निजीकरण की प्रक्रिया तेज होते देख संघर्ष समिति ने नियामक आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर वार्ता हेतु समय देने की मांग की संघर्ष समिति का पक्ष सुने बिना आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर निर्णय लिया गया तो नियामक आयोग मुख्यालय पर मौन विरोध प्रदर्शन होगा

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश का वक्तव्य

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने निजीकरण की प्रक्रिया तेज होते देख विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार को आज एक पत्र भेजकर मांग की है कि वह पॉवर कारपोरेशन द्वारा दिये गए आरएफपी डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा लगाई गई आपत्तियों पर पावर कॉरपोरेशन का जवाब सुनने के पहले विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश को अपना पक्ष रखने के लिए समय दें।

संघर्ष समिति ने पत्र में चेतावनी दी है कि यदि विद्युत नियामक आयोग से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल को समय न दिया तो विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर सैकड़ों बिजली कर्मी विद्युत नियामक आयोग के मुख्यालय पर मौन प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी नियामक आयोग के अध्यक्ष की होगी।

पत्र में कहा गया है कि समाचार पत्रों के माध्यम से यह विदित हुआ है कि विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष ने माननीय ऊर्जा मंत्री, प्रमुख सचिव ऊर्जा और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम केआरएफपी डॉक्यूमेंट पर नियामक आयोग द्वारा लगाई गई आपत्तियों के संबंध में अलग से चर्चा की है। चर्चा यह भी है कि इस बैठक में यह तय हो गया है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा आपत्तियों पर दिए जाने वाले जवाब पर विद्युत नियामक आयोग ने अपनी सहमति दे दी है जिसके बाद निजीकरण का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा।

संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि यदि यह सही है तो यह बहुत ही गंभीर बात है कि सरकार, प्रबंधन और विद्युत नियामक आयोग के बीच निजीकरण को लेकर मिलीभगत हो गई है। एक लाख करोड रुपए से अधिक की पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के दाम पूर्व निर्धारित निजी घरानों के हाथ बेचने की साजिश है यह।

संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेकहोल्डर बिजली के उपभोक्ता और बिजली के कर्मचारी हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से लगभग 60000 संविदा कर्मियों और साढ़े सोलह हजार नियमित कर्मचारियों की नौकरी समाप्त होने जा रही है। हजारों की संख्या में बिजली कर्मियों की पदावनती होने जा रही है। निजीकरण के दुष्प्रभाव से बिजली कर्मचारियों में भारी चिंता और गुस्सा व्याप्त है।

बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के आज लगातार 315वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

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