श्रमिक संगठनों के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP) के संयोजक डॉ. ए. मेथ्यू का खुला पत्र

प्यारे भाइयो और बहनों,

हम अपने देश के मजदूर वर्ग, किसानों और मेहनतकशों को सलाम करते हैं! उन्होंने ESMA, EDSA (आवश्यक रक्षा सेवा अधिनियम), अदालत के आदेशों, भारी वेतन कटौती, आदि जैसी सभी बाधाओं का सामना किया और 28 और 29 मार्च 2022 की दो दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल को एक बड़ी सफलता बनाने के लिए इसमें भाग लिया!

28, 29 मार्च, 2022 की अखिल भारतीय आम हड़ताल में 20 करोड़ से अधिक विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया – सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों, बहुदेशीय कंपनियों, लघु और मध्यम उद्यमों सहित निजी क्षेत्र, आशा, आंगनवाड़ी, घरेलू कर्मी, निर्माण कर्मी, बीड़ी श्रमिक, फेरीवाले और कृषि श्रमिक। संयुक्त किसान मोर्चा ने ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को उनकी छह मांगों के समर्थन के साथ-साथ श्रमिकों की हड़ताल का समर्थन करने के लिए संगठित किया।

बैंक, बीमा, कोयला, विशाखापट्टनम स्टील और अन्य इस्पात संयंत्रों, पेट्रोलियम और एलपीजी, तेल और प्राकृतिक गैस, तांबा, दूरसंचार क्षेत्र, सीमेंट श्रमिकों, बंदरगाह और गोदी श्रमिकों (पारादीप और तूतीकोरिन में) ने पूरी तरह हड़ताल करी।

केरल उच्च न्यायालय ने BPCL और सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोक दिया था। चूंकि BPCL को तुरंत निजीकरण के लिए लक्षित किया गया है, इसलिए प्रबंधन ने दो दिनों की हड़ताल के लिए 18 दिनों के वेतन में कटौती के मनमाना दंड घोषित किया था! साथ ही हड़ताल पर गए मजदूरों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी। इन सब बातों को दरकिनार करते हुए, BPCL कोचीन रिफाइनरी श्रमिक BPCL के निजीकरण का विरोध करते हुए और राष्ट्रीय सामान्य हड़ताल की मांगों का समर्थन करते हुए दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए।

देशभर में बिजली वितरण कंपनियों के श्रमिकों ने दो दिन तक काम का बहिष्कार किया। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को कवर करने वाले उत्तरी ग्रिड में, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ को कवर करने वाले पश्चिमी ग्रिड में, बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को कवर करने वाले पूर्वी ग्रिड में, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी को कवर करने वाले दक्षिणी ग्रिड में बहिष्कार पूरा हुआ।

महाराष्ट्र के बिजली कर्मचारियों को MESMA (आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) की धमकी दी गई थी, लेकिन उन्होंने अपनी हड़ताल जारी रखी। महाराष्ट्र में बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी के कर्मचारी भी इसमें शामिल हुए। इसकी वजह से 9000 मेगावाट की बिजली की कमी हो गयी और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न बिजली संकट के कारण ऊर्जा मंत्री को हड़ताली श्रमिकों को बुलाना पड़ा और उन्हें एक लिखित आश्वासन देने के लिए मजबूर होना पड़ा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में बिजली का निजीकरण नहीं करेगी, कि वह MESMA के तहत हड़ताली श्रमिकों पर लगाए गए किसी भी मामले को वापस ले लेगी और हड़ताली श्रमिकों की कई अन्य मांगों पर भी सहमत हो गई।

हरियाणा सड़क परिवहन के श्रमिकों ने भी उन पर लगाए गए ESMA की अवहेलना करते हुए हड़ताल की, और 28 मार्च 2022 की सुबह से ही बस डिपो को पिकेट किया।

रेल कर्मचारी पूरे देश में 1000 से अधिक स्थानों पर सक्रिय एकजुटता के साथ बाहर आए और मुंबई, भटिंडा, हैदराबाद आदि में बड़े पैमाने पर रैलियां हुईं।

रक्षा श्रमिकों ने EDSA की अवहेलना की और दो दिवसीय हड़ताल का समर्थन करने के लिए भारत भर में सभी आयुध कारखानों में बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, AIFAP ने हड़ताल की सफलता के लिए कड़ी मेहनत की। हमने अपने मंच से बैठकें आयोजित करीं। महिला हमारी आधी आबादी हैं और हमारे संघर्षों की सफलता के लिए वे महत्वपूर्ण हैं। हमने महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए उचित महत्व दिया। वेबसाइट ने सक्रियता से हड़ताल के पहले और बाद की रिपोर्टों का तुरंत प्रसार किया।

दो दिवसीय राष्ट्रीय आम हड़ताल केंद्र सरकार की जनविरोधी, राष्ट्रविरोधी नीतियों के विरोध में थी और इसमें सभी कामकाजी लोगों के पक्ष में माँगें उठाई गई थी।

अब हम श्रमिकों को अतिरिक्त हमलों के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की भूमि को एक साथ इकठ्ठा किया जाएगा और कॉर्पोरेट्स को बेचा जाएगा, भविष्य निधि पर ब्याज दर को 8.5% से घटाकर 8.1% कर दिया गया है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण में तेजी लाई जाएगी, भारतीय और बहुराष्ट्रीय कॉर्पोरेट निवेशकों को LIC शेयरों की एक बड़ी राशि की पेशकश की जाएगी, आदि।

हम, श्रमिकों ने सरकार की नीतियों के प्रति अपना विरोध दिखाने के लिए नियमित रूप से अखिल भारतीय आम हड़तालें की हैं। परन्तु, सत्ता में चाहे कोई भी पार्टी रही हो, इनमें से कोई भी मांग संतुष्ट नहीं की गयी और अब केंद्र सरकार अपने कॉर्पोरेट आकाओं द्वारा निर्धारित एजेंडे को पूरा करने के लिए पूरी तरह से आगे बढ़ रही है। तो सवाल यह उठता है कि इस स्थिति में हम मजदूर वर्ग को क्या करना चाहिए?

पहले, यह स्पष्ट है कि सरकार की योजनाओं को हराना संभव है। यह भारत के बिजली श्रमिकों द्वारा स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। पिछले 4 महीनों में ही, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी और अब महाराष्ट्र में बिजली कर्मचारियों द्वारा हड़तालों ने इन राज्यों में प्रस्तावित निजीकरण को रोक दिया है और साथ ही उन्होंने उनकी अन्य मांगों को भी जीत लिया है। कुछ महीने पहले उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल की थी और सरकार को उनकी लंबे समय से लंबित शिकायतों को दूर करने के लिए मजबूर किया था। इन सभी राज्यों में, बिजली श्रमिकों ने सभी यूनियनों को शामिल करते हुए अपनी संयुक्त कार्रवाई समितियों का निर्माण किया था और कई मामलों में उन्हें देश भर के बिजली श्रमिकों द्वारा समर्थित किया गया था। जब श्रमिक संघ सक्रिय रूप से लोगों के बीच गए और समझाया कि निजीकरण क्यों सभी बिजली उपयोगकर्ताओं के हितों के खिलाफ है, तो लोग भी मजबूत समर्थन में सामने आए। ये अन्य सभी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण सबक हैं।

दूसरे, हम कामगार केवल निजीकरण, उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीति का विरोध करने तक खुद को सीमित नहीं रख सकते हैं। हम पिछले 30 वर्षों से ऐसा कर रहे हैं। हमें पूंजीवादी वर्ग के इस कार्यक्रम को एक वैकल्पिक कार्यक्रम के द्वारा चुनौती देने की आवश्यकता है जिस कार्यक्रम को हम भारत के लोगों के सामने रख सकते हैं।

इस कार्यक्रम के कुछ तत्वों को पहले से ही भारतीय मजदूर वर्ग द्वारा उजागर किया जा रहा है। बिजली श्रमिकों ने घोषणा की है कि “बिजली को 21 वीं सदी में एक मौलिक अधिकार के रूप में माना जाना चाहिए, न कि कॉर्पोरेट लाभ के लिए बेची जाने वाली वस्तु के रूप में”। बैंकिंग और बीमा श्रमिकों ने घोषणा की है कि “लोगों के धन का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए!” AIFAP का गठन इस नारे के साथ किया गया था कि “लोगों के धन से निर्मित सार्वजनिक संपत्ति को कॉर्पोरेट्स को नहीं बेचा जा सकता है!” रेल कामगारों ने घोषणा की है कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह अपनी अधिकांश आबादी को सस्ती और आरामदायक यात्रा प्रदान करे और रेलगाड़ियों के प्रचालन को लाभ कमाने के लिए निजी इजारेदारियों को नहीं सौंपा जा सकता है। सभी क्षेत्रों से इन मांगों को एक साथ एकत्र किया जाना चाहिए और श्रमिक वर्ग के वैकल्पिक कार्यक्रम के रूप में भारत के लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

हम इस मुद्दे पर आपकी राय और सुझावों का स्वागत करेंगे!

सादर,
डॉ ए. मैथ्यू
संयोजक
सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP)
2 अप्रैल 2022

 

 

 

 

 

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