महाराष्ट्र के ठाणे शहर में, सुरक्षित रेलवे के लिए एक जोशीला अभियान!

कामगार एकता कमेटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मुंब्रा स्टेशन पर, 9 जून को हुए रेल हादसे के बाद, जिसमें कम से कम चार यात्रियों की मौत हो गई और कई घायल हो गए, मुंबई के नागरिक और वहां की लोकल ट्रेनों के यात्री कह रहे हैं कि बस अब बहुत हो गया!

मुंबई की भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेनों में यात्रा करना, लाखों नागरिकों के लिए एक नरक-समान अनुभव है। यहां तक कि रेलवे कर्मचारियों और उनके परिवारों को भी इस दैनिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। ट्रेनों और स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़ और पर्याप्त संख्या में, पैदल यात्रियों के लिए ओवरब्रिज की कमी के कारण, औसतन, प्रतिदिन 7 से अधिक यात्री मारे जाते हैं। ऐसा दुनिया के किसी अन्य शहर में नहीं होता!

मजदूर-यूनियनों द्वारा समर्थित विभिन्न जन संगठनों ने, सुरक्षित रेल व्यवस्था की साझा मांग के लिए, सभी नागरिकों को संगठित करने के लिए, एक रेलवे सुरक्षा अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत, इन संगठनों के कार्यकर्ता ज़रूरी मांगों को रेखांकित करते हुए लोगों के बीच, पर्चे बांट रहे हैं।

उनकी मुख्य मांगों में शामिल है सभी 12 डिब्बों वाली ट्रेनों को 15 डिब्बों वाली ट्रेनों में बदलना और नई ट्रेनों की संख्या में कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि करना । अन्य मांगों में, उपयुक्त सिग्नलिंग प्रणाली स्थापित करके प्रति घंटे ट्रेनों के फेरे बढ़ाना, बढ़ते हुए बोझ और ज़िम्मेदारी को संभालने के लिए आवश्यक रेलवे कर्मचारियों की भर्ती करना और हर स्टेशन पर स्टेशन मास्टर नियुक्त करना, शामिल हैं। उन्होंने यह भी मांग की है कि उनकी मांग को, जल्दी से जल्दी लागू करने के लिए एक समय-सारिणी (टाईमटेबल) का भी ऐलान किया जाना चाहिए।

15 जून को कार्यकर्ताओं ने, ठाणे और डोंबिवली स्टेशनों पर, इन मांगों को उजागर करते हुए हज़ारों पर्चे बांटे, ये वे स्टेशन हैं जो भीड़भाड़ और हर साल बड़ी संख्या में यात्रियों की दर्दनाक मौतों के लिए बदनाम हैं। 16 जून को कलवा में पर्चे बांटे गए, जो एक महत्वपूर्ण और भीड़भाड़ वाला ऐसा स्टेशन है जहां पर कोई स्टेशन मास्टर तक नहीं है और इसलिए ट्रेन दुर्घटनाओं के पीड़ितों को तुरंत राहत का कोई प्रावधान नहीं है।

सभी स्टेशनों पर लोगों ने बड़े उत्साह के साथ पर्चे लिए और कई यात्री यह पूछने के लिए भी रुके कि वे भी इस अभियान में कैसे शामिल हो सकते हैं। कई लोगों ने भीड़ के घंटों के दौरान यात्रा करने के अपने कष्टदायक अनुभवों को सुनाया और कई लोगों ने न केवल अपने दोस्तों के साथ पर्चे बांटने की इच्छा व्यक्त की, बल्कि अपने पड़ोस में इसी तरह के वितरण-कार्यक्रम आयोजित करने की भी इच्छा व्यक्त की। यह स्पष्ट है कि लोग अपनी सुरक्षा के साथ-साथ अपने परिवारों और दोस्तों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं, जो हर दिन लोकल ट्रेनों से यात्रा करते हैं।
रेलवे सुरक्षा अभियान में इन सभी संगठनों के सदस्य शामिल हैं : रेलवे प्रवासी सुरक्षा संघर्ष समिति, कामगार एकता कमेटी, लोक राज संगठन, पुरोगामी महिला संगठन, लड़ाकू गारमेंट मज़दूर संघ, संघर्ष कोंकण रेलवे प्रवासी संगठन (दिवा), डोंबिवली-ठाकुरली-कोपर प्रवासी संगठन, दिवा, पनवेल प्रवासी संगठन, तेजस्विनी महिला रेलवे प्रवासी संगठन, जनता राजा मित्र मंडल (दिवा), सिंधुदुर्ग जिला रहिवासी संघ (दिवा) और फातिमा शेख स्टडी सर्कल (मुंब्रा)। ये सभी संगठन आने वाले दिनों में और अधिक पर्चा वितरण और अन्य कार्यक्रमों की योजना के साथ इस अभियान को और तेज़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

रेलवे मज़दूर यूनियनें भी इस अभियान का समर्थन कर रही हैं। इनमें ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (AIGC), ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA), ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (AISMA), ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (AIRTU), इंडियन रेलवे लोको रनिंगमेन्स ऑर्गनाइजेशन (IRLRO), ऑल इंडिया पॉइंट्समेन्स एसोसिएशन (AIPMA) और इंडियन रेलवे सिग्नल एंड टेलीकम्युनिकेशंस मेंटेनर्स यूनियन (IRSTMU) शामिल हैं।

मुंब्रा दुर्घटना ने कई लोगों को यकीन दिलाया है कि इस तरह का अभियान पहले से भी कहीं ज्यादा ज़रूरी है। यात्रियों, मज़दूरों और सभी नागरिकों को एकजुट होकर और ज़ोर से ऐलान करना चाहिए : बस अब बहुत हो गया!

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