ख़बरदार, प्रसाशन और सरकार बिजली कर्मियों की निजीकरण के विरोध में एकता को तोड़ने की कोशिश करेगी

कॉमरेड कृष्णा भोयर, महासचिव, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन की अपील
(मराठी नोटिस का हिंदी अनुवाद)

महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के पदाधिकारियों के लिए आवश्यक सूचना

किसी भी ग्रुप में कोई भी पोस्ट बिना सत्यापन किये वायरल नहीं होनी चाहिए

संघर्ष समिति में शामिल सभी माननीय पदाधिकारी मित्रगण,

हम कई वर्षों के बाद बिजली उद्योग के कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारियों और संविदा कर्मियों को एकजुट करके राज्य सरकार की निजीकरण नीति का विरोध कर रहे हैं। हमने आंदोलन के चरणों के बारे में चर्चा की है और उस के बारे में सब की सहमति है। महाराष्ट्र में तय योजना के तहत अभूतपूर्व आंदोलन हो रहा है।

23 दिसंबर के मार्च ने महाराष्ट्र सरकार और तीनों कंपनियों के प्रशासन को हिला कर रख दिया। प्रशासन और सरकार हमें बांटने की कोशिश करेगी। ऐसा पहले भी हो चुका है। अगर किसी विभाग में कोई इंजीनियर वसूली के संबंध में कार्रवाई के लिए पत्र जारी करता है तो सबसे पहले हमें संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के ग्रुप में जानकारी साझा करनी चाहिए और उसकी जांच करनी चाहिए। संबंधित अधिकारियों से बात करें। यह सब महाराष्ट्र में हो रहा है।

वरिष्ठ इंजिनीयर भी इंजीनियरों पर काफी दबाव बना रहे हैं। हमें सैकड़ों कर्मचारियों के फोन भी आए हैं। कार्यपालक अभियंता व ऊपर के अधिकारी तकनीकी कर्मचारियों व कार्यालय कर्मियों पर वसूली के लिए काफी दबाव बना रहे हैं। यह हकीकत सभी संगठनों के नेतृत्व को पता है। इसलिए कृपया कोई भी इस तरह से कार्य न करें जिससे इस समूह में विभाजन हो।

हालांकि यह लड़ाई सरकार की नीति के खिलाफ है, लेकिन प्रशासन इससे अलग नहीं है। संघर्ष समिति में शामिल सभी संगठनों के नेता पूरी शिद्दत से इस लड़ाई को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। पूरे महाराष्ट्र में अलग-अलग मेसेजों के प्रसार से सभी कार्यकर्ताओं में भ्रम का माहौल नहीं बनना चाहिए।

मजदूरों, इंजीनियरों, अधिकारियों और संविदा कर्मियों के मन में सरकार और प्रशासन के खिलाफ बहुत गुस्सा पैदा हो गया है। यह नागपुर में अभूतपूर्व रूप से व्यक्त किया गया है। मजदूर निजीकरण के खिलाफ संघर्ष में अंत तक लड़ने का मन बना चुके हैं। अगर उनके संगठन के सदस्य साफ-साफ कहें कि वे संघर्ष समिति के निर्देशानुसार काम कर रहे हैं तो प्रशासन भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं करेगा। अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो संघर्ष समिति का नेतृत्व इससे निपटने में सक्षम है।

आंदोलन की सूचना देने के डेढ़ माह बाद भी सरकार ने अपने स्तर पर बैठक नहीं बुलाई है, यह स्पष्ट रूप से कुछ संकेत दे रहा है। राज्य के ऊर्जा मंत्री ने विधानसभा में जिस तरह जोर देकर कहा कि कुछ जगहों पर फ्रेंचाइजी देनी होगी, उसका क्या मतलब है, हम सभी को समझना चाहिए।

बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारियों और संविदा कर्मियों की एकता ज़िंदाबाद!

आपका सहयोगी
कॉमरेड कृष्णा भोयर
महासचिव
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन

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