जोधपुर में बिजली कर्मचारियों का सरकार और विद्युत प्रबंधन के विरुद्ध शानदार प्रदर्शन
श्री केशव व्यास, महासचिव, राजस्थान बिजली वर्कर्स फैडरेशन (एटक) से प्राप्त रिपोर्ट
प्रदेश में चाहे BJP की सरकार रही हो चाहे कांग्रेस की, सूबे के सार्वजनिक बिजली क्षेत्र को खोखला करने की योजनाएं दोनों ही सरकारों के समय बराबर बनती रही हैं। इस बात को किसी मंच पर तर्क के साथ साबित किया जा सकता है कि आज बिजली निगमों की जो बदहाली है उसके लिए मात्र सरकारी नीतियाँ जिम्मेदार है परन्तु बडी ही चालाकी से अपनी नाकामी कुशासन और कुप्रबंधन का ठीकरा आम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर पर फोडने का प्रयास करते हुए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाता है जबकि इसमें आम बिजली कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है।
सरकार में बैठे भ्रष्ट राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की भूख इतनी बढ गई है कि बिजली कर्मचारियों के खून पसीने से बने इस विशाल बिजली तंत्र के टुकड़े टुकड़े कर के बेचने पर आमादा है। विगत भाजपा सरकार ने कोटा, भरतपुर, बीकानेर और अजमेर शहर में फ्रेंचाइजी मॉडल के नाम पर निजीकरण किया, उसका दुष्परिणाम वहाँ के कर्मचारी और आम उपभोक्ता आज झेल रहे है। तत्समय कांग्रेस ने राजनैतिक विरोधी के रूप में फ्रेंचाइजी मॉडल पर हुए उस निजीकरण का खूब विरोध किया था परन्तु दोहरा चरित्र देखिए कि सरकार में आने के बाद भाजपा से भी दो कदम आगे निकल कर मौजूदा सरकार प्रदेश में पाली, जोधपुर, चित्तोडगढ़, निम्बाहेड़ा सहित बहुत से शहरों में MBC मॉडल के नाम पर निजीकरण कर रही है।
पूरे देश के सार्वजनिक बिजली क्षेत्र को बेचने हेतु केंद्र सरकार विद्युत (संशोधन) बिल 2022 लेकर आई। उसके खिलाफ हुए बिजली कर्मचारियों एवं आमजनता के विरोध को भी सहयोग कर कांग्रेस ने केंद्र सरकार की राजनैतिक विपक्षी होने की भूमिका निभाई। राजस्थान सरकार ने भी इस विद्युत (संशोधन) बिल के खिलाफ केंद्र सरकार को पत्र लिखा परन्तु यहाँ वही प्रदेश सरकार भी धीरे धीरे बिजली निगमों में निजीकरण को बढ़ा रही है, जिससे बिजली निगमों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
सरकारी इशारे पर प्रबंधन का एक ही एजेंडा है कि इन बिजली निगमों को कितना जल्दी बेचा जाये। कर्मचारियों की समस्याओं की ओर किसी का ध्यान नहीं है। विगत बजट में सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन OPS लागू कर खूब वाहवाही लूटी लेकिन बिजली कर्मचारियों को इससे वंचित रख दिया। यह निर्णय सरकार के बिजली कर्मचारियों के प्रति उपेक्षापूर्ण दृष्टिकोण और नीयत को बताता है।
इस तमाम नकारात्मक माहौल से उत्पन्न अंधकार में जोधपुर डिस्कॉम के कर्मचारियों और इंजिनियरों ने एक सकारात्मक रौशनी की मशाल जलाई है। जोधपुर डिस्कॉम संयुक्त संघर्ष समिति बना कर इस जुल्म के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया है जिसमें भारतीय मज़दूर संघ, बिजली इंजिनियर्स एसोसिएसन ऑफ़ जोधपुर, इंटक, राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन, पावर इंजिनियर एसोसिएशन ऑफ़ राजस्थान, लेखा कर्मचारी संघ, KMS, राजस्थान बिजली वर्कर्स फैडरेशन (एटक) आदि संगठनों से जुड़े कर्मचारी शामिल है।
आज 22 सितंबर 2022 को जोधपुर विद्युत भवन पर संयुक्त संघर्ष समिति ने शानदार विरोध प्रदर्शन कर सरकार और विद्युत प्रबंधन को ललकारा है। इस विरोध प्रदर्शन में बडी संख्या में सभी केडर्स के बिजली कर्मचारी अभियंता और महिला कार्मिक भी शामिल हुई। बिजली प्रबंधन और सरकार के खिलाफ घंटों तक जमकर नारेबाजी हुई।
पाली जिले में लगातार धरना जारी है। बिजली कर्मचारियों ने ठान लिया है कि हम तुम्हें हमारा बिजली निगम बेचने नहीं देंगे। हर जुल्म का मुकम्मल विरोध करेंगे। उम्मीद है जोधपुर डिस्कॉम में क़ायम हुई यह एकता पूरे प्रदेश में फैलेगी।
जोधपुर डिस्कॉम में लगातार संघर्ष कर रहे कर्मचारियों और नेतृत्वकारी साथियों को आज के शानदार प्रदर्शन की बधाई।
हम सब मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे।
बिजली निगमों का निजीकरण बंद करो।
बिजली निगमों में OPS लागू करो।
इंक़लाब जिंदाबाद!