3 अक्टूबर 2021 को सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम की बैठक में श्री विजेंद्र धारीवाल, राष्ट्रीय आयोजन सचिव, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन योजना (एनएमओपीएस) के भाषण के मुख्य बिंदु
2004 में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बंद कर दिया गया था। 2004 के बाद जो भी जुड़े हैं, उन सभी को नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत लाया गया है। निजीकरण सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निरंतर पेंशन मिलने के विषय में एक गंभीर समस्या पैदा करेगा। निजी कंपनियां ऐसा बोझ नहीं उठाना चाहतीं।
2017-18 में जब हमने आंदोलन शुरू किया तो हमें आम आदमी के बीच जाना पड़ा था। अब हमें अपने सदस्यों को बताना होगा कि निजीकरण का असर सबसे पहले हम पर और उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा।
अगर शिक्षा क्षेत्र की बात करें तो यह आम आदमी से जुड़ा है। सरकार धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से शिक्षा क्षेत्र का निजीकरण कर रही है। एक कल्याणकारी राज्य को लोगों की अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए लेकिन सरकार ने इनके लिए बजट को बोझ के रूप में बात करना शुरू कर दिया है। कई जगह शिक्षक व स्कूल भवन नहीं है। खोले जा रहे निजी स्कूल सिर्फ शिक्षा का धंधा कर रहे हैं फिर भी उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। अधिकांश बड़े संस्थान या तो बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में हैं या बड़े राजनीतिक नेताओं के पास जिनका एकमात्र मकसद लाभ कमाना है। निजी खिलाडिय़ों की मदद के लिए प्रचार किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी नहीं है और यह सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है।
सरकार अधिक से अधिक उद्यमों को निजी इजारेदारों को सौंपना चाहती है और इसलिए लोगों को अशिक्षित रखना आवश्यक है ताकि वे निजीकरण के बारे में सोच और विरोध न कर सकें। हमें दो लड़ाई लड़नी है; एक सभी क्षेत्रों के सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है और दूसरी लड़ाई निजीकरण के खिलाफ है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप लोगों के बीच काम करें और निजीकरण के दुष्परिणामों के बारे में उन्हें सूचित करके और सार्वजनिक क्षेत्र के बारे में उनकी गलतफहमी को, जिसे सरकारी प्रचार द्वारा जानबूझकर पोषित किया गया है, उसे दूर करके उनका समर्थन जीतें।