श्री सौम्या दत्ता, महासचिव, एआईबीओसी से प्राप्त रिपोर्ट
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने एक राष्ट्रव्यापी यात्रा का आयोजन किया जो 30 नवंबर को दिल्ली पहुंची और एक बैठक में संपन्न हुई। यात्रा का उद्देश्य लोगों को बैंक निजीकरण के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना था।
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने एक राष्ट्रव्यापी यात्रा का आयोजन किया जो 30 नवंबर को दिल्ली पहुंची और जंतर-मंतर पर एक बैठक में संपन्न हुई। यात्रा का उद्देश्य लोगों को बैंक निजीकरण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना था। बैंक के निजीकरण के खिलाफ लड़ाई में अपना समर्थन देने के लिए ट्रेड यूनियन और किसान बैठक में शामिल हुए।
एक समूह ने 24 नवंबर को कोलकता से और दूसरे ने मुंबई से यात्रा शुरू की और महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश को कवर किया। यात्रा 28 नवंबर को कानपुर पहुंची तो वहां एक सभा का आयोजन किया गया। बैठक को एआईबीओसी के महासचिव श्री सौम्य दत्ता ने संबोधित किया, जिन्होंने बताया कि निजी बैंकों की विफलता बैंकों के राष्ट्रीयकरण के प्राथमिक कारणों में से एक थी। बैंकों के निजीकरण से देश आर्थिक रूप से पिछड़ जाएगा। बैठक का संचालन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन के क्षेत्रीय सचिव श्री अरविंद द्विवेदी ने किया और इसमें श्री पवन कुमार, एआईबीओसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री सुंदर श्याम भाटिया, अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, कानपुर के अलावा अन्य शामिल थे।
यह यात्रा के माध्यम से लोगो तक जागरूकता फैलाना यह बहुत अच्छा तरीका है लेकिन सिर्फ बैंक कर्मचारी और किसान का आंदोलन नहीं समझना चाहिए यह देश के सभी आम लोगो का आंदोलन होना चाहिए । बैंको का निजीकरण सभी लोगो पर बुरा असर डालता है प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष दोनो ही माध्यम से आम लोगो का ही नुकसान होगा । इसलिए हम सभी को मिलकर विरोध करना चाहिए।