उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यू.जे.वी.एन.एल.) के तहत तीनों निगमों के श्रमिक जब 27 जुलाई को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए तो 24 घंटे के अंदर ही वे सरकार को उनकी मांगों को मनवाने में सफल हो गए|
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यू.जे.वी.एन.एल.) के तहत तीनों निगमों के लगभग 3500 कर्मचारियों ने 26 जुलाई की आधी रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करी। यह हड़ताल विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर आयोजित की गयी थी। हड़ताल की वजह से सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य में बिजली का उत्पादन, प्रसारण और वितरण 27 जुलाई को पूरी तरह ठप्प हो गया।
बिजली कर्मचारी इसलिए हड़ताल करने को मजबूर हुए क्योंकि राज्य सरकार उनकी 14 सूत्रीय मांगों को मानने से बार-बार इंकार करती रही है। मगर अब की बार कर्मचारियों की इस एकता को देखकर केवल एक दिन में ही सरकार को झुकना पड़ा। 27 जुलाई की शाम को राज्य के ऊर्जा मंत्री ने खुद संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों से बातचीत की। सभी मांगों के जल्द समाधान का आश्वासन दिया। तीनों निगमों के निजीकरण पर रोक लगाने की कर्मचारियों की मांग के विषय में ऊर्जा मंत्री को कहना पड़ा कि “प्रशासन स्तर पर ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है”।