एटक ने MECL, नागपुर के साथ CMPDIL, रांची के प्रस्तावित विलय का कड़ा विरोध किया है

अंग्रेजी प्रेस विज्ञप्ति का हिंदी अनुवाद
एटक CMPDIL और MECL के प्रस्तावित विलय का कड़ा विरोध करता है

 

खान मंत्रालय द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन, दिनांक 13 अप्रैल, 2022, यह स्पष्ट करता है कि कोयला और खान मंत्री, श्री प्रल्हाद जोशी ने सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (CMPDIL), रांची झारखंड और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड(MECL), नागपुर, महाराष्ट्र के विलय को मंजूरी दे दी है तथा 20 अप्रैल, 2022 तक कैबिनेट नोट तैयार करने के लिए जानकारी एकत्र की जा रही है।

एटक ने संबंधित मंत्री (संलग्न) को प्रस्तावित विलय पर अपना विरोध व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा है, जिसे जल्दबाजी में करने का प्रयास किया जा रहा है।
दोनों संस्थाओं के कर्मचारियों से बिल्कुल भी सलाह नहीं ली गई है। उनकी सेवा शर्तें पूरी तरह से अलग हैं। CMPDIL का स्वामित्व कोल इंडिया के पास है, जिसका शेयर बाजार में कारोबार होता है, जबकि MECL भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व वाला उद्यम है।

इस तरह के विलय, मोटे तौर पर किए गए, परिचालन संबंधी गड़बड़ियों का कारण बनते है, जैसे कि पीएसयू बैंकों के विलय, आयुध कारखानों के निगमीकरण और इसी तरह अन्य।

एटक ने मांग की है कि प्रस्तावित कदम पर आगे बढ़ने से पहले दोनों प्रतिष्ठानों की मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ गहन चर्चा की जाए।

 

अमरजीत कौर
महासचिव

(अंग्रेजी पत्र का हिंदी अनुवाद)

 

 

अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस
All India Trade Union Congress

 

 

 

 

21.04.2022

प्रति,
श्री प्रल्हाद जोशी,
कोयला एवं खदान मंत्र, भारत सरकार,
शास्त्री भवन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड,
नई दिल्ली।

 

संदर्भ: खदान मंत्रालय से दिनांक 13 अप्रैल 2022 के कार्यालय ज्ञापन संख्या OM No.MoM/Dir(T)/04/2023 फ़ाइल संख्या: CMD/19/MOC/0001/20] 8-0/0 CMD, CMPDI-CMPDI

 

आदरणीय श्री प्रह्लाद जोशी जी,

उपरोक्त कार्यालय ज्ञापन की एक प्रति हमारे पास है।

यह जानकर आश्चर्य होता है कि आपने MECL और CMPDIL के विलय को मंजूरी दे दी है जबकि दो प्रतिष्ठानों की सेवा शर्तें एक दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं तथा कर्मचारियों को कोई संकेत दिए बिना यह किया गया और इस प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा करने की मांग की गयी है।

हम इस तरह के विलय के कई उदाहरणों का हवाला दे सकते हैं, चाहे वह पीएसयू बैंक विलय हो या रक्षा आयुध कारखानों का निगमीकरण हो, जिसके कारण कई परिचालन गड़बड़ियां हुई हैं।

हम उपरोक्त कार्यालय ज्ञापन द्वारा सुझाए गए कदमों का पुरजोर विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि इस मामले में कोई और कदम उठाने से पहले संबंधित प्रतिष्ठानों की मान्यता प्राप्त यूनियनों के साथ पूर्व गहन परामर्श किया जाए।

भवदीय,

 

 

(अमरजीत कौर)
महासचिव

 

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