कामगार एकता कमिटी (KEC) के संवाददाता की रिपोर्ट
महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अभियन्ता, अधिकारी संघर्ष समिति, महाराष्ट्र राज्य बैंक एम्प्लोईज फेडरेशन, भारतीय महिला फेडरेशन (ठाणे समिति) और कामगार एकता कमिटी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार, 10 दिसंबर की शाम को ठाणे स्टेशन पर हजारों यात्रियों का जोरदार समर्थन मिला। बिजली क्षेत्र के अत्यधिक लाभदायक भागों के निजीकरण के सरकार के प्रयासों के खिलाफ उपरोक्त संगठनों द्वारा ठाणे स्टेशन पर एक संयुक्त प्रदर्शन का आयोजन किया गया था।
बिजली एक ऐसा क्षेत्र है जो दशकों से लोगों के पैसे (करों द्वारा) और बिजली श्रमिकों की पीढ़ियों के श्रम के माध्यम से बनाया गया है। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एक साथ आए थे, नारेबाजी कर रहे थे, बैनर और पोस्टर प्रदर्शित करते हुए हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में पर्चे बांट रहे थे। (पत्रक संलग्न है)
यह मुद्दा लोगों के दिलों के कितना करीब था, यह निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होता है:
• कई लोगों ने रुक कर पर्चे मांगे।
• एक भी पर्चा फेंका नहीं गया।
• कई लोगों ने अभियान की सराहना की और पूछा कि वे कैसे मदद कर सकते हैं।
• कई कार्यकर्ता थे जो पहली बार ऐसा काम कर रहे थे और उन में थोड़ी सी हिचकिचाहट स्वाभाविक थी; लेकिन लोगों के प्रतिसाद की वजह से उनका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि अंत तक वे अनुभवी प्रचारकों की तरह लगने लगे।
• कई लोग फोटो खींचने के लिए रुके और अभियान समाप्त होने से पहले ही पूरे देश से बधाई संदेशों का आना शुरू हो गया।
कार्यकर्ताओं के साथ निजीकरण के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कई लोग रुके। जिन 2-3 लोगों ने कहा कि निजीकरण से कार्यकुशलता आएगी, उनसे बस एक साधारण सा सवाल पूछा गया। “क्या बड़े कॉरपोरेट्स लोगों की सेवा करने में या जितना हो सके उतना लाभ हड़पने में कार्यकुशल होंगे?” उत्तर उनके लिए भी स्पष्ट हो गया।
“ये कॉरपोरेट्स खुद की सोचते हैं? लाभ की उनकी भूख कभी शांत नहीं हो सकती। अब वे हमारी बिजली भी हड़पना चाहते हैं!”, यह LIC के एक कार्यकर्ता का कहना था, जो वहां से गुजर रहे थे ।
बहुत से लोगों ने सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया और कहा कि हम अपनी समस्याओं को हल करने के लिए अपनी एकता पर ही निर्भर रह सकते हैं।
अंत में यह अभियान अधिक से अधिक स्थानों पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया।