श्री शैलेन्द्र दुबे, संयोजक, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र की एनसीसीओईईई और देश के सभी फेडरेशनों व एसोसियेशनों से अपील
उत्तर प्रदेश (उप्र) के बिजली कर्मी हड़ताल के लिऐ मजबूर किए जा रहे हैं। बात कुछ यह है -कि उप्र के ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के तानाशाहीपूर्ण, अलोकतांत्रिक, दमनात्मक रवैय्ये, पारेषण के निजीकरण की कोशिशों और अपनी वर्षों से लम्बित समस्याओं को लेकर बिजली कर्मियों ने विगत वर्ष नवम्बर में कार्य बहिष्कार आंदोलन प्रारम्भ किया था जिसके बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री अरविन्द कुमार शर्मा और मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार श्री अवनीश अवस्थी आइएएस (से. नि.) की अध्यक्षता में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र से हुई वार्ता में हुए लिखित समझौते के बाद मा. ऊर्जा मंत्री की अपील पर कार्य बहिष्कार आंदोलन विगत 03 दिसंबर को स्थगित कर दिया था।
ऊर्जा निगमों के चेयरमैन 03 दिसम्बर का लिखित समझौता मानने को तैय्यार नहीं हैं और उनका दमनात्मक रवैय्या यथावत जारी है। पारेषण के उपकेंद्रों के निजीकरण की प्रक्रिया के साथ ही ओबरा व आनपारा में 800-800 मेगावॉट क्षमता की दो – दो नई इकाइयां राज्य के उत्पादन निगम से छीन कर अन्यत्र देने का निर्णय इन्वेस्टर्स समिट में लिया गया है जो आग में घी डालने जैसा है।
संघर्ष समिति ने विगत एक माह में प्रांतव्यापी जनजागरण अभियान सफलता पूर्वक चलाया है। संघर्ष समिति की नोटिस के अनुसार 14 मार्च को सभी जनपदों/परियोजनाओं पर मशाल जुलूस निकाले जाएंगे। 15 मार्च को प्रात: 10 बजे से 16 मार्च की रात्रि 10 बजे तक कार्य बहिष्कार होगा और 16 मार्च की रात्रि 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल होगी।
ऊर्जा निगमों के प्रबंधन ने इन सभी कार्यक्रमों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए प्रदेश के सभी डी एम और एस एस पी/एस पी को लिखित निर्देश दिया है कि किसी भी बिजली कर्मी को संघर्ष समिति के किसी भी कार्यक्रम में प्रतिभाग न करने दिया जाए और यदि कोई प्रतिभाग करता है तो एस्मा के तहत उस पर कठोर कार्यवाही तत्काल की जाए।
यह सारे निर्देश पूर्णतया अलोकतांत्रिक हैं और स्वीकार्य नहीं हैं। ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते का पालन करने हेतु ध्यानाकर्षण आंदोलन करना बिजली कर्मियों का लोकतांत्रिक अधिकार है।
जानकारों का कहना है कि उप्र की ब्यूरोक्रेसी निजीकरण रोकने में संघर्ष समिति को विगत कुछ वर्षों में मिली कामयाबी से बेहद चिढ़ी हुई है और बदले की भावना से दमन पर उतारू है। इसी बदनियती से उप्र के बिजली कर्मियों के आन्दोलन को अलोकतांत्रिक ढंग से कुचलने की तैय्यारी चल रही है। चर्चा यह भी है कि उप्र में बिजली आंदोलन को कुचल दिया जाए तो निजीकरण के विरोध में देश के अन्य प्रांतों में लड़ने वाले बिजली कर्मियों को भी सरकार का संदेश चला जायेगा।
उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी निर्णायक संघर्ष के लिए पूरी तरह कटिबद्ध हैं। संघर्ष समिति की 16 मार्च की रात 10 बजे से 72 घंटे हड़ताल की नोटिस है किन्तु संघर्ष समिति ने नोटिस में यह भी लिखा है कि आंदोलन के कारण किसी भी कर्मचारी की गिरफ्तारी हुई तो प्रदेश भर में सामूहिक जेल भरो आंदोलन और अनिश्चितकालीन हड़ताल उसी समय प्रारंभ हो जायेगी।
एनसीसीओईईई और देश के सभी फेडरेशनों व एसोसियेशनों से अनुरोध है कि इस निर्णायक बेला में उप्र के मुख्य मंत्री एवं ऊर्जा मंत्री को पत्र भेजकर उप्र के बिजली कर्मियों के संघर्ष का पुरजोर समर्थन करें। उप्र के बिजलीकर्मी निजीकरण, आउटसोर्सिंग और दमन के विरोध में निर्णायक संघर्ष के लिऐ पूरी तरह संकल्पबद्ध हैं।
इन्कलाब जिन्दाबाद!
शैलेन्द्र दुबे- संयोजक – विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र
उप्र के मुख्य मंत्री व उर्जा मंत्री की मेल ID
cmup@nic.in
aks4bjp@gmail.com
emofficeup5@gmail.com