अखिल भारतीय दो दिवसीय आम हड़ताल: हड़ताली बिजली कर्मचारियों ने महाराष्ट्र के ठाणे में विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया

कामगार एकता कमिटी (KEC) के संवाददाता की रिपोर्ट

अखिल भारतीय 2-दिवसीय आम हड़ताल के हिस्से के रूप में, महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अधिकारी, अभियंता संघर्ष समिति (26 संगठनों और यूनियनों से गठित) के साथ-साथ महाराष्ट्र राज्य वीज कंत्राटी कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति के विभिन्न संगठनों से जुड़े बिजली कर्मचारियों ने सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में MSEB कार्यालय, वागले एस्टेट, ठाणे में पूरे दो दिवसीय प्रदर्शन और गेट मीटिंग का आयोजन किया। बैठक में पहले दिन कई महिला कर्मियों समेत 300 से अधिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। उन्होंने कामगार एकता कमिटी (KEC) और लोक राज संगठन (LRS) जैसे जन संगठनों के प्रतिनिधियों का स्वागत बहुत ख़ुशी के साथ किया, जो कार्यकर्ताओं को अपना समर्थन देने आए थे। 82 सदस्यीय AIFAP (सर्व हिन्द निजीकरणविरोधी फोरम) द्वारा लाई गई पुस्तिका, “मुद्रीकरण, निगमीकरण और निजीकरण आपके लिए क्यों हानिकारक हैं” जिनको तब तक नहीं मिली थी, उन्हों ने उसको बड़ी उत्सुकता से प्राप्त किया।

बैठक की शुरुआत एकता के जोशीले नारों से हुई, जिसमें अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अपना संकल्प व्यक्त किया गया। इसे कॉम. लीलेश्वर बन्सोड, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन और AITUC के नेता, कॉम. भानुशाली एवं कॉम. अमोल कदम, SEA (Subordinate Engineers Association) के नेता तथा महिला अघाड़ी की नेता सुश्री अमिता सहित यूनियनों और संगठनों के विभिन्न नेताओं ने संबोधित किया। KEC की रिया और LRS की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा डॉ. संजीवनी जैन ने भी अपनी बातें रखी।

भाषणों से पहले, कई कामगारों का जोरदार स्वागत किया गया| ये वो मज़दूर थे जिनकी यूनियन ने ऐन मौके पर हड़ताल से हटकर उन्हें धोखा दिया था| तब उन्हों ने उस यूनियन से इस्तीफा दिया और हड़ताल में शामिल हो गये| नियमित श्रमिकों, अधिकारियों और इंजीनियरों के साथ-साथ अनुबंध पर या आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त किए गए लोगों के बीच एकता का अद्भुत माहौल बना रहा। कॉम. बन्सोड ने खुलेआम ठेका और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को कहा कि हड़ताल में शामिल होने के परिणामों से उन्होंने बिलकुल डरना नहीं चाहिये और उन्हें आश्वासन दिया कि वे एकजुट होकर लड़ेंगे और उन्हें बचाएंगे, यहां तक कि उनके सिर से एक बाल को भी अधिकारी नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे! एक और बात जो उन्होंने कही वह वाकई लोगों के दिलों को छू गई: “हम आर्थिक दृष्टि से भले ही पिछड़े हों, लेकिन विचारों में हम पिछड़े नहीं हैं। हम सब एक ही जाति के हैं, मजदूर होने के नाते!”

नेताओं ने निजीकरण के दुष्परिणामों और सत्ता में आने वाली सभी पार्टियों द्वारा श्रमिकों और लोगों के हितों के साथ विश्वासघात के बारे में बात की। यह माना गया कि निजीकरण भारतीय और विदेशी दोनों अरबपतियों और करोड़पतियों का एजेंडा है, जो विभिन्न पार्टियों को फंड देते हैं। अपने काम के कारण बिजली कर्मचारी उनके पास मौजूद “power” से पूरी तरह अवगत हैं, और उन्होंने एकजुट होकर लड़ने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। बिजली कर्मियों की शक्ति की तुलना उन लोगों से की जा सकती है जो हमारे लोगों के केवल गरीब तबके की सेवा करते हैं, जैसे कि ST मज़दूर, आंगनवाड़ी कर्मी, और सरकारी स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। बिजली कर्मचारियों के दृढ़ संकल्प का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेस्मा (महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) के लागू होने के बाद में भी वे विचलित नहीं हुए और न ही उनकी हड़ताल को उन्हों ने रोका। वे जानते थे कि उनकी एकता के आगे सरकार शक्तिहीन है।

नेताओं ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में बिजली के क्षेत्र में उनके साथियों द्वारा किए गए हालिया सफल संघर्षों का उदाहरण दिया। जम्मू-कश्मीर में कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं का समर्थन हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी और यही कारण है कि सरकार द्वारा सेना लाए जाने और शून्य से नीचे के तापमान के बावजूद वहां संघर्ष सफल हो सका। “यदि वे ठंड की स्थिति में लड़ सकते हैं, तो हम इस भीषण गर्मी में लड़ेंगे और जीतेंगे!” इस घोषणा का जोरदार जयकारों के साथ स्वागत किया गया।

कॉम. भानुशाली ने हड़ताल से एक दिन पहले अधिकारियों ने फोन करके कर्मचारियों को डराने-धमकाने के प्रयासों के बारे में बात की। उन्होंने घोषणा की कि हड़ताल पूरी तरह से सफल रही, राज्य में बिजली उत्पादन गिर गया और वोल्टेज गिर रहा था। उन्होंने पूरे विश्वास के साथ घोषणा की कि जिस हेकडेबाज सरकार ने दो महीने पहले नोटिस देने के बावजूद उनसे बात करने से इंकार कर दिया था, उसी दिन उसे जल्द ही घुटने टेकने पड़ेंगे! (यह वास्तव में बाद में हुआ, जैसा कि हमने यूनियनों की प्रेस विज्ञप्ति में प्रकाशित किया है)

कॉम. अमिता ने घोषणा की कि कंपनी हमारी मां की तरह है, वह हमें खिलाती है और हमें कपड़े पहनाती है, और उसके बच्चों के रूप में यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि वह लालची मुनाफाखोरों के हाथों में न पड़े।

डॉ. संजीवनी जैन ने देश भर के बिजली कर्मचारियों की सराहना की, क्योंकि पार्टी और यूनियन संबद्धता की सभी बाधाओं को पार करते हुए वे एक साथ आए थे। उन्होंने घोषणा की कि यह न केवल हमारे लिए, न केवल हमारे देश के लोगों के लिए बल्कि दुनिया के लोगों के लिए एक उदाहरण है। हम सब पढ़े-लिखे हैं और हम समझते हैं कि निःसंदेह बड़ी सफलता वाली यह हड़ताल हमारे दीर्घकालीन संघर्ष का हिस्सा है। हम जानते हैं कि हमारे देश में जो कुछ है वह लोगों का शासन नहीं है। अगर ऐसा होता तो करोड़ों लोगों को अपने वाजिब हक मांगने के लिए बार-बार सड़कों पर नहीं उतरना पड़ता। हमें इस राजनीतिक व्यवस्था को करीब से देखना होगा जो हमें पूरी तरह से अक्षम करती है और मेहनतकश लोगों को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक परिवर्तनों पर चर्चा और काम करना होगा, ताकि हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकें जिसके लिए हमारे शहीदों ने अपना जीवन लगा दिया था।

जब दिन भर का कार्यक्रम समाप्त हुआ, तो प्रतिभागियों ने अगले दिन को और भी अधिक सफल बनाने के लिए दृढ़ संकल्प किया।

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments