AICCTU ने चेन्नई में सभी सफाई मज़दूरों और उनके नेताओं की तुरंत रिहाई की मांग की

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) द्वारा प्राप्त बयान

चेन्नई में हजारों सफाई कर्मचारी, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं, 1 अगस्त से रिपन बिल्डिंग के बाहर बैठकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के कचरा प्रबंधन को निजीकरण करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। निजीकरण से उनकी सैलरी में करीब 8,000 रुपये (लगभग ₹22,500 से ₹15,000) की कटौती होगी और उनकी नौकरी की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। पुलिस ने 13 अगस्त की मध्यरात्रि को जबरदस्ती प्रदर्शन स्थल से मज़दूरों को हटाया और उन्हें हिरासत में ले लिया। नीचे दिया गया AICCTU का बयान इन गिरफ्तारीयों की निंदा करता है और उनकी तुरंत रिहाई के साथ-साथ आउटसोर्सिंग वापस लेने की मांग करता है।

AICCTU ने महिला स्वच्छता मज़दूरों और उनकी नेता साथी भारती की मध्यरात्रि गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है।

मांगें

सभी स्वच्छता मज़दूरों और उनके नेताओं को तत्काल रिहा किया जाए!

रोजगार की स्थायित्व सुनिश्चित की जाए

आउटसोर्सिंग को पूरी तरह से ठुकराया जाए!

 AICCTU ने 14 अगस्त 2025 को चेंन्नई निगम के जोन 5 और 6 में अवैध आउटसोर्सिंग के खिलाफ और स्थायित्व की मांग को लेकर लगातार 14वें दिन संघर्षरत हजारों महिला स्वच्छता मज़दूरों तथा यूनियन अध्यक्ष और AICCTU के राज्य अध्यक्ष साथी भारती की मध्यरात्रि गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्णय दिया है कि प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली से अनुबंध प्रणाली में मज़दूरों को भेजना अवैध है। इसके बावजूद सरकार ने कानून का उल्लंघन किया और महिलाओं स्वच्छता मज़दूरों को प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत रोजगार देने से इनकार करते हुए उन्हें अनुबंध प्रणाली स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। इसको मज़दूरों ने इनकार किया और नतीजतन, राज्य सरकार द्वारा मध्यरात्रि गिरफ्तारी के माध्यम से दमन किया जा रहा है।

रोजगार से इनकार और अधिकारों की अनदेखी के अलावा, सरकार ने वह कानून भी तोड़ा है जो विवाद लंबित रहते हुए सेवा शर्तों में किसी भी परिवर्तन, जिसमें रोजगार से इनकार भी शामिल है, को सख्त मना करता है।

चेंन्नई निगम, कैबिनेट मंत्री और तमिलनाडु सरकार ठेकेदारों के दबाव में आकर मज़दूरों के स्थायित्व के प्राकृतिक और कानूनी अधिकारों को नकार रहे हैं।

इसके अलावा, प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत मज़दूरों को प्रतिदिन न्यूनतम 753 रुपए मासिक वेतन मिलता है, जबकि उन्हें अनुबंध प्रणाली में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिसमें केवल 563 रुपए प्रतिदिन वेतन मिलेगा।

इसलिए यह केवल रोजगार से इनकार नहीं है, बल्कि वेतन में भी भारी कटौती है—दोनों ही कानूनन सख्त मना हैं।

द्रविड़ियन मॉडल सरकार होने का दावा करने वाली DMK नेतृत्व वाली राज्य सरकार हजारों सबसे वंचित महिला स्वच्छता मज़दूरों की आजीविका, अधिकार और सामाजिक गरिमा के मुद्दों को संबोधित करने से इनकार कर रही है। बल्कि सरकार ने मज़दूरों से संघर्ष स्थल खाली करने को कहा और चालाकी से एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) दायर कर उन्हें स्थल खली करने को मजबूर कर रहा है।

सरकार ने संघर्ष जारी रखने के लिए कोई वैकल्पिक स्थल प्रस्तावित नहीं किया है, बल्कि बल प्रयोग कर मज़दूरों को गिरफ्तार कर रही है।

यह अलग बात है कि बाकी दस जोनों में आउटसोर्सिंग AIADMK के शासनकाल में लागू की गई थी, जिसका तत्काल विपक्षी दल DMK ने विरोध किया था। वास्तव में, वर्तमान मुख्यमंत्री श्री स्टालिन ने तब AIADMK सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसमें स्वच्छता मज़दूरों के संघर्ष और उनके स्थायित्व के समर्थन में लिखा था।

इसके अलावा, पिछले विधानसभा चुनावों में DMK के घोषणा पत्र में भी उन सरकारी मज़दूरों की सेवा नियमित करने का आश्वासन दिया गया था, जिन्होंने दस वर्ष से अधिक सेवा पूर्ण की हो। सरकार ने इस वादे में भी मज़दूरों को धोखा दिया, जैसे उन्होंने पुराने पेंशन योजना (OPS) की बहाली के मामले में किया था।

DMK नेतृत्व वाली कथित सामाजिक न्याय सरकार ने समाज के सबसे वंचित वर्ग को न्याय देने से इनकार किया है, जो जाति, वर्ग और लिंग के आधार पर तीनहरी उत्पीड़न का सामना करते हैं।

चेंन्नई निगम के हजारों स्वच्छता मज़दूरों के संघर्ष का नेतृत्व साथी भारती, जो AICCTU के तमिलनाडु राज्य अध्यक्ष और उझाइपोर उरीमाई इयक्कम (मज़दूर अधिकार आंदोलन) की अध्यक्ष हैं, और सलाहकार साथी कुमारसामी ने किया।

AICCTU और इसकी सहायक संस्था, आल इंडिया मुंसीपल एंड सैनिटेशन वर्कर्स फेडरेशन  (AIMSWF) 18 अगस्त 2025 को पूरे देश में प्रदर्शन आयोजित करेंगे और स्वच्छता मज़दूरों के संघर्ष और मांगों के समर्थन में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे।

AICCTU की मांगें:

– सभी मज़दूरों और उनके नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए!

– मज़दूरों और कार्यकर्ताओं पर अवैध दमन के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए!

– आउटसोर्सिंग को वापस लिया जाए!

– सभी मज़दूरों को स्थायी रोजगार दिया जाए!

– चुनावी वादे पूरे किए जाएं!

AICCTU मुख्यालय

दिल्ली

14 अगस्त 2025

 

 

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