चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ अपने संघर्ष को मजबूत करने की शपथ ली

इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (EEFI) की प्रेस विज्ञप्ति

प्रेस विज्ञप्ति

26 जनवरी 2025

चंडीगढ़ के संघर्षशील बिजली कर्मचारियों ने इस गणतंत्र दिवस पर संविधान की रक्षा और निजीकरण का विरोध करने की शपथ ली

इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (EEFI) चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों की अदम्य भावना को उनके सार्वजनिक बिजली उपयोगिता के निजीकरण के प्रयास के खिलाफ उनके लगातार वीर संघर्ष के लिए सलाम करता है। अत्यधिक लाभदायक, कम टैरिफ वाली चंडीगढ़ पावर यूटिलिटी UT प्रशासन द्वारा बहुत कम कीमतों पर निजीकरण की प्रक्रिया में है।
चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी EEFI और उसके घटक यूटी पावरमैन यूनियन के बैनर तले पिछले 47 दिनों से अपने कार्यस्थलों और मंडल कार्यालयों में प्रदर्शन कर रहे हैं। बड़ी ही निरंतरता के साथ उनके परिवार के सदस्य, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे चंडीगढ़ के सभी क्षेत्रों में हर रोज रैलियां निकाल रहे हैं और लोगों को निजीकरण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक कर रहे हैं। वे लाखों लोगों तक पहुंच चुके हैं और हर जगह लोग बड़ी संख्या में आकर रैलियों में भाग ले रहे हैं। रैलियों के दौरान कई जगहों पर सार्वजनिक भाषण दिए जा रहे हैं, जहां विभिन्न सामाजिक तबकों के नागरिक निजीकरण के इस प्रयास के खिलाफ अपनी बात रख रहे हैं।

संघर्ष को और तेज़ करने के लिए चंडीगढ़ के लोगों ने निजीकरण विरोधी मंच बनाया है, जिसमें कई ग्राम समितियां, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, स्वतंत्र महिला संगठन, गुरुद्वारा समितियां, किसान और युवा संगठन शामिल हैं। सबसे ज़्यादा प्रेरणादायी बात यह है कि इस पूरे जन अभियान का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। उन्होंने अपने आने-जाने के लिए स्थायी रूप से बस की व्यवस्था की है और अभियान को आगे बढ़ाने के लिए नए इलाकों में भी जा रही हैं। आम लोगों के साथ उनके संवाद में कई अन्य मुद्दे भी उभर कर सामने आ रहे हैं।
यूटी पावरमैन यूनियन ने इस निजीकरण परियोजना के खिलाफ लोगों तक पहुंचने और एक लाख हस्ताक्षर एकत्र करने का फैसला किया था। उन्होंने पहले ही 20,000 से अधिक हस्ताक्षर एकत्र कर लिए हैं और आज उन्होंने चंडीगढ़ के प्रशासक को एक ज्ञापन सौंपा।

कर्मचारियों ने हमारे गणतंत्र दिवस के अवसर पर निजीकरण की इस प्रक्रिया के खिलाफ संघर्ष के लिए अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया। बैठक में संविधान में निहित सामाजिक दर्शन और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित संविधान के “मूल ढांचे” के सिद्धांत पर चर्चा की गई। सार्वजनिक क्षेत्र हमारे संविधान के राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के तहत बनाया गया था और भारत में कल्याणकारी राज्य प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक साधन है। निजीकरण की प्रक्रिया इन रणनीतिक क्षेत्रों में निजी इजारेदारी स्थापित करने के अलावा और कुछ नहीं है जिसका हमारे देश के लोगों और ऊर्जा सुरक्षा पर भारी असर पड़ेगा।

चंडीगढ़ की बिजली कॉलोनी में हजारों की संख्या में कर्मचारी अपने परिवार के साथ एकत्रित हुए और राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही अंतिम सांस तक सार्वजनिक बिजली सेवा की रक्षा करने की शपथ ली। इस बैठक से उन्होंने चंडीगढ़ के सभी डिवीजनल बिजली कार्यालयों के सामने एक सप्ताह तक दिन भर चलने वाले रिले धरने आयोजित करने की घोषणा की। उन्होंने यूटी प्रशासन को चेतावनी दी कि निजीकरण की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने पर उन्हें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसके लिए केंद्र सरकार और यूटी के उसके रखवाले पूरी तरह जिम्मेदार होंगे।

इस बीच, निजीकरण विरोधी समिति ने निजीकरण के खिलाफ 31 जनवरी 2025 को हजारों लोगों को जुटाने की घोषणा की है। EEFI के बैनर तले बिजली कर्मचारी संघर्षरत चंडीगढ़ बिजली कर्मचारियों के समर्थन और एकजुटता के लिए 31 जनवरी 2025 को पूरे देश में प्रदर्शन करेंगे।

संघर्ष ने निजी बोली लगाने वाले को 2 महीने तक पैसे जमा करने से रोक दिया है। 31 जनवरी 2025 को पैसे जमा करने की तीसरी बार विस्तारित तिथि है और रैली यह सुनिश्चित करेगी कि, भले ही कंपनी पैसे जमा कर दे, उन्हें उपयोगिता पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लड़ाई बहुत कठिन है लेकिन लोग एकजुट और दृढ़ हो रहे हैं। चंडीगढ़ मोदी सरकार के लिए निजीकरण का एक आसान मैदान नहीं होने जा रहा है।

द्वारा जारी किया गया

प्रसंत एन. चौधरी
महासचिव, EEFI

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