स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 सार्वजनिक कर किसानों, उपभोक्ताओं और कर्मचारियों की राय ली जाय:
निजीकरण के बाद भी सरकार को निजी कंपनियों को कई साल तक अरबों खरबों रुपए की वित्तीय सहायता देनी पड़ेगी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की प्रेस विज्ञप्ति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश
प्रेस विज्ञप्ति
1 सितंबर 2025
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की चल रही पूरी प्रक्रिया को प्रबंधन और निजी घरानों के बीच मिली भगत बताते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मांग की है कि निजीकरण का निर्णय निरस्त किया जाय और स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 जिसके आधार पर निजीकरण किया जा रहा है, उसे सार्वजनिक कर इस पर उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों की राय ली जाय।
संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण हेतु तैयार किया गया स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 पूरी तरह एक तरफा है और निजी कंपनियां के पक्ष में बनाया गया है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 का पालन करने पर सरकार को निजी कंपनियों को ट्रांजिशन सपोर्ट के नाम पर न्यूनतम 05 से 07 वर्ष तक सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति करनी पड़ेगी और इस एवज में अरबों रुपए खर्च करने पड़ेंगे। यह अवधि तब तक और बढ़ाई जा सकती है जब तक निजी कंपनियां मुनाफे में न आ जाय।
संघर्ष समिति ने कहा कि इसके अतिरिक्त निजी कंपनियों को सारी जमीन बेहद कम दाम पर मुहैया कराई जाएगी। निजी कंपनियों को क्लीन बैलेंस शीट दी जाएगी और घाटे और देनदारियों का सारा बोझ सरकार अपने ऊपर ले लेगी।
कर्मचारियों की सेवान्त सुविधाओं के भुगतान हेतु निजी कंपनियों को अधिकृत किया जा रहा है कि वह इसे ए आर आर के जरिए उपभोक्ताओं के टैरिफ पर पास ऑन करेंगे।
संघर्ष समिति ने कहा कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसके आधार पर निजीकरण करने के बाद भी सरकार को प्रतिवर्ष अरबों खरबों रुपए निजी कंपनियों को देना पड़ेगा, घाटे का सारा दायित्व सरकार उठाएगी और आम उपभोक्ताओं के टैरिफ में कर्मचारियों के टर्मिनल बेनिफिट्स का भार जोड़ा जाएगा।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि प्रबंधन और शासन के कुछ उच्च अधिकारी निजी घरानों के साथ मिले हुए हैं और सरकार को अंधेरे में रखकर निजीकरण थोपना चाहते हैं जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ भी बढ़ेगा और आम उपभोक्ताओं का टैरिफ भी बढ़ेगा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि भारत सरकार ने 14 मई 2025 को विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण हेतु स्टैंडर्ड बिल्डिंग डॉक्यूमेंट 2025 जारी किया है।
संघर्ष समिति ने कहा कि यह जानकारी मिली है कि पावर कारपोरेशन ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु जो आरएफपी डॉक्यूमेंट बनाया है वह स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 पर आधारित है। इसके पूर्व जब ट्रांजैक्शन कंसलटेंट का चयन किया गया था तब लिखा गया था कि निजीकरण का आधार स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2020 है।
संघर्ष समिति ने कहा कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट के चयन और आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार किए जाने के बीच निजीकरण का आधार स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2020 से बदलकर स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 हो गया है। ऐसे में निजीकरण की सारी प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए और पहले स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 सार्वजनिक किया जाय जिसके आधार पर प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था निजी घरानों को दी जा रही है।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 278 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।