द्वारा
विमला एम, पुरोगामी महिला संगठन
केंद्र सरकार रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर खोल रही है। रेल मंत्रालय ने देश के कई रेलवे स्टेशनों को महिलाओं के हवाले कर दिया है। वर्तमान में 2,000 से अधिक महिलाएं ट्रेनें चला रही हैं। फिर भी महिलाओं की बुनियादी स्वच्छता जरूरतों पर कोई विचार नहीं किया गया है। ट्रेनों के इंजन में शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है।
नियम इतने कठोर हैं कि लोको पायलट (इंजन चालक) इंजन को नहीं छोड़ सकते। दो-तीन मिनट के स्टॉपेज पर वाहन चालकों को उतरने भी नहीं दिया जाता। लोको पायलट नियमित रूप से 10 से 12 घंटे की लगातार ड्यूटी करते हैं। सर्दियों में, कोहरे के कारण ट्रेनें 36 घंटे तक की देरी से चल सकती हैं।
IRLO के समन्वयक संजय पांधी ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 2013-14 में रेल मंत्रालय से ट्रेन के इंजन में शौचालय और एसी लगाने को कहा था, लेकिन रेलवे ने इसे लागू नहीं किया। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता से इस बारे में कई बार पूछताछ की जा चुकी है लेकिन इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
हालात से निपटने के लिए महिला ड्राइवर सैनिटरी पैड पहनने को मजबूर हैं, जबकि पुरुष बोतल साथ ले जाने को मजबूर हैं। लोको पायलटों की बुनियादी मांगें बहुत जायज हैं। हमारे पास दुनिया भर के देशों से अच्छे उदाहरण हैं। उदाहरण के लिए, यू.के. में, एक लोको पायलट को आठ घंटे की ड्यूटी में 3 से 4 घंटे के बीच 40 मिनट का ब्रेक दिया जाता है। परन्तु “आधुनिक” भारत इन सांसारिक जरूरतों से ऊपर लगता है!
Yah bahut hi sharmnak bat hai ki jha bharat ko adhunik bharat samriddh bharat kahkar ghoshnayen ki jati hai ki yha ke halat bahut achhe h , logo ke sabhi sukh-suvidhaye suraksha ,adhikaro ki bate kitabo me padhayi jati hai . Vah kitni opposite h bilkul ulta hi hume anubhav milta h . Jab hum es hakikat ko samjhate h aur lokhit ke khilaf hone vale karyo ke virudh aavaj uthate aur tab un avajo dabaya jata h ya use sunkar ansuna kar diya jata h . Yha lifeline khijane vale traino ke drivers aur gaurdo ki life ke bare me unke avasth ki suraksha ki taraf dhyan nhi diya jata h. Tha tak ki mahila relkarmi ki taraf bhi ignore kiya ja raha .yah to bahut sharmnak bat h ki humare desh me mahilaon ki taraf es tarah andekhi ki ja rahi h . 8 ghante ke working hours me unhe kam se kam 2 bar break diya jana chahiye jisase sharirik aur naisargik jarurat ko pura kiya sake . Shauchalay ki suvidha honi chahiye yah ek yesi jarurat h jiska koi vikalp nhi ho sakta h. Esi tarah ek lohe se bani train jo garmi me to aag ki tarah tapti rahti h yese me har din 8 ghante nirantar jokhim bhara kam karna kitna taklifdayak h yese me unhe atyadhik garmi me rahane ki vajah se kai bimariyon ka samna karna pad sakta h . Yah bhartiya rel prashashan ki laparvahi aur kendra sarkar ki andekhi kah sakte h ki logo ki taklifon ko najarandaz kiya jata h .