निजीकरण के खिलाफ लगातार आंदोलन का 300वां दिन बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के संघर्ष के इतिहास में एक मील का पत्थर

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में संघर्ष करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। सरकार की निजीकरण नीति और कर्मचारियों के प्रति उसका घोर उदासीन रवैया, साथ ही दमन और उत्पीड़न की लगातार जारी कार्रवाइयाँ इसे और भी कठिन बना देती हैं।

20 जुलाई को AIPEF फ़ेडरल काउंसिल लखनऊ की बैठक में शामिल हुए साथियों ने यूपी सरकार के रवैये की एक झलक तब देखी जब पुलिस वहाँ पहुँची और पूछा कि आप पुलिस की अनुमति के बिना AIPEF की बैठक कैसे कर रहे हैं। मुझे उन्हें यह समझाने में काफ़ी समय लगा कि यह एक आंतरिक बैठक है जो एक सभागार में हो रही है, कोई प्रदर्शन नहीं।

इन सबके बीच, हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि कर्मचारी हर दिन, हर जिले में, हर मौसम में एकत्रित हों, एक ही विषय पर प्रतिदिन अलग-अलग प्रेस नोट कैसे लिखें, और जिसका उत्तर प्रदेश के अखबार आंदोलन की कहानी का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

मेरे लिए, 50 वर्षों से अधिक के ट्रेड यूनियन अनुभव के साथ, यह एक पूर्णतया अनोखी घटना है।

आज राजधानी लखनऊ समेत सभी ज़िलों में 300 दिन पूरे होने पर आंदोलन को उत्सव की तरह मनाया गया। आज सत्याग्रह का निर्णय लिया गया: टेंडर प्रकाशित होते ही उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर सामूहिक “जेल भरो” आंदोलन शुरू करेंगे। इसी संकल्प के साथ आंदोलन के 300 दिन पूरे होने को उत्सव की तरह मनाया गया।

उत्तर प्रदेश में आंदोलन का एक नया इतिहास लिखा जा रहा है।

इंकलाब ज़िंदाबाद!

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उ.प्र

 

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