AIFAP ने 15 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में बिजली और अन्य क्षेत्रों के निजीकरण के खिलाफ एक सफल सर्व हिन्द सम्मेलन का आयोजन किया

सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फ़ोरम (AIFAP) की प्रेस विज्ञप्ति

सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फ़ोरम
(AIFAP)

बिजली और अन्य क्षेत्रों के निजीकरण पर सर्व हिन्द सम्मलेन
15 अप्रैल 2025, नई दिल्ली
प्रेस विज्ञप्ति

सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फ़ोरम (AIFAP) ने 15 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में ‘बिजली और अन्य क्षेत्रों के निजीकरण पर सर्व हिन्द सम्मेलन’ का आयोजन किया। दिन भर चले विचार-विमर्श में बिजली, रेलवे, बैंक, बीमा, दूरसंचार, कोयला, सड़क परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों के 29 संगठनों और लोगों और उपभोक्ताओं के संगठनों के लगभग 120 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सम्मेलन का संचालन सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फ़ोरम (AIFAP) के संयोजक और कामगार एकता कमेटी (KEC) के सचिव डॉ. ए. मैथ्यू ने कामगार एकता कमेटी के संयुक्त सचिव श्री गिरीश की सहायता से किया।

सम्मेलन को विद्युत क्षेत्र से ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के अध्यक्ष श्री शैलेंद्र दुबे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लोयीज (AIFEE) के महासचिव कॉमरेड मोहन शर्मा, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (INWEF) के अध्यक्ष एवं INTUC के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अशोक सिंह, ऑल इंडिया पॉवरमेंस फेडरेशन (AIPF) के कॉमरेड रमेश पाराशर और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के श्री बी के दीक्षित ने संबोधित किया।

रेलवे से वक्ताओं में इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ ऑर्गेनाइजेशन (IRTCSO) के महासचिव डॉ हेमंत सोनी, ऑल इंडिया पॉइंट्समैन एसीओसेशन (AIPMA) के महासचिव श्री पुरुषोत्तम गोठवाल, उत्तर रेलवे के इंडियन रेलवे सिग्नल एंड टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन (IRSTMU), लखनऊ मंडल सचिव श्री राम कुमार वर्मा, पूर्वी तट रेलवे ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल (AIGC) के क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष श्री चंदा चरण सलमा शामिल थे।

अन्य क्षेत्रों से वक्ताओं में ऑल इंडिया इंसुरेन्स एम्प्लोयीज एसीओसेशन (AIIEA) की सीडब्ल्यूसी सदस्य सुश्री गीता शंत, कामगार एकता कमेटी (KEC) के संयुक्त सचिव श्री गिरीश, कामगार कर्मचारी कांग्रेस (KKC) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री संजय गाबा, मजदूर एकता कमेटी (MEC) के श्री संतोष कुमार, ऑल इंडिया न्यू पेंशन स्कीम एम्प्लोयीज फेडरेशन (AINPSEF) के महासचिव डॉ. मंजीत सिंह पटेल, पुरोगामी महिला संगठन (PMS) की सुश्री शीना, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉनफेडरेशन (AIBOC) के पूर्व महासचिव श्री थॉमस फ्रैंको, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कॉमरेड विद्या सागर गिरि, संचार निगम पेंशनर्स वेल्फेयर एसीओसेशन (SNPWA) के महासचिव श्री जी एल जोगी, नेशनल कॉनफेडरेशन ऑफिसर्स (NCOA) के अध्यक्ष श्री वी के तोमर, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के संरक्षक श्री के अशोक राव और पब्लिक कमीशन फॉर पब्लिक सेक्टर एंड पब्लिक सर्विसेज (PCPSPS) के प्रो. दिनेश अबरोल शामिल थे।

निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए:

यह सम्मेलनः
a) भारत के सभी मेहनतकश लोगों से निजीकरण की मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी और समाज-विरोधी नीति को अस्वीकार करने का आह्वान करता है। भारत के सभी मेहनतकश लोग हमारे समाज की सारी संपत्ति के उत्पादक हैं और इसलिए वे ही असली मालिक हैं। उनमें से प्रत्येक को उन सभी द्वारा मिलकर बनाई गई इस संपत्ति का लाभ उठाने में सक्षम होना चाहिए। किसी भी निजी उद्यम को उनसे लाभ कमाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
b) सभी बाधाओं को पार करते हुए, किसी भी क्षेत्र में निजीकरण का विरोध करने के लिए सभी मजदूर वर्ग के सदस्यों, अन्य मेहनतकशों और आम लोगों के साथ अपनी एकता को मजबूत करने का संकल्प लेता है।
c) मानता है कि आज के जीवन में बिजली एक बुनियादी आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि यह देश में सभी को सस्ती दर पर वह लगातार उपलब्ध हो। बिजली को मुनाफाखोरी की वस्तु में बदलना स्वीकार्य नहीं है।
d) निजीकरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के बिजली कर्मचारियों के चल रहे संघर्षों को पूर्ण समर्थन देता है।
e) हड़ताल करने के मजदूरों के लोकतांत्रिक अधिकार को कुचलने के उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रयासों की निंदा करता है।
f) केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निजीकरण के विभिन्न प्रयासों का विरोध करने के लिए 26 जून 2025 को प्रस्तावित बिजली कर्मचारियों की सर्व हिंद हड़ताल को पूर्ण समर्थन देता है।
g) देश भर के सभी मजदूरों, किसानों और अन्य बिजली उपभोक्ताओं से मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और जन-विरोधी निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों के संघर्षों में शामिल होने का आह्वान करता है।

सम्मेलन ने निम्नलिखित मांगें उठाईं:
1. केंद्र और राज्य सरकारों को मजदूर विरोधी, जन विरोधी, समाज विरोधी निजीकरण अभियान पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।
2. केंद्र और राज्य सरकारों को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सरकारी विभागों को मजबूत बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम तुरंत उठाने चाहिए, जैसे कि रिक्त पदों पर स्थायी कर्मचारियों को तुरंत भरना, सभी संविदा कर्मचारियों को तुरंत स्थायी करना, और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक निवेश करना आदि ताकि वे भारत के सभी लोगों को उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले उत्पाद/सेवाएं दे सकें।
3. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की सरकारों को किसी भी माध्यम से बिजली वितरण, उत्पादन या ट्रांसमिशन का निजीकरण करने की अपनी सभी योजनाओं को तुरंत रोकना चाहिए।
4. केंद्र सरकार को बिजली के निजीकरण के अपने सभी प्रयासों को तुरंत रोकना चाहिए और ‘सुधारों’ के नाम पर निजीकरण करने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करना बंद करना चाहिए।
5. केंद्र और राज्य सरकारों को आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार, घाटे को कम करने और बिजली की दरों को कम करने के लिए वितरण के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए आवश्यक पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।

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