दिल्ली की ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मई दिवस कार्यक्रम

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

दिल्ली की ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के नेतृत्व में, रामलीला मैदान से चांदनी चौक स्थित टाउन हॉल तक संयुक्त मई दिवस मार्च में, विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों मजदूरों ने हिस्सा लिया। टाउन हॉल में एक जनसभा आयोजित की गई। इसमें ख़ास तौर पर महिला मज़दूरों की बड़ी और जुझारू भागीदारी रही।

जैसे-जैसे जुलूस टाउन हॉल की ओर बढ़ा, वैसे-वैसे चांदनी चौक की सड़कें जोशीले नारों से गूंज उठीं – “मई दिवस ज़िंदाबाद!”, “मज़दूर-किसान एकता ज़िंदाबाद!”, “इंकलाब ज़िंदाबाद!”। मज़दूरों ने अपनी मांगों से संबंधित प्लेकार्ड ले रखे थे, जिन पर लिखे थे — ‘रेलवे, बिजली, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा का निजीकरण बंद करो!’, ‘चार मज़दूर विरोधी श्रम संहितायें वापस लो!’, ‘न्यूनतम मज़दूरी 26,000 रुपये लागू करो!’, ‘ठेकेदारी ख़त्म करो!’, ‘सभी को स्थायी रोज़गार दो!’, ‘सभी मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा दो!’, ‘समान काम के लिए समान वेतन दो!’, ‘पुरानी पेंशन योजना बहाल करो!’, ‘किसानों को एमएसपी दो!’, ‘पूंजीवादी शोषण मुर्दाबाद!’, इत्यादि।

युवा कार्यकर्ताओं ने शोषण के खिलाफ संघर्ष के गीतों से मज़दूरों को प्रेरित किया।
संयुक्त मई दिवस कार्यक्रम का आयोजन मज़दूर एकता कमेटी (एमईसी), आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), हिंद मज़दूर सभा (एचएमएस), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी), सेल्फ एम्प्लॉयड विमेंस एसोसिएशन (सेवा) और इंडियन काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (आईसीटीयू) ने किया था।

टाउन हॉल पर आयोजित जनसभा को सहभागी संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। इनमें एमईसी के कॉमरेड संतोष कुमार, एटक की कॉमरेड अमरजीत कौर, सीटू के कॉमरेड तपन सेन, एचएमएस के कॉमरेड राजेंद्र सिंह, यूटीयूसी के कॉमरेड शत्रुजीत सिंह, एआईयूटीयूसी के कॉमरेड चौरसिया, एआईसीसीटीयू की कॉमरेड श्वेता राज, टीयूसीसी के कॉमरेड रमाशंकर और सेवा की कॉमरेड लता शामिल थे।

सभी वक्ताओं ने एक स्वर में, चारों श्रम संहिताओं को वापस लेने की मांग की, जो सालों-सालों के संघर्षों से मज़दूरों द्वारा जीते गए अधिकारों पर सीधा हमला है। मज़दूरों की भयानक काम की हालतों, लंबे काम के घंटों, रोज़गार की बढ़ती असुरक्षा, ठेका मज़दूरी का अधिक से अधक प्रयोग, और सम्मानजनक जीवन जीने लायक वेतन न मिलना, इन पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने 8 घंटे काम के दिन के सख्त कार्यान्वयन, 26,000 रुपये के न्यूनतम वेतन, सभी मज़दूरों के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की मांग की।

वक्ताओं ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन व बिजली आपूर्ति जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण की निंदा की, जिसके कारण ये सेवाएं आम मज़दूरों और उनके परिवारों के लिए लगातार महंगी होती जा रही हैं। उन्होंने महिला मज़दूरों के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा न होने की निंदा की और महिलाओं के खिलाफ़ अपराध करने वालों के लिए कड़ी सज़ा की मांग की। उन्होंने सरकार से सभी कृषि उपज के लिए तुरंत एमएसपी लागू करने की मांग की। उन्होंने मज़दूरों और किसानों की एकता को तोड़ने के लिए सांप्रदायिक हिंसा और नफ़रत को बढ़ावा देने की सरकार की कोशिशों की निंदा की। सभी प्रकार के विरोध को अपराध घोषित करने और जनता के आक्रोश को दबाने के लिए यूएपीए जैसे क्रूर कानूनों के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की गई।

मज़दूर एकता कमेटी की ओर से कामरेड संतोष कुमार ने मज़दूरों से आह्वान किया कि राजनीतिक सत्ता को अपने हाथों में लेने तथा पूंजीवाद व सभी प्रकार के शोषण और उत्पीड़न को खत्म करने के उद्देश्य के साथ, अपनी रोजीरोटी और अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए संघर्ष को तेज़ करें।
सभी सहभागी संगठनों के प्रतिनिधियों ने 20 मई की सर्व हिन्द हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया।

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