सहकारी बैंकों की विफलता के लिए जिम्मेदार लोग “जमाकर्ता पहले” जश्न कैसे मना सकते हैं?

श्री देवीदास तुलजापुरकर, महासचिव, महाराष्ट्र बैंक फेडरेशन और उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय बैंक एम्प्लोयीस एसोसिएशन द्वारा

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी “जमाकर्ता पहले” पहल के तहत सरकार द्वारा RBI के सहयोग से आयोजित एक समारोह में डिपोजिट इन्सुरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) के कोष से 16 विफल शहरी सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को 1,300 करोड़ रुपये का वितरण कर रहे हैं।

वे शहरी सहकारी बैंक क्यों विफल हुए हैं? या तो रेगुलेटर यानी आरबीआई की विफलता के कारण या प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के कारण जिसके लिए यह सरकार की विफलता है। इस पृष्ठभूमि में, विफलता के लिए जिम्मेदार लोगों द्वारा जश्न हास्यास्पद है!

1 अप्रैल 2020 से, सरकार ने बीमा के कवरेज को रु. 1 लाख के जमाराशियों से रु. 5 लाख तक बढ़ा दिया है। यह एक स्वागतयोग्य निर्णय है लेकिन साथ ही प्रीमियम में भी 100 रुपये के लिए 2 पैसे की वृद्धि की गयी है, इस प्रकार DICGC को लगभग रु. 2,993 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इस आय में से 1,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जिसे स्पष्ट रूप से बैंक जमाकर्ताओं के संग्रह से लिया जा रहाहैशायद अप्रत्यक्ष रूप से। DICGC के पास लगभग 1,29,900 करोड़ रुपये का भंडार है। बढ़े हुए कवरेज के साथ 98.1% जमाकर्ता के खाते कवर हो जाते हैं लेकिन केवल 49.9% की राशि कवर होती है।

बाजार अर्थव्यवस्था के आगमन के साथ, ग्राहक को बाजार का राजा कहा जाता है, लेकिन यहां ग्राहक असहाय है। अब सरकार इतनी दीवानी हो गई है कि नाकामी भी मनाई जा रही है! जितना कम कहा जाए उतना अच्छा! PMC और रुपया सहकारी बैंक के बेचारे ग्राहक अभी भी अपनी जमा राशि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में उनमें से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। उनके प्रति हमारी संवेदना है।

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