कामगार एकता कमिटी (KEC) ने भारतीय रेलवे के स्टेशन मास्टरों के न्यायसंगत संघर्ष के समर्थन में एक बैठक “एक पर हमला सभी पर हमला है!” की भावना से आयोजित की

KEC के संवाददाता की रिपोर्ट


भारतीय रेल भारत की जीवन रेखा है। वह ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की आबादी की तुलना में प्रतिदिन अधिक यात्रियों को ले जाती है। इसी तरह, वह आवश्यक वस्तुओं को तकरीबन देश के हर हिस्से तक पहुँचाती है। अपनी सुरक्षा के बारे में कोई विचार न रखते हुए, भारतीय रेल के मेहनती कर्मचारियों ने एक घातक महामारी के प्रकोप के दौरान भी आवश्यक वस्तुओं का संचलन जारी रखा।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनकी सेवाएं आवश्यक हैं; फिर भी उनकी काम करने की स्थिति भयावह हैं – अधिक काम और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव, कई मामलों में असुरक्षित काम, पदोन्नति के बहुत कम अवसर … सूची अंतहीन है। इस पृष्ठभूमि में, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (AISMA) के बैनर तले आयोजित भारतीय रेल के स्टेशन मास्टरों ने समाधान के लिए उनकी समस्याओं को उठाने का संकल्प लिया। सब आधिकारिक चैनलों के विफल होने के बाद, उन्हें संघर्ष का सहारा लेना पड़ा। विभिन्न अधिकारियों को पत्र लिखना, विभिन्न स्थानों पर धरना देना, काला बिल्ला लगाना, भूख हड़ताल करना, रात की पाली में मोमबत्ती जलाना – स्टेशन मास्टरों ने अंधे अधिकारियों को दिखाने में और बधिर प्रशासन को सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस सब में स्टेशन मास्टरों ने सुनिश्चित किया कि लोगों को किसी भी तरह की असुविधा न हो – ट्रेनें सामान्य रूप से चलें।

जब सब कुछ विफल हो गया, तो हड़ताल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इधर भी, AISMA ने 31 मई की हड़ताल को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाने की सलाह देकर यात्रियों के प्रति अपनी सहानुभूति जताई।

“एक पर हमला सब पर हमला!” के अपने सिद्धांत के अनुरूप, कामगार एकता कमिटी (KEC) ने 29 मई, 2022 को इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर एक बैठक आयोजित की, जहां विभिन्न यूनियनों और संघों के नेताओं ने स्टेशन मास्टरों के संघर्ष के अपना दृढ़ समर्थन व्यक्त किया। ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (AISMA), ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA), ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (AIGC), ऑल इंडिया ट्रेन कंट्रोलर्स एसोसिएशन (AITCA), ऑल इंडिया रेलवे ट्रैक मेंटेनर्स यूनियन (AIRTU), ऑल इंडिया पॉइंट्समैन एसोसिएशन (AIPMA), इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ ऑर्गनाइजेशन (IRTCSO) और इंडियन रेलवे लोको रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन (IRLRO) के नेता आमंत्रित वक्ता थे।

सभी श्रेणियों (categories) के रेलवे कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य सेवाओं, उद्योगों और बड़े पैमाने पर लोगों में काम करने वालों में से बड़ी संख्या में प्रतिभागी थे। माहौल उत्साहवर्धक था, एकता का प्रदर्शन स्पष्ट था। सभी वक्ताओं ने, देश के कोने-कोने तक उनकी आवाज़ पहुँचाने के लिए KEC के प्रति, तथा रेलवे की अन्य श्रेणियों के अपने साथियों के साथ-साथ उन सभी के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने उनका समर्थन किया था। इतने साहस और प्रतिबद्धता के साथ हड़ताल के आयोजन के कठिन कार्य को करने के लिए अन्य श्रेणियों के वक्ताओं ने स्टेशन मास्टरों की हार्दिक सराहना की।

KEC के महासचिव डॉ. मैथ्यू ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और श्री अशोक कुमार, संयुक्त सचिव, KEC से बैठक का संचालन करने का अनुरोध किया।

श्री धर्मवीर सिंह अरोड़ा (जोनल अध्यक्ष, मध्य रेलवे, AISMA) ने इस बैठक के आयोजन के लिए KEC का, और स्टेशन मास्टरों की हड़ताल का समर्थन करने के लिए सभी संघों और महासंघों को धन्यवाद दिया और AISMA की विभिन्न मांगों को समझाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्टेशन मास्टरों का संघर्ष सभी श्रणियों का संघर्ष है क्योंकि सभी रेलवे कर्मचारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह ट्रेनों की बढ़ती संख्या के कारण काम का बोझ बढ़ता जा रहा है, सरकार नियमों का उल्लंघन कर रही है और रेलवे कर्मचारियों को उनके उचित बकाये से वंचित कर रही है।

श्री अरोड़ा के भाषण का वीडियो AIFAP की वेबसाइट पर पहले से ही अपलोड है।

कॉम. मैथ्यू (महासचिव, KEC) ने KEC की AISMA के प्रति एकजुटता व्यक्त की।

कॉम मैथ्यू के पूरे भाषण के लिए वीडियो और साथ में दिया गया बॉक्स देखें।

आमंत्रित वक्ता, श्री के सी जेम्स (संयुक्त महासचिव, AILRSA), श्री चंदन चतुर्वेदी (महासचिव, AITCA), श्री कांता राजू (महासचिव, AIRTU), डॉ हेमंत सोनी (महासचिव, IRTCSO), श्री अमजद बेग ( केंद्रीय अध्यक्ष, AIPMA), श्री नवीन कुमार (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय रेलवे एस एंड टी मेंटेनर्स यूनियन) ने तब बैठक को संबोधित किया। सभी ने श्री कांता राजू की भावना की सराहना की, जो बीमार थे लेकिन फिर भी उन्होंने भाग लिया और अपने अस्पताल के बिस्तर से सभा को संबोधित किया।

विभिन्न वक्ताओं द्वारा बताए गए दिलचस्प बिंदु थे:

• भारत में स्टेशन मास्टर पदों पर लगभग 20% रिक्तियां हैं; करीब 6800 पद खाली हैं।

• ट्रेन नियंत्रकों के बीच रिक्तियों की संख्या इतनी अधिक है कि प्रशासन के पास इसे भरने का कोई उपाय नहीं है। नियंत्रकों का काम करने के लिए स्टेशन मास्टरों और गार्डों पर सख्ती की जा रही है। इसी तरह हर श्रेणी या कैटेगरी में वैकेंसी है।

• प्रशासन एक रिक्ति बैंक बनाता है और फिर रिक्त पदों को सरेंडर करता है। हाल ही में 91,000 पदों को सरेंडर किया गया था। इसके अलावा, सरेंडर के लिए 50% गैर-सुरक्षा पदों की पहचान की गई थी।

• मांगों का एक साझा चार्टर तैयार किया जाना चाहिए और सभी संगठनों द्वारा संयुक्त मांगपत्र वित्त मंत्रालय को भेजा जाना चाहिए।

• एक श्रेणी द्वारा किसी अन्य श्रेणी के विरुद्ध कोई मांग नहीं उठानी चाहिए।

श्रेणी संघों की एक संयुक्त समिति गठित करने का आग्रह किया गया। कई वक्ताओं ने KEC से ऐसी बैठक बुलाने का आग्रह किया।

डॉ. सोनी ने घोषणा की कि IRCTSO देश में कहीं भी पहली भौतिक बैठक की मेजबानी करने के लिए तैयार है।

नेताओं के भाषणों के बाद श्री अशोक कुमार ने कॉम. शैलेंद्र दुबे (अध्यक्ष, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन और बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के नेता) और कॉम. सी जे नंदकुमार (अध्यक्ष, बैंक एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया) के वीडियों दिखाएं, जिनमें 22 मई 2022 को सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP) की बैठक में AISMA के संघर्ष के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था।
तब अन्य प्रतिभागियों के लिए मंच खोला गया।

श्री कामेश्वर राव (अंचल अध्यक्ष, AIREC / SC क्षेत्र और संपादक, रेल शक्ति), श्री बैद्यनाथ साहा (मंडल सचिव, AISMA, विजयवाड़ा, SC रेलवे), श्री शरदचंद्र पुरोहित, (महासचिव, AISMA, NW रेलवे), श्री केसी मीना (मीडिया प्रमुख, उत्तर रेलवे कर्मचारी संघ), श्री अशोक कुमार पांडे (वरिष्ठ यातायात प्रशिक्षक, ZRTI, EC रेलवे, मुजफ्फरपुर), श्री महेंद्र गुप्ता (ट्रैक मेंटेनर), श्री ए एन तिवारी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, AISMA) और श्री संजय पांधी (कार्यकारी अध्यक्ष IRLRO), जो सभी रेलवे की विभिन्न शाखाओं के नेता हैं इन सब ने अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. संजीवनी जैन (उपाध्यक्ष, लोक राज संगठन) और सुश्री रिया (पुरोगामी महिला संगठन की कार्यकर्ता) ने भी बात रखी।

उनकी बातों के प्रमुख बिन्दू निम्नलिखित हैं:

• रेलकर्मियों की भयानक कामकाजी परिस्थितियां न केवल उन्हें प्रभावित करती हैं, बल्कि यात्रा करने वाले सभी लोगों की सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

• भारी संख्या में रिक्तियां और संविदाकरण पूरे मजदूर वर्ग पर हमला है, खासकर बेरोजगार युवाओं पर।

• रेलकर्मियों की संख्या लाखों में है, जबकि यात्रियों की संख्या करोड़ों में है। रेलवे कर्मचारियों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए उन्हें सचेत करना और उन्हें लामबंद करना अनिवार्य है। यह सभी सफल संघर्षों का अनुभव है।

• हमें इस व्यवस्था पर भी गौर करने की जरूरत है, जिसमें जनता के चुने हुए तथाकथित प्रतिनिधि उनके प्रति बिल्कुल जवाबदेह नहीं हैं।

श्री अशोक कुमार ने वादा किया कि KEC सभी मूल्यवान सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगा और विभिन्न संघों के साथ चर्चा करेगा कि उन्हें कैसे अमल में लाया जाए। बैठक उनके द्वारा व्यक्त किए गए सामान्य संकल्प के साथ समाप्त हुई: “हम अपनी एकता को और मजबूत करेंगे; हम अपने संघर्ष में बड़े पैमाने पर लोगों को शामिल करेंगे। हम जीतेंगे!”

kec speech 29th may
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