एक बार फिर यह संदेह से परे साबित होता है कि बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की एकजुट कार्यवाही राज्य में और अखिल भारतीय स्तर पर बिजली क्षेत्र के निजीकरण को रोक सकती है। 3 दिनों की कुल हड़ताल कार्यवाही ने सरकार को फैसला बदलने के लिए मजबूर कर दिया है।
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