महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों और अधिकारियों संघर्ष समिति द्वारा राज्य के जनप्रतिनिधियों को पेश किया गया निवेदन

महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अभियंता, अधिकारी संघर्ष समिती (महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों और अधिकारियों संघर्ष समिति) की ओर से निम्नलिखित निवेदन राज्य भर के जनप्रतिनिधियों को 14 दिसंबर 2022 पेश किया गया। उन से आग्रह किया गया कि वे महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग को कहें कि महावितरण कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले भांडुप सर्कल में ठाणे और रायगढ़ जिलों में समानांतर बिजली वितरण का लाइसेंस न दिया जाए।

जनप्रतिनिधियों को दिए गए निवेदन की प्रति

(मराठी निवेदन का हिंदी अनुवाद)

महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अभियंता, अधिकारी संघर्ष समिती

प्रति,

माननीय मंत्री, माननीय सांसद, मा. विधायक, मा. जिला परिषद अध्यक्ष व सदस्य, मा. पंचायत समिति अध्यक्ष और सदस्य, मा. महापौर एवं नगर निगम सदस्य, मा. नगर परिषद के अध्यक्ष और सदस्य, मा. नगर पंचायत अध्यक्ष एवं सदस्य, मा. ग्रामपंचायत सरपंच व सदस्य, बिजली उपभोक्ता संघ, किसान संघ, विभिन्न क्षेत्रों के नेता, औद्योगिक बिजली ग्राहक संघ, लघु औद्योगिक बिजली उपभोक्ता, जल आपूर्ति बिजली उपभोक्ता संगठन, सामाजिक संगठन

विषय: महावितरण कंपनी के अधीन महाराष्ट्र राज्य में ठाणे और नवी मुंबई क्षेत्र के लिए अडानी इलेक्ट्रिकल कंपनी को समानांतर लाइसेंस के विरोध के संबंध में

श्रीमान,

जैसा कि आप जानते हैं कि महाराष्ट्र में किसानों सहित बिजली उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति का कार्य कई वर्षों से महावितरण कंपनी के बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों और अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है। महाराष्ट्र राज्य की स्थापना से लेकर अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों जैसे घाटियों आदि में बिजली पहुँचाने का कार्य बिजली कर्मचारियों द्वारा प्रशासन के सहयोग से किया जाता रहा है। राज्य सरकार ने समय-समय पर करोड़ों रुपये खर्च कर लाखों उपभोक्ताओं को बिजली देने के लिए हजारों जेनरेटर, पोल और सैकड़ों उपकेन्द्र बनवाये हैं। यही वजह है कि महाराष्ट्र में लोग 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति का लाभ उठा रहे हैं।

जब भी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, चाहे बाढ़, किल्लारी भूकंप, विभिन्न चक्रवात, हाल ही में कोरोना महामारी, हमने “उपभोक्ता को भगवान” माना है और अपने जीवन की चिंता किए बिना बिजली की आपूर्ति की है और आगे भी करते रहेंगे। यही कारण है कि महाराष्ट्र के बिजली उद्योग ने एशिया में ख्याति प्राप्त की है।

हम बहुत विनम्रतापूर्वक आपके संज्ञान में लाते हैं कि हाल ही में अडानी इलेक्ट्रिक कंपनी ने ठाणे, नवी मुंबई, उरण, पनवेल, तलोजा के लिए समानांतर लाइसेंस के लिए महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग को आवेदन किया है; ये क्षेत्र राजस्व की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। अगर ऐसा लाइसेंस दिया जाता है तो इससे राज्य में बिजली उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। आज, बिजली उपभोक्ताओं को विशेष रूप से कृषि पंप सेटों के लिए, गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए, सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिए विशेष दरें दी जाती हैं जो बिजली की खरीद की दर से कम होती हैं। उन्हें क्रॉस-सब्सिडी प्रदान करने के लिए हाई टेंशन उपभोक्ताओं, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को उच्च दरों पर बिजली दी जाती है। इसीलिए महावितरण कंपनी को उपरोक्त उपभोक्ताओं से 12,000 करोड़ का वार्षिक राजस्व प्राप्त होता है। उसमें से हजारों करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में दिए जाते हैं। इसलिए उपरोक्त उपभोक्ता अगर महावितरण कंपनी से हटकर निजी पूंजीपतियों के पास चले गए तो बाकी बिजली उपभोक्ताओं को इतनी अधिक दरों का सामना करना पड़ेगा कि महाराष्ट्र की जनता बिजली का उपयोग नहीं कर पाएगी…! ऐसे हालात बन सकते हैं।

महावितरण कंपनी द्वारा प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा यदि निजी उद्योग में चला जाता है, तो महाराष्ट्र के आम लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

इससे पहले महावितरण के निजीकरण का प्रयोग महाराष्ट्र राज्य में नागपुर, जलगाँव, भिवंडी, औरंगाबाद, मालेगाँव, दिवा और मुंब्रा जैसे स्थानों पर किया जा चुका है। हालाँकि, ये सभी प्रयोग निरर्थक और विफल रहे। हम इसे आपके संज्ञान में भी ला रहे हैं। वहीं, महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में महापारेषण के नेटवर्क का इस्तेमाल कर निजी पूंजीपति निजी बिजली की लाइनें लगा रहे हैं। साथ ही, सरकार महानिर्मिती कंपनी के स्वामित्व वाली पनबिजली परियोजनाओं के निजीकरण की कोशिश कर रही है। इन सबका दुष्परिणाम महाराष्ट्र की आम जनता को भुगतना पड़ सकता है। हम आपसे जनप्रतिनिधियों के रूप में इस पर ध्यान देने का अनुरोध करते हैं।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कि बिजली उद्योग के उपभोक्ताओं का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है, इस उद्योग में कार्यरत सभी संगठन एक साथ आए हैं और उपरोक्त सभी का विरोध करने के लिए एक अभियान चलाने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को इस आशय की एक नोटिस दी गयी है।
बिजली उद्योग पर लोगों के अधिकारों को बचाने के लिए, आपको जनप्रतिनिधियों के रूप में सरकार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शित करना चाहिए और महाराष्ट्र में बिजली उद्योग को बचाना चाहिए। यह महाराष्ट्र के बिजली उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों, अधिकारियों और इंजीनियरों की विनम्र अपील है।

सादर,
महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अभियंता, अधिकारी संघर्ष समिती

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