महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा संविदा कर्मचारियों की भर्ती के निर्णय की निंदा करें!

कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) ने संविदा के आधार पर 17,450 चालकों और सहायकों की भर्ती करने का निर्णय लिया है। राज्य परिवहन मंत्री ने घोषणा की है कि ठेकेदारों के चयन हेतु निविदा प्रक्रिया 2 अक्टूबर 2025 से शुरू होगी। ये ठेकेदार 3 साल के अनुबंध पर चालकों और सहायकों की आपूर्ति करेंगे। इसे उचित ठहराते हुए, मंत्री ने कहा कि 8,000 नई बसों के संचालन हेतु कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम आवश्यक है। परंतु, जब उनसे पूछा गया कि इन पदों को स्थायी कर्मचारियों से क्यों नहीं भरा जा रहा है, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

मंत्री की घोषणा के अनुसार, संविदा चालकों और सहायकों को लगभग 30,000 रुपये का वेतन मिलेगा। लेकिन अन्य रिपोर्टों से पता चलता है कि MSRTC केवल 12,080 रुपये से 26,673 रुपये तक का वेतन और अतिरिक्त भत्ते देगा।

जब भी स्थायी कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो उन्हें तोड़ने के लिए संविदा कर्मचारियों का इस्तेमाल किया जाता है। MSRTC कर्मचारियों का भी यही अनुभव रहा जब उन्होंने 2022 और 2024 में अपने हालिया संघर्ष शुरू किए। सितंबर 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने एक प्रस्ताव जारी कर सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, शहरी, ग्रामीण, स्थानीय निकायों, निगम बोर्डों और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में विभिन्न पदों पर संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए नौ निजी एजेंसियों को सूचीबद्ध करने को मंजूरी दी। हालाँकि, महाराष्ट्र के कर्मचारियों के कड़े विरोध के कारण, सरकार को भर्ती प्रक्रिया रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

हाल ही में नर्स, डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी, शिक्षक, नगरपालिका कर्मचारी और बैंक कर्मचारी भी ठेका आधारित रोजगार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कई अखिल भारतीय और राज्य स्तरीय मजदूर संघों ने ठेका मजदूरों की भर्ती बंद करने की मांग को अपनी मुख्य मांग के रूप में शामिल किया है। वे बता रहे हैं कि ठेका मजदूर प्रणाली न केवल ठेका मजदूरों के रूप में भर्ती किए जाने वालों के हितों के खिलाफ है, बल्कि पूरे मजदूर वर्ग के हितों के भी खिलाफ है।

ठेका श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के अनुसार, स्थायी प्रकृति के कार्यों के लिए ठेका मजदूरों को नियुक्त करना निषिद्ध है। परंतु, केंद्र और राज्य सरकारों के कई विभाग और स्थानीय स्वशासन निकाय इस अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन करते हैं और विभिन्न प्रकार के स्थायी कार्यों के लिए ठेका मजदूरों  की भर्ती करते हैं।

मज़दूर वर्ग न्याय के लिए राज्य प्राधिकरणों या अदालतों पर निर्भर नहीं रह सकता। केवल मज़दूर वर्ग और अन्य मेहनतकश जनता की एकता ही उन्हें न्याय दिला सकती है।

कामगार एकता कमिटी सभी मज़दूरों और मेहनतकश लोगों से ठेका आधार पर मज़दूरों की नियुक्ति के विरुद्ध MSRTC के मज़दूरों के संघर्ष का समर्थन करने का आह्वान करती है।

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