कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और सिंगरेनी कोल कोलियरीज लिमिटेड (SCCL) के मज़दूरों के लिए 10वां वेतन समझौता 30 जून 2021 को समाप्त हो गया। यूनियनों और प्रबंधन के बीच अब तक पांच बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें 1 जुलाई 2022 की बैठक भी शामिल है, लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका।
मजदूर इस बात से आक्रोशित हैं कि देश में महंगाई इतनी अधिक चल रही है लेकिन प्रबंधन को वेतन समझौते को अंतिम रूप देने की कोई जल्दी नहीं है। वे इस बात से भी नाराज हैं कि जहां मज़दूरों ने वेतन में 47% वृद्धि की मांग की है, वहीं CIL प्रबंधन ने केवल 3% वृद्धि की पेशकश की है। महामारी की परवाह किए बिना कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए मज़दूरों द्वारा किए गए प्रयासों को देखते हुए यह मज़दूरों का अपमान है।
भारत का कोयला उत्पादन 2021–22 में 8.54% बढ़कर 777.26 मिलियन टन (MT) हो गया, जो 2020–21 में 716.08 MT था।
हर पांच साल में वेतन की समीक्षा की जाती है। 01.07.2016 से 30.06.2021 तक के अंतिम वेतन समझौते ने वेतन में 20 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी। गैर-कार्यकारी मज़दूर CIL के 2.59 लाख के कुल कार्यबल का 94% हिस्सा हैं।
यूनियनों के एक समूह ने कोयला मंत्री को पत्र लिखा है और उनसे बातचीत के शीघ्र निष्कर्ष के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, अन्यथा वे हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे।
कोयला श्रमिकों ने 2020 में अपनी एकता दिखाई थी, जब उन्होंने 2020 में व्यावसायिक खनन की अनुमति देने के सरकार के कदम के विरोध में तीन दिवसीय हड़ताल की। यह बड़ी सफल हड़ताल थी। अधिकांश खानों में (तीन दिनों में), उत्पादन शून्य था और प्रेषण पूरी तरह से रोक दिया गया था।