेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जयसवाल ने संयुक्त बयान जारी किया।
शैलेन्द्र दुबे
संयोजक