कॉम. संजीव मेहरोत्रा, महासचिव, बरेली ट्रेड यूनियन्स फेडरेशन एवं जिला अध्यक्ष, AITUC बरेली और उपाध्यक्ष, यूनियन बैंक स्टाफ एसिओसेशन, उ.प्र. से प्राप्त रिपोर्ट
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स, बरेली
की
सभी सम्मानित ग्राहकों से अपील
सम्मानित ग्राहकगण,
हम सभी जानते है कि भारतीय सविधान में देश मे समाजवादी व्यवस्था के तहत ही 1969 में देश के राष्ट्रपति डॉ बी वी गिरि ने बैंको का राष्ट्रीय करण घोषित किया था, इससे पहले बैक पूंजीपतियों के हाथों में ही थे और यह पूंजीपति जनता की निधियों को हड़प कर बैंक बन्द कर देते थे और भाग जाते थे| राष्ट्रीयकरण के पश्चात देश के बैंको ने हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति और औद्योगिक क्रांति में अपनी मुख्य भूमिका निभाई, देश का किसान खुशहाल बना, उद्योग धंधों का विकास हुआ और लाखों युवाओं को नोकरियों मिली, किन्तु अब फिर सरकार इनको निजी क्षेत्र में लाना चाह रही है और जल्द ही बैकिंग एमेंडमेंट बिल संसद में लाया जा रहा है, जो न केवल बैंक कर्मचारी ही नही बल्कि देश की जनता के साथ भी धोखा है|
हमारा मानना है:-
1. राष्ट्रीयकृत बैंक देश की अमूल्य निधि है और देश के नवरत्न कहे जाते है|
2. देश के सार्वजनिक बैंको में 10 लाख कर्मचारी काम करते है|
3. देश की जनता इन बैंको पर भरोसा कर इसमे अपनी मेहनत की कमाई को जमा कर खुद को सुरक्षित महसूस करती है|
4. देश भर में राष्ट्रीयकृत बैंको की 1,50,000 से अधिक बैंक शाखायें काम करती हैं, जो सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचल तक फैली हैं|
5. इन बैंको में गरीब से गरीब इंसान खाता खोल सकता है और पैसा जमा कर सकता है| अभी 50 करोड़ से अधिक जनधन खाते इन्ही राष्ट्रीयकृत बैंको के कर्मचारियों ने खोल कर एक रिकॉर्ड बनाया है|
6. इन बैंको में आम जनता पूरी आजादी और निर्भयता से आ जा सकती है औऱ अपना बैंकिग लेन देन और लोन आदि काम कर सकती है|
7. बैंको के इसी स्वरूप में जनता का पैसा सर्वाधिक सुरक्षित है.
विचार करें
8. विगत समय मे तमाम निजी बैंको यथा बरेली कॉर्पोरेशन बैंक, बनारस स्टेट बैंक, लाला काशीनाथ सेठ बैंक आदि का राष्ट्रीय बैंको में विलय बताता है कि अकुशल प्रबन्धन से फेल हुए इन बैंको का सार्वजनिक बैंको में विलय कर के जनता की डूब चुकी निधि को वापस दिलाया जा सका परन्तु अब इसके उलट अगर सरकार सार्वजनिक बैंको का निजीकरण करती है तो जनता की निधि डूब जाने से कौन बचा सकेगा|