कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
महाराष्ट्र के लोग कई महीनों से स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का विरोध कर रहे हैं। फिर भी, सरकारी स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनी, महावितरण द्वारा नागपुर शहर और पूरे विदर्भ में TOD मीटर के नाम पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम गुपचुप तरीके से किया जा रहा है।
1 अगस्त 2025 को विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के बैनर तले स्मार्ट मीटर के विरोध में नागपुर में एक विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मशालें जलाईं और गांधीबाग पार्क की ओर मार्च किया।
लोगों का मानना है कि इन मीटरों को लगाने का उद्देश्य केवल बड़े पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाना है और इससे बिजली उपभोक्ताओं का शोषण होगा।
नागपुर सहित राज्य के जिन इलाकों में ये प्रीपेड बिजली मीटर लगाए गए हैं, वहाँ बिजली उपभोक्ताओं को सामान्य से 4 से 5 गुना ज़्यादा बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है।
मुंबई के उपनगर डोंबिवली की एक कॉलोनी से हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों लोगों को स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद 25,000 से 30,000 रुपये तक का बिल मिल रहा है, जबकि सामान्य बिल 2 से 3,000 रुपये आता था।
इसलिए, स्मार्ट मीटर के ज़रिए हो रही इस लूट से उपभोक्ताओं में भारी रोष है। मुख्यमंत्री, जो ऊर्जा मंत्री भी हैं, के आश्वासन के अनुसार, अगर बिजली उपभोक्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाएँगे, तो उन्हें प्रति यूनिट 85 पैसे कम बिल आएगा। लेकिन लोगों का मानना है कि यह सिर्फ़ एक ढकोसला है। लोग चाहते हैं कि ऐसे मीटर लगने बंद हों और जहाँ लगे हैं, वहाँ पुराने मीटर वापस लगाए जाएँ।