श्री आर कन्नन, सचिव, बिजली के निजीकरण के खिलाफ मंच, पुडुचेरी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट
केईसी संवाददाता द्वारा नोट
पुडुचेरी के बिजली कर्मचारी एक बार फिर अपने क्षेत्र के निजीकरण के राज्य सरकार के प्रयास के खिलाफ आवाज उठाते हुए सड़कों पर उतर आए हैं।
फरवरी 2022 में, जब पुडुचेरी के मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए थे, तब सरकार ने वादा किया था कि कर्मचारियों से परामर्श किए बिना बिजली विभाग का कोई भी निजीकरण नहीं किया जाएगा। अब पता चला है कि कैबिनेट ने बिजली के निजीकरण को मंजूरी दे दी है।
बिजली का निजीकरण न केवल मजदूर विरोधी है बल्कि जनविरोधी भी है। निजीकरण से बिजली बिल में बड़ी वृद्धि होने और लोगों को बुरी तरह प्रभावित करने की संभावना है। पुडुचेरी में जहां 260 यूनिट बिजली का बिल 770 रुपये है, वहीं मुंबई में जहाँ एक निजी कंपनी बिजली की आपूर्ति करती है, वहां बिजली का बिल तीन गुना से ज्यादा, 2340 रुपये है।