बिजली कर्मचारियों द्वारा पुणे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस उत्साहपूर्ण मनाया गया

महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (MSEWF) की रिपोर्ट


(मराठी रिपोर्ट का अनुवाद)

महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (MSEWF) की ओर से कॉम. भारती कृष्णा भोयर मैडम (महिला अघाड़ी अध्यक्ष) की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि सुश्री. शीना अग्रवाल (पुरोगामी महिला संगठन), कॉम. स्मिता चव्हाण (महिला अघाड़ी सदस्य), कॉम. वैशाली घाडगे मैडम और कॉम. नाजनीन शेख (क्षेत्रीय महिला प्रतिनिधि, वितरण), कॉम. मीनल घाडगे मैडम और कॉम. किरण बजगनिया मैडम (क्षेत्रीय महिला प्रतिनिधि, ट्रांसमिशन), कॉम. श्री. भीमाशंकर पोहेकर (उपाध्यक्ष), श्री. ईश्वर वाबले (संयुक्त सचिव), श्री. सुनील घाडगे (क्षेत्रीय सचिव), कॉम. शरद कुमार मेश्राम ( उप सचिव), कॉम. विनोद रणदिवे (ज़ोन ऑर्गनाइज़र), कॉम. राजाभाऊ खरात (सर्कल सचिव), कॉम. संदीप पाटिल (सर्कल उप सचिव), कॉम. मुरलीधर सूर्यवंशी (मंडल सचिव) की उपस्थिति में 8 मार्च को पुणे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कॉम. स्मिता चव्हाण मैडम (महिला अघाड़ी) ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों शुरू किया गया था: अमेरिका और यूरोप सहित लगभग पूरी दुनिया में महिलाओं को 20वीं शताब्दी की शुरुआत तक वोट देने के अधिकार से वंचित रखा गया था। यह पितृसत्तात्मक व्यवस्था में स्त्री-पुरुष असमानता का एक ज़बरदस्त उदाहरण था। महिलाएं अपने-अपने तरीके से इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रही थीं। 1890 में, मतदान के अधिकार के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में नेशनल अमेरिकन सफ़्राजिस्ट एसोसिएशन का गठन किया गया था। लेकिन यह एसोसिएशन भी अप्रवासियों के प्रति नस्लवादी और पूर्वाग्रह से ग्रस्त था। उन्होंने दक्षिणी राज्यों को काले मतदाताओं और उत्तरी और पूर्वी राज्यों के बहुसंख्यक अप्रवासी मतदाताओं से दक्षिणी राज्यों को बचाने के लिए महिलाओं को मतदान का अधिकार देने का आह्वान किया। बेशक, इन सीमित अधिकारों का बहुसंख्यक अश्वेत लोगों और अप्रवासी कामकाजी महिलाओं द्वारा कड़ा विरोध किया गया था, और क्रांतिकारी मार्क्सवादियों ने सार्वभौमिक वयस्क मतदान अधिकारों की मांगों का समर्थन किया था। 1907 में, स्टटगार्ट में पहला अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन आयोजित किया गया था।

इसमें कम्युनिस्ट कार्यकर्ता क्लारा ज़ेटकिन ने कहा, “सार्वभौमिक मताधिकार के लिए लड़ना समाजवादी महिलाओं का कर्तव्य है।” 8 मार्च, 1908 को न्यूयॉर्क में हजारों महिला कपड़ा मजदूर एक ऐतिहासिक प्रदर्शन के लिए रटगर्स स्क्वेयर में एकत्रित हुईं। उन्होंने कार्यस्थल पर 10 घंटे के कार्य दिवस और सुरक्षा की मांग की। इन दो मांगों के साथ-साथ उन्होंने यह भी जोरदार मांग की कि सभी वयस्क पुरुषों और महिलाओं को लिंग, समुदाय, संपत्ति और शैक्षिक पृष्ठभूमि के बावजूद मतदान का अधिकार मिलना चाहिए। अमेरिकी कामकाजी महिलाओं की इस व्यापक कार्रवाई से क्लारा ज़ेटकिन बहुत प्रभावित हुईं। 1910 में कोपेनहेगन में आयोजित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन में, क्लारा ने एक प्रस्ताव पारित किया कि 8 मार्च, 1908 को अमेरिकी महिला श्रमिकों की ऐतिहासिक उपलब्धि की स्मृति में 8 मार्च को “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। सार्वभौमिक मताधिकार का यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों में मोहिम शुरू किया गया था। परिणामस्वरूप 1918 में इंग्लैंड और 1919 में अमेरिका में ये मांगें सफल हुईं। भारत में पहला महिला दिवस 8 मार्च 1943 को मुंबई में मनाया गया। 8 मार्च, 1971 को पुणे में एक विशाल मार्च निकाला गया। बाद में, UNO द्वारा वर्ष 1975 को “अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष” घोषित किया गया। इसके बाद महिलाओं की समस्याओं को समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका मिली। महिला संगठनों को मजबूत किया गया। बदलती सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुसार कुछ प्रश्नों की प्रकृति बदली तो महिला संगठनों की माँगें भी बदलीं।

हम आज हर क्षेत्र में महिलाओं द्वारा किए गए मूल्यवान कार्यों को सराहना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। उन्होंने उपरोक्तानुसार अपने विचार व्यक्त किए और सभी को महिला दिवस की शुभकामनाएं दी।

कॉम. वैशाली घाडगे मैडम (ज़ोनल प्रतिनिधि) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अपने अब तक के सफर में उन्होंने अपने जीवन के हर पड़ाव पर चुनौतियों को पार किया है और एक महिला के रूप में आज भी मजबूती से खड़ी हैं।

यह संकल्प करके कि हम अपने जीवन के निर्माता हैं, महिलाएं कमजोर नहीं हैं और उन्हें मजबूत रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी संगठन में महिलाओं का सम्मान है तो वह सिर्फ वर्कर्स फेडरेशन में है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के बाद उन्होंने सभी को महिला दिवस की बधाई दी।

कॉम. लीना राजे ने अपने साथी मित्रों पर एक कविता के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए।

कॉम. मीनल घाड़गे मैडम ने दो पहियों के बिना साइकिल नहीं चलने का उदाहरण देकर और झांसी की रानी बनीं महाराष्ट्र की बेटी मणिकर्णिका तांबे की कहानी बताकर सभी को महिला दिवस की बधाई दी।

कॉम. किरण बजगनिया मैडम, कॉम. सुरूचि टोप्रे मैडम, कॉम. शुभांगी प्यारम मैडम, कॉम. प्रमिला लोहकरे मैडम कॉम. तुलसा राउत मैडम, कॉम. नजनीन शेख मैडम, कॉम. सरिता मैडम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी को महिला दिवस की शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुश्री शीना अग्रवाल (पुरोगामी महिला संगठन) थीं, जिन्होंने कम उम्र में ही सामाजिक कार्य शुरू कर दिया था और AIFAP के माध्यम से निजीकरण के खिलाफ चल रही लड़ाई में हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने रेलवे, ऊर्जा, बैंक, रक्षा और शिक्षा क्षेत्रों में श्रमिकों के आंदोलन में लड़ने वाली महिलाओं के संघर्ष और भागीदारी, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ चल रही लड़ाई में AIFAP के योगदान और आम लोगों पर निजीकरण के प्रभावों को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हमें जनता के बीच जाना होगा और लोगों को निजीकरण के परिणामों के बारे में बताना होगा और साथ मिलकर लड़ना होगा।

डेढ़ साल तक चले किसान मोर्चा के संघर्ष में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए आगे आईं। निजीकरण को लेकर सरकार का रुख हमेशा विरोधी रहा है, चाहे सरकार कोई भी हो; अंतत: कार्यकर्ताओं को संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था के साथ-साथ इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि देश में होने वाले चुनावों पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं और सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दीं।

महिला अघाड़ी की अध्यक्ष कॉम. भारती भोयर मैडम ने कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा रखे गये मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किये।
वर्कर्स फेडरेशन यूनियन ने महिलाओं के लिए महिला मोर्चा बनाया और महिलाओं को संगठन में काम करने का मौका दिया। 35 साल तक संगठन में काम करने के बाद मुझे महिला अघाड़ी अध्यक्ष के रूप में काम करने का मौका मिला। पिछले दो कार्यकाल से हम महिला अघाड़ी के साथ काम कर रहे हैं। 2010 से अब तक भर्ती हुई महिलाओं के सामने आए विभिन्न मुद्दों पर हमने महिला अघाड़ी की ओर से आवाज उठाई है। आज कार्यक्रम में कई महिलाएं आगे आई हैं। यह काम जारी रखें, हमें भविष्य में एक मजबूत लड़ाई लड़नी है। उन्होंने सभी को महिला दिवस की बधाई दी।

आज के कार्यक्रम का संचालन कॉम. मीनल घाडगे, ज़ोनल प्रतिनिधि एवं कॉम. हेमलता बोराडे, महिला प्रतिनिधि, जिन्हें हर कोई सीता और गीता के नाम से जानता है, द्वारा किया गया। ।

कॉम. कविता तुरवणकर, डिवीजन हेड पुणे 1 ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

नारी शक्ति लाल सलाम!
फेडरेशन महिला अघाड़ी जिंदाबाद!

कॉम. राजाभाऊ खरात, सर्कल सचिव, पुणे, द्वारा संकलित

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