मध्य प्रदेश यूनाईटेड फ़ोरम फॉर पावर इम्पलाईज एवं इंजीनियर्स ने नोटिस दिया कि यदि अक्टूबर में बकाया डी.ए. नहीं दिया गया तो 1 नवम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल

कामगार एकता कमिटी के संवाददाता की रिपोर्ट
राज्य सरकार द्वारा बिजली कर्मचारियों को दिए गए आश्वासनों को पूरा न करने ने उन्हें हड़ताल पर जाने पर मजबूर कर दिया। स्थायी, कॉन्ट्रेक्ट और आउटसोर्स कर्मचारी सब एकजुट होकर यह संघर्ष क्र रहे हैं

 

 

मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स, मध्य प्रदेश विद्युत बोर्ड की विभिन्न राज्य सरकार की कंपनियों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों का एक संयुक्त मंच है। 29 अक्टूबर ’21 को संयुक्त मंच ने मध्य प्रदेश राज्य सरकार को नोटिस दिया कि वे 1 नवंबर ’21 से हड़ताल पर रहेंगे, जब तक कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में स्वीकार किए गए विभिन्न निर्णयों को तुरंत लागू नहीं किया जाता है। मंच के प्रतिनिधियों द्वारा मध्यप्रदेश के 52 जिलों के जिला कलेक्टरों को भी ज्ञापन दिया गया।

मध्य प्रदेश राज्य सरकार के 21 और 22 अक्टूबर, 21 के निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी सरकारी कर्मचारियों को उनके अक्टूबर वेतन में 8% डीए और 50% वेतन वृद्धि बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा। परन्तु, 27 अक्टूबर जो अक्टूबर वेतन गणना का अंतिम दिन है तब तक, मध्य प्रदेश सरकार की किसी भी बिजली कंपनी ने आवश्यक निर्देश नहीं दिए थे। इसलिए अनुबंध और आउटसोर्स कर्मचारियों सहित विभिन्न संवर्गों के 70 हजार से अधिक कर्मचारियों को हड़ताल का नोटिस देने के लिए मजबूर होना पड़ा। मंच द्वारा जारी संबंधित पत्र नीचे दिए गए हैं।

सभी कार्यकर्ताओं की एकता बहुत ही प्रशंसनीय है!

बताया गया है कि हजारों कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों को पिछले 2 वर्षों में कोई वेतन वृद्धि या डीए वृद्धि नहीं दी गई है। यह भी बताया गया है कि उन्हें पिछले 5 वर्षों से कोई बोनस नहीं दिया गया है, इस प्रकार बोनस भुगतान से संबंधित सभी कानूनों का उल्लंघन किया गया है। आउटसोर्स कर्मचारी भी काफी समय से अपना 9-सूत्री डिमांड चार्टर उठा रहे हैं। खबर है कि राज्य के बिजली मंत्री ने उनसे वादा किया था कि उनकी मांगें पूरी की जाएंगी जो अब तक नहीं हुई हैं। इसलिए, स्थायी, कॉन्ट्रेक्ट और आउटसोर्स कर्मचारियों ने एकजुट होकर हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। ऐसी एकता बहुत ही सुखद और आवश्यक है, अन्यथा सरकारें श्रमिकों के न्यायसंगत संघर्षों को तोड़ने के लिए अकसर एक प्रकार के कर्मचारियों या कर्मचारियों के एक तबके का उपयोग करती हैं।

सरकार का मजदूर विरोधी प्रचार जरूर फेल होगा!

पूंजीवादी नियंत्रित कॉरपोरेट मीडिया हमेशा की तरह बहुत ही शरारती तरीके से हड़ताल के नोटिस की खबर दे रहा है। बताया जा रहा है कि इस तरह की हड़ताल का मतलब मध्य प्रदेश के लोगों के लिए “रोशनी के त्योहार” के दौरान “अंधेरा” होगा। क्या बिजली कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य “मध्य प्रदेश के लोगों” का हिस्सा नहीं हैं? क्या उनकी दिवाली महत्वपूर्ण नहीं है? और अगर वास्तव में मजदूरों को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर किया जाता है, तो कौन जिम्मेदार है? श्रमिक या विभिन्न सरकारी विभाग जो अपने स्वयं के निर्णयों और वादों को लागू नहीं कर रहे हैं?

संयुक्त मंच के प्रतिनिधियों ने बहुत सही घोषणा की है कि श्रमिकों को काम पर हड़ताल करने के लिए मजबूर होने पर लोगों को होने वाली किसी भी कठिनाई के लिए मध्य प्रदेश राज्य सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार होगी। सरकारें हमेशा इस तरह के दुष्प्रचार करके अपनी जायज मांगों और अधिकारों के लिए लड़ने वाले मजदूरों के खिलाफ आम लोगों को खड़ा करने की कोशिश करती हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश के बिजली कर्मचारियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। मध्य प्रदेश के लोग तथ्यों को समझने के लिए पर्याप्त बुद्धिमान हैं और निश्चित रूप से मध्य प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के साथ खड़े होंगे।

 

 


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वीर
वीर
3 years ago

मैं बिजली मजदूरों के जायज माँगो का समर्थन करता हुँ। बिजली कर्मचारियों को उनकी मेहनत की कमाई हासिल करने का पुरा हक है। या नकार कर रही सरकार की बजह से आज उन्हे लड़ना पड़ रहा है।
मैं मध्य प्रदेश की जनता से गुजारिश करता हुँ की वे बिजली कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करें एवं सरकार पर दबाव बनकर बकाया वेतन का तुरंत भुगतान करने के लिए उसे मजबूर करें

एक पर हमला सब पर हमला

संजय पांडे
संजय पांडे
3 years ago

मैं महाराष्ट्र में बिजली कर्मचारी हूँ । हमे भी राज्य सरकार से अलग दिखाया जाता है, केवल यह कहकर की “आपका तो अलग विद्युत मंडल है”, जब कि हर निर्णय राज्य सरकार लेती है। और फिर उसी बहाने दूसरे राज्य सरकारी कर्मचारियों से अलग बर्ताव हमारे साथ किया जाता है । “तुम्हारा विद्युत मंडल घाटे में है” यह कहकर हमें भी दूसरे राज्य कर्मचारियों के मुकाबले कम आर्थिक लाभ दीये जाते है । दिन ब दिन यह स्पष्ट हो रहा है की एक के बाद एक सरकारों की यह सोची समझी नीति है, चाहे भाजपा गठबंधन हो या काँग्रेस गठबंधन । मेरे खयाल से हमने यह माँग उठाना जरूरी हो गया है, की हमे राज्य सरकार में विलीन किया जाय । इससे निजीकरण विरोधी संघर्ष भी मजबूत होगा ।

शशिकांत पांडे
शशिकांत पांडे
3 years ago

मध्य प्रदेश बिजली मजदूरों की हड़ताल के बारे में मुझे आपकी AIFAP की वेबसाइट से ही खबर मिली । मैं वैसे तो भोपाल का हूँ, मगर अब बैंगलोर में सर्विस करता हूँ । इसलिए मध्यप्रदेश की खबरें मेरे लिये महत्वपूर्ण है । और इतने बड़े और एकता से किए मध्यप्रदेश बिजली मजदूरों के संघर्ष के बारे में, एक भी मुख्य अखबार में दो लाईन भी खबर नहीं आई । हम सब , मजदूर और मेहनतकश के समर्थकों को, AIFAP जैसा माध्यम विकसित करना बेहद आवश्यक लगता है, क्योंकि बाकी मीडिया तो बस पूंजीपतियों के संपूर्ण नियंत्रण में है ।