‌ सैमसंग के मज़दूर अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ रहे हैं

वर्कर्स यूनिटी मूवमेंट की रिपोर्ट

एक लंबे और लगातार संघर्ष के बाद, श्रीपेरंबदूर में सैमसंग इंडिया के मज़दूरों ने अपनी प्रमुख मांगें जीत ली हैं। उन्होंने अपनी यूनियन को पंजीकृत करवाया, सैमसंग के प्रबंधन ने उनकी यूनियन को मान्यता दी और उन्हें वेतन में बढ़ोतरी और अन्य लाभ मिले।

श्रीपेरंबदूर के पास सुंगुवरचत्रम में स्थित सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स प्लांट में लगभग 1,800 मज़दूर काम करते हैं। यह फैक्ट्री रेफ्रिज़रेटर, टीवी और वॉशिंग मशीन जैसे उपकरण बनाती है। कहा जाता है कि इस प्लांट के मज़दूर सैमसंग द्वारा भारत में कमाए जाने वाले 12 बिलियन डॉलर के सालाना राजस्व में लगभग एक तिहाई का योगदान करते हैं। दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग का उत्तर प्रदेश में भी एक प्लांट है, जहां स्मार्टफोन बनता है।

सैमसंग फैक्ट्री में भयंकर शोषण और भयानक काम की परिस्थितियां हैं। इसे बर्दाश्त करने में असमर्थ, सैमसंग के मज़दूरों ने एक यूनियन बनाई जिसका नाम है सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन (SIWU)। उन्होंने अपनी यूनियन के पंजीकरण के लिए श्रम विभाग में आवेदन किया। लेकिन सैमसंग के प्रबंधन के दबाव में, श्रम विभाग ने बहुत लंबे समय तक उनकी यूनियन को पंजीकृत नहीं किया।

SIWU ने 27 जून, 2024 को प्रबंधन के समक्ष अपनी मांगें रखीं। प्रबंधन ने मज़दूरों की सभी मांगों को ख़ारिज़ कर दिया। इसके बजाय, उन्होंने राज्य मशीनरी के समर्थन से, मज़दूरों को यूनियन से इस्तीफ़ा देने और प्रबंधन द्वारा प्रायोजित यूनियन में शामिल होने के लिए धमकाने का पूरा प्रयास किया।

इन परिस्थितियों में, मज़दूरों ने अपनी यूनियन को मान्यता देने, वेतन वृद्धि और कार्य की बेहतर स्थितियों की अपनी मांगों को स्वीकार करवाने के के लिये 9 सितंबर, 2024 से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी।

पूरे तमिलनाडु की ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों ने सैमसंग के मज़दूरों की उचित मांगों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है। उन्होंने मांग की कि तमिलनाडु सरकार तुरंत सैमसंग के मज़दूरों की यूनियन को पंजीकृत करे और सैमसंग के मज़दूर-विरोधी प्रबंधन के ख़िलाफ़ क़दम उठाए।

16 सितंबर 2024 को, हड़ताली मज़दूर कांचीपुरम में जिला कलेक्टर के कार्यालय तक रैली की योजना बना रहे थे। इसी तरह सभी ट्रेड यूनियनों ने सैमसंग के प्रबंधन के मज़दूर-विरोधी रुख़ और सरकार के पूंजीवाद समर्थक रुख़ की निंदा करने के लिए 18 सितंबर को चेन्नई के वल्लुवर कोट्टम में एक संयुक्त प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया था। सरकार ने इनमें से किसी भी प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी और इसके बजाय जब मज़दूर और उनके नेता प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।

तमिलनाडु की सरकार के इस स्पष्ट पूंजीवादी समर्थक और मज़दूर-विरोधी रुख़ की सभी मज़दूर संगठनों ने कड़ी निंदा की। इन हमलों से प्रबंधन के ख़िलाफ़ अपने संघर्ष को तेज़ करने और तमिलनाडु सरकार के श्रम विभाग की सैमसंग के प्रबंधन के साथ मिलीभगत को उजागर करने के प्रति मज़दूरों का संकल्प और मजबूत हुआ।

15 अक्तूबर को यूनियन और सैमसंग के प्रबंधन के बीच एक समझौता बैठक हुई जिसमें तमिलनाडु सरकार के चार मंत्रियों ने भाग लिया। प्रबंधन ने सहमति व्यक्त की कि अगर मज़दूर काम पर लौटते हैं तो उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जाएगा। इस समझौते के आधार पर, मज़दूरों ने 16 अक्तूबर को अपनी 38 दिन की हड़ताल वापस ले ली। लेकिन, प्रबंधन ने अपने समझौते का उल्लंघन किया। जब मज़दूर काम पर लौटे, तो उनमें से कई को काम पर आने की अनुमति नहीं दी गई। मज़दूरों पर हमले तेज़ हो गए। मज़दूरों पर प्रबंधन द्वारा स्थापित यूनियन में शामिल होने का दबाव बनाया गया। मज़दूरों के बीच बंटवारा पैदा करने के इरादे से, जो लोग प्रबंधन की यूनियन में शामिल होने के लिए तैयार थे, उन्हें कुछ लाभ देने की पेशकश की गई। प्रबंधन ने मज़दूरों की लड़ाई की भावना को तोड़ने के लिए 2500 अकुशल और अस्थायी मज़दूरों को अवैध रूप से भर्ती करने की भी कोशिश की। इन हमलों के तहत, प्रबंधन ने लगभग 25 यूनियन कार्यकर्ताओं को भी निलंबित कर दिया।

आखिरकार, एक लंबे संघर्ष के बाद, 38 दिनों की हड़ताल, लंबे समय तक उत्पीड़न और 212 दिनों की का़नूनी लड़ाई के बाद, 27 जनवरी, 2025 को श्रम विभाग द्वारा SIWU को पंजीकृत किया गया!

जब प्रबंधन ने यूनियन के साथ बातचीत करने से इंकार कर दिया, तो फरवरी में मज़दूर फैक्ट्री के अंदर ही धरना-प्रदर्शन करने लगे।

आखि़रकार, सैमसंग के प्रबंधन ने 19 मई, 2025 को तमिलनाडु के श्रम मंत्री की मौजूदगी में SIWU के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते में अगले 3 वर्षों में 18,000 से 23,000 रुपये की वेतन वृद्धि का प्रावधान है। इसके अलावा मज़दूरों को प्रोत्साहन और बढ़ी हुई छुट्टी आदि का लाभ भी मिलेगा। परंतु, 25 मज़दूरों का निलंबन जारी है।

सबक

25 मज़दूरों को सिर्फ़ इसलिए निलंबित किया गया, क्योंकि वे अपने साथियों को उनके अधिकारों के लिए संगठित कर रहे थे। इन कर्मचारियों का निलंबन वापस लिए बिना इतने लंबे संघर्ष के बाद भी न्याय नहीं मिला है।

मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए ज़रूरी है की मज़दूर अपनी एकता मजबूत करें और बिना समझौता किए संघर्ष करें।

यहां तक कि अपने सबसे स्पष्ट और क़ानूनी रूप से मान्यता प्राप्त अधिकारों को पाने के लिए भी, जैसे कि अपनी यूनियन का पंजीकरण, इकट्ठा होना, प्रदर्शन करना या सरकारी अधिकारियों के सामने अपनी मांगें रखना, इनके लिए भी मज़दूरों को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है!

श्रम विभाग सहित राज्य मशीनरी पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करती है। अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पूंजीपति वर्ग के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई में, मज़दूरों को अपनी ताक़त, एकता और संगठन पर भरोसा करना होगा। मज़दूर और उनके संगठन पूंजीवादी पार्टियों की पूंछ नहीं बन सकते, जो वही बोलती हैं जो मज़दूर सुनना चाहते हैं, लेकिन पूंजीपति वर्ग के हितों में काम करती हैं। मज़दूरों को पूंजीवादी शोषण और उत्पीड़न की व्यवस्था को समाप्त करने के दृष्टिकोण से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा। वर्कर्स यूनिटी मूवमेंट सैमसंग के मज़दूरों और उनकी यूनियन को दृढ़ता से लड़ने और अपनी मांगों को जीतने के लिए बधाई देता है।

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