AIPEF ने केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में चल रहे निजीकरण के खिलाफ ज्ञापन सौंपा और यूपी में निजीकरण प्रक्रिया को वापस लेने और चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण की समीक्षा की मांग की

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) द्वारा भारत सरकार के विद्युत राज्य मंत्री को पत्र
(अंग्रेजी पत्र का अनुवाद)

संख्या 07 – 2025 / मंत्रिसमूह

22-04-2025

श्री श्रीपद येसो नाइक,

विद्युत राज्य मंत्री,

भारत सरकार,

नई दिल्ली।

विषय: केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में चल रहे निजीकरण के खिलाफ ज्ञापन।

आदरणीय महोदय,

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) राज्य/संघ शासित प्रदेश विद्युत उपयोगिताओं, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, BBMB और DVC में कार्यरत सभी विद्युत अभियंताओं का एकमात्र महासंघ है। AIPEF अपने घटक APSEB इंजीनियर्स एसोसिएशन के माध्यम से आपके और माननीय मंत्रिसमूह के संज्ञान में उपरोक्त विषय पर कुछ ज्वलंत मुद्दों को लाने का अवसर लेता है।

1. मुख्य मुद्दा यह है कि राज्य डिस्कॉम की व्यवहार्यता कैसे हासिल की जाए। हमारा दृढ़ मत है कि उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के व्यापक हित में डिस्कॉम को सार्वजनिक क्षेत्र में ही रहना चाहिए। जहाँ तक व्यवहार्यता का सवाल है, अधिकांश राज्यों में इसे सार्वजनिक क्षेत्र में ही हासिल किया गया है। विद्युत मंत्रालय की RDSS योजना के कार्यान्वयन से हर जगह AT&C घाटे में कमी लाई जा रही है। पिछले दो-तीन वर्षों में AT&C घाटे का राष्ट्रीय औसत काफी कम हो गया है।

2. जिस तरह से लाभ कमाने वाले चंडीगढ़ विद्युत विभाग का दबाव में निजीकरण किया गया, वह चंडीगढ़ विद्युत विभाग में कार्यरत विद्युत कर्मचारियों एवं इंजीनियरों के लिए एक भयावह अनुभव था। निजीकरण से एक दिन पहले 200 से अधिक विद्युत कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया गया। निजीकरण के बाद निजी कंपनियों का विद्युत कर्मचारियों के प्रति रवैया उदासीन है।

3. अब देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 42 जिलों में निजीकरण का दौर चल रहा है, जो जल्दबाजी में उठाया गया कदम है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश, जो विद्युत कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की सभी प्रमुख यूनियनों एवं एसोसिएशनों का एक छत्र संगठन है, के साथ हुए दो लिखित समझौतों का उल्लंघन करते हुए निजीकरण किया जा रहा है।

4. पहला समझौता 05 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री उत्तर प्रदेश श्री श्रीकांत शर्मा जी के साथ तथा दूसरा समझौता 06 अक्टूबर, 2020 को वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्ना जी एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री उत्तर प्रदेश श्री श्रीकांत शर्मा जी के साथ हुआ। दोनों समझौतों में लिखा है कि सभी सुधार उपाय उत्तर प्रदेश डिस्कॉम के मौजूदा बुनियादी ढांचे में किए जाएंगे तथा उत्तर प्रदेश के बिजली क्षेत्र में कहीं भी बिना उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों को विश्वास में लिए निजीकरण नहीं किया जाएगा। जहां तक घाटे में कमी का सवाल है, एटीएंडसी घाटा 2017 में 41% से घटकर 2024 में 16.5% हो गया है। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर सुधार के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने महाकुंभ में चमत्कार किया है जिसे पूरी दुनिया ने देखा है, यहां तक कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी इसकी सार्वजनिक रूप से सराहना की है।

5. इसलिए AIPEF आपसे अनुरोध करता है कि कृपया अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करें और हस्तक्षेप करें ताकि यूपी में एकतरफा निजीकरण की कवायद वापस ली जाए, लाभ कमाने वाले चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण की समीक्षा की जाए और उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के व्यापक हित में कहीं भी निजीकरण न किया जाए।

आपका सादर

शैलेन्द्र दुबे

अध्यक्ष

CC: ऊर्जा मंत्री समूह के माननीय सदस्य।

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