कामगार एकता कमेटी (केईसी) के संवाददाता की एक रिपोर्ट
यह शर्मनाक है कि 21वीं सदी में भी भारतीय रेलवे (IR) के कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल पर पीने के पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
भारतीय रेल के हजारों रेल लोको पायलट कई वर्षों से रेल इंजनों में शौचालय के प्रावधान की मांग कर रहे हैं। अंततः, भारतीय रेल के अधिकारी जल्द से जल्द इंजनों में शौचालय बनाने के लिए सहमत हुए हैं।
लोको पायलट बिना शौचालय के ड्यूटी करने में असुविधा और यहां तक कि सुरक्षा चिंताओं को भी व्यक्त करते रहे हैं। लोको पायलटों के उतरने और अगले डिब्बे में शौचालय का उपयोग करने के लिए एक्सप्रेस ट्रेनें स्टेशनों पर ज्यादा देर तक नहीं रुकती हैं। भारतीय रेल की 1000 महिला लोको पायलटों के लिए समस्या कहीं अधिक गंभीर है।
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) के महासचिव श्री एमएन प्रसाद ने कहा कि लोकोमोटिव में शौचालय बनाने की लड़ाई लंबी है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक महिलाओं के काम करने से इसका महत्व बढ़ गया है। यह सभी लोको पायलटों के लिए कष्टदायी तो होता है, लेकिन महिलाओं के लिए अधिक परेशान करने वाला होता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 25 अप्रैल 2016 को रेलवे बोर्ड को सभी इंजनों में शौचालय और एयर कंडीशनर स्थापित करने का आदेश दिया, जिस पर बोर्ड ने सहमति व्यक्त की थी। फिर भी, इतने वर्षों तक कुछ न करने के बाद, रेलवे अधिकारियों ने 10,000 लोको पायलटों के बीच एक सर्वेक्षण करना आवश्यक समझा, जिन्होंने सर्वसम्मति से शौचालय की सुविधा की मांग की!